दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण लघु उद्योगों को तत्काल मदद की जरुरत - Important small industries need immediate help

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने हाल ही में आगाह किया कि भारत के सामने कर्ज का संकट मंडरा रहा है. भारत के आर्थिक सुधारों के लेखक द्वारा की गई टिप्पणी अत्यधिक प्रासंगिक है. उनकी चेतावनी है कि छोटे और मध्यम उद्योग संकट के प्रभाव से डूब जाएंगे और उन्हें वापस नहीं उबारा जा सकता है. माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) जो कोविड-9 महामारी के आने से पहले ही गंभीर संकटों का सामना कर रहे थे, को अपरिहार्य परिस्थितियों में लगाए गए लॉकडाउन के कारण बड़ा झटका लगा.

Important
Important

By

Published : Mar 5, 2021, 4:35 PM IST

हैदराबाद :भारतीय रिजर्व बैंक ने पहले पुष्टि की थी कि अस्तित्व के लिए एमएसएमई वर्तमान में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. महामारी के दौरान भी MSMEs को कोई समर्थन नहीं मिला. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने निष्कर्ष निकाला है कि लघु उद्योगों को पुनर्जीवित करने में केंद्रीय पैकेज विफल रहा है. इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से एमएसएमई के पूर्वानुमान को दर्शाता है.

अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला है कि छोटे उद्योगों को 45 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है. हालांकि बैंक आवश्यक मदद का केवल 18 प्रतिशत ही प्रदान करने में सक्षम हैं. लघु उद्योग देश की आर्थिक प्रगति में योगदान दे रहे हैं. अपने सीमित निवेश के बावजूद वे न केवल 11 करोड़ से अधिक रोजगार प्रदान कर रहे हैं बल्कि विभिन्न प्रकार के सामानों का निर्माण भी कर रहे हैं. संकट के समय में उद्योगों को हताश आंखों की मदद के लिए छोड़ दिया जाता है. जबकि तत्काल सुधारात्मक उपाय हों तो इस क्षेत्र की मदद करना राष्ट्रहित में होगा.


जीडीपी में 30 फीसदी हिस्सेदारी

संबंधित मंत्रालय के अनुसार देश में 6.3 करोड़ लघु उद्योग हैं और वे देश के सकल घरेलू उत्पाद में 30 प्रतिशत का योगदान कर रहे हैं. पड़ोसी चीन में लगभग 3.8 करोड़ छोटे और मध्यम उद्योग उस देश की जीडीपी में 60 प्रतिशत का योगदान करते हैं. चीन में लगभग 80 प्रतिशत रोजगार के अवसर इस क्षेत्र द्वारा उत्पन्न होते हैं. एक अनुमान के अनुसार चीन में लगभग 16000 से 18000 नई कंपनियां हर रोज अस्तित्व में आ रही हैं. इस तरह के उत्साहजनक माहौल की कमी के कारण भारत के लघु उद्योग असमान परीक्षणों के दौर से गुजर रहे हैं ताकि वे खुद को बचाए रख सकें.

एमएसएमई के लाभ की नीतियां

केवल चीन ही नहीं अमरीका, जापान और सिंगापुर जैसे देश भी लघु और मध्यम स्तर के उद्योगों को तकनीकी और अन्य समर्थन देकर प्रोत्साहित कर रहे हैं. क्योंकि वे अपनी अर्थव्यवस्थाओं के लिए जीवन दाता के रूप में इस क्षेत्र के महत्व को समझते हैं. कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देश भी लघु उद्योगों को लाभ पहुंचाने वाली नीतियों को लागू कर रहे हैं. जर्मनी के बेहतर रोजगार परिदृश्य के पीछे का कारण देश द्वारा अपने लघु और मध्यम उद्यमों को दिया जाने वाला प्रोत्साहन है.

घोषणाओं पर अमल नहीं हो रहा

कई समितियों की रिपोर्टों की सिफारिशों के बावजूद इस क्षेत्र में नियमित और संस्थागत समर्थन का अभाव है. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने पहले से ही ऐसे साधनों का सुझाव दिया है जिनके द्वारा छोटे उद्योगों को पुनर्जीवित किया जा सकता है. इसने सभी नियमों और विनियमों से लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र को तीन साल की छूट देने का आह्वान किया है. 59 मिनट में क्षेत्र को ऋण स्वीकृत किए जाते हैं लेकिन यह राशि जारी होने में लंबा इंतजार लगता है. दरअसल, वित्तीय उत्तेजना की घोषणाओं में ईमानदारी की कमी है.

यह भी पढ़ें-ओटीटी प्लेटफार्मों को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाना जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

पात्रता के अनुसार वित्तीय सहायता, श्रमिकों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण और बाजार के साथ कनेक्टिविटी इन महत्वपूर्ण परिस्थितियों में लघु उद्योगों को प्रदान की जाने वाली अनिवार्यताएं हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details