प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि किसी निर्दोष को फंसाने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार होने की झूठी कहानी बनाना किसी महिला के लिए असामान्य होगा. हमारे देश में यौन उत्पीड़न की शिकार महिला किसी को झूठा फंसाने के बजाय चुपचाप सहती रहेगी. एक रेप पीड़िता का कोई भी बयान एक महिला के लिए बेहद अपमानजनक अनुभव होता है. जब तक वह यौन अपराध की शिकार नहीं होती, तब तक वह असली अपराधी के अलावा किसी और को दोष नहीं देगी.
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने 17 वर्षीय किशोरी के साथ रेप के आरोपी आशाराम को जमानत देने से इंकार करते हुए की. कोर्ट ने कहा कि भारत में कोई महिला किसी निर्दोष व्यक्ति को गलत तरीके से रेप या यौन उत्पीड़न में मुकदमे में नहीं फंसाएगी. न्यायालय को पीड़िता के साक्ष्य की सराहना करते समय देश में विशेष रूप से ग्रामीण भारत में प्रचलित मूल्यों को ध्यान में रखना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि भारत में जिन महिलाओं ने यौन आक्रामकता का अनुभव किया है. वे किसी पर झूठा आरोप लगाने की बजाय चुपचाप सहन करती हैं.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी 22 अगस्त 2022 को नाबालिग को जबरन एक सुनसान जगह पर ले गया. जहां उसने यौन शोषण किया. घटना के बारे में पुलिस में शिकायत करने की धमकी देने के बाद अगले दिन उसने उसे उसके गांव के बाहर छोड़ दिया. एसपी संभल के हस्तक्षेप के बाद 31 अगस्त 2022 को आईपीसी और पोक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत राजपुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई. आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.