शिमला:हिमाचल प्रदेश में चुनावी बिगुल बज गया है. मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने चुनावी समीकरण बैठाने शुरू कर दिए हैं. कांग्रेस ने भले प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की विरासत को संजोए रखने के लिए प्रदेश पार्टी की कमान उनकी पत्नी और सीनियर कांग्रेस लीडर प्रतिभा सिंह को सौंपी हो लेकिन बीजेपी ने इस बार रिवाज बदलने का दावा किया है. प्रदेश में पिछले 37 सालों में सरकार रिपीट नहीं हुई है.
प्रदेश में 12 नवंबर को मतदान होना है, जबकि नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे. हिमाचल प्रदेश की कुल 68 विधानसभा सीटें में से 48 विधानसभा सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं, जहां से कोई भी चुनाव लड़ सकता है. वहीं, 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं और 3 सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए रिजर्व है. इन आरक्षित सीटों के नतीजों पर नजर डालें तो इन सीटों को अपने पाले में करने वाली पार्टी ही हिमाचल में सरकार बनाती है.
हिमाचल में एससी सीटों का समीकरण: साल 2012 विधानसभा चुनाव की बात करें तो एससी की 17 सीटों पर 10 सीटों पर कांग्रेस ने परचम लहगाया था, जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ 6 सीटें आईं थी. वहीं, एक इंदौरा सीट अन्य के खाते में गई थी. पिछले चुनाव 2017 की बात करें तो बीजेपी के खाते में 44 सीटें आईं थी, जिसमें बीजेपी ने एससी की 17 सीटों में से 13 सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 4 सीटें ही आई थी. ऐसे में 2017 में एससी सीटों में अन्य दल या किसी भी निर्दलीय की दाल नहीं गली थी.
2012 और 2017 में वोट शेयर:विधानसभा चुनाव में पिछले दो बार के वोट शेयर की बात करें तो साल 2017 में कुल 11,45,849 मतदाता थे, जिसमें से 5,88,240 पुरुष मतदाताओं (51.34%) ने अपने मत का प्रयोग किया और 5,57,609 महिला मतदाताओं (48.66%) ने वोट डाला. तो वहीं, साल 2017 में कुल 12,49,527 मतदाता थे, जिसमें से 6,40,566 पुरुष मतदाताओं (51.26%) ने अपने मत का प्रयोग किया और 608956 महिला मतदाताओं (48.73%) ने वोट डाला. कुल मिलाकर मतदान प्रतिशत पिछले दो चुनावों से लगभग बराबर है.