हैदराबाद :भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले पुष्टि की थी कि अस्तित्व के लिए एमएसएमई वर्तमान में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. महामारी के दौरान भी MSMEs को कोई समर्थन नहीं मिला. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने निष्कर्ष निकाला है कि लघु उद्योगों को पुनर्जीवित करने में केंद्रीय पैकेज विफल रहा है. इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से एमएसएमई के पूर्वानुमान को दर्शाता है.
अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला है कि छोटे उद्योगों को 45 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है. हालांकि बैंक आवश्यक मदद का केवल 18 प्रतिशत ही प्रदान करने में सक्षम हैं. लघु उद्योग देश की आर्थिक प्रगति में योगदान दे रहे हैं. अपने सीमित निवेश के बावजूद वे न केवल 11 करोड़ से अधिक रोजगार प्रदान कर रहे हैं बल्कि विभिन्न प्रकार के सामानों का निर्माण भी कर रहे हैं. संकट के समय में उद्योगों को हताश आंखों की मदद के लिए छोड़ दिया जाता है. जबकि तत्काल सुधारात्मक उपाय हों तो इस क्षेत्र की मदद करना राष्ट्रहित में होगा.
जीडीपी में 30 फीसदी हिस्सेदारी
संबंधित मंत्रालय के अनुसार देश में 6.3 करोड़ लघु उद्योग हैं और वे देश के सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिशत का योगदान कर रहे हैं. पड़ोसी चीन में लगभग 3.8 करोड़ छोटे और मध्यम उद्योग उस देश की जीडीपी में 60 प्रतिशत का योगदान करते हैं. चीन में लगभग 80 प्रतिशत रोजगार के अवसर इस क्षेत्र द्वारा उत्पन्न होते हैं. एक अनुमान के अनुसार चीन में लगभग 16000 से 18000 नई कंपनियां हर रोज अस्तित्व में आ रही हैं. इस तरह के उत्साहजनक माहौल की कमी के कारण भारत के लघु उद्योग असमान परीक्षणों के दौर से गुजर रहे हैं ताकि वे खुद को बचाए रख सकें.
एमएसएमई के लाभ की नीतियां