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Parliament Monsoon Session: लोकसभा में शोर-शराबे के बीच 5 विधेयक पारित, राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पास

लोकसभा में सोमवार को पांच विधेयकों को मंजूरी दी गई. वहीं, राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा हुई.ये पास हो गया. समर्थन में 131 और विरोध में 102 मत पड़े.

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Published : Aug 7, 2023, 7:46 PM IST

Updated : Aug 7, 2023, 10:17 PM IST

नई दिल्ली :संसद में आज सप्ताह की शुरुआत ही शोर-शराबे के साथ हुई. लोकसभा में जहां भाजपा के सदस्यों ने सदन की शुरुआत से ही 'कांग्रेस-चीनी भाई भाई' का नारा लगाना शुरू किया. वहीं, विपक्ष ने भी प्रश्नकाल के दौरान नारेबाजी की. हालांकि, सभापति ओम बिरला ने विपक्ष को नारेबाजी से टोका, लेकिन वे जब नहीं माने, तब सभापति ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. इसके बाद जब दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तब भी शोर-शराबा हुआ. इस बीच लोकसभा ने पांच बिल पारित किये. इनमें डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक, 2023, अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान विधेयक 2023, फार्मेसी संशोधन विधेयक 2023, मध्यकता विधेयक, 2023 और तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक 2023 हैं.

वहीं, राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा हुई. ये बिल पास हो गया. समर्थन में 131 और विरोध में 102 मत पड़े.

अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान विधेयक 2023 : लोकसभा ने अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान विधेयक 2023 को पारित किया जिसमें देशभर के विश्वविद्यालयों में अनुसंधान को वित्त पोषित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रतिष्ठान स्थापित करने का प्रावधान किया गया है. सदन में संक्षिप्त चर्चा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह के जवाब के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी. सिंह ने निचले सदन में संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक मानव संसाधन और वित्तपोषण का लोकतंत्रीकरण करने के लिए है. उन्होंने कहा कि यह संस्था ने राज्यों के स्तर पर विश्वविद्यालयों के बीच स्पर्धा को प्रोत्साहित करेगा ताकि उन्हें निधि प्राप्त हो सके . इस स्पर्धा में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंध संस्था (आईआईएम) शामिल नहीं होंगे.

विधेयक को चर्चा और पारित करने के लिए रखते हुए सिंह ने कहा कि आज यहां इतिहास बन रहा है क्योंकि 75 साल में ऐसा विधेयक कभी नहीं आया. उन्होंने कहा, "कुछ देशों ने अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान जैसे संस्थान गठित किए हैं. हम उन देशों से एक कदम आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं." सिंह का कहना था, "हम इस विधेयक के माध्यम से राज्यों का सशक्तीकरण कर रहे हैं . वे अपने विश्वविद्यालयों को वित्तपोषण नहीं कर पा रहे थे, ऐसे में हम उन्हें मदद दे रहे हैं." उन्होंने कहा कि अब समय आ यहा है कि सार्वजनिक निजी भागीदारी की ओर बढ़ा जाए. यह संस्था उद्योग जगत को अकादमिक व्यवस्था के साथ जोड़ेगी.

सिंह के अनुसार, इसके तहत स्थापित होने वाले प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे तथा शिक्षा मंत्री, विज्ञान मंत्री और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार इसमें शामिल होंगे. इसमें उद्योग जगत से पांच सदस्य हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस संस्था के लिए कुल 50 हजार करोड़ रुपये का बजट पांच साल के लिए रखा गया है. इसमें 36 हजार करोड़ रुपये उद्योग जगत के माध्यम और अन्य साधनों से एकत्र किए जाएंगे. विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के जगदंबिका पाल ने कहा कि इस विधेयक से भविष्य की चुनौतियों से निपटा जा सकेगा. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि यह संस्था बनने के बाद दुनिया शोध के मामले में भारत पर निर्भर होगी, भारत दूसरों पर निर्भर नहीं रहेगा." वहीं, वाईएसआर कांग्रेस के टी. रंगैया ने विधेयक का समर्थन किया. बहुजन समाज पार्टी के मलूक नागर, शिरोमणि अकाली दल (एम) के सिमरनजीत सिंह मान ने भी चर्चा में भाग लिया.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि यह विधेयक अनुसंधान और विकास, वैज्ञानिक खोजों, नई प्रौद्योगिकियों और अभिनव अनुप्रयोगों की आधारशिला है. प्रतिस्पर्धा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की सफलता और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विभिन्न आयामों में चुनौतियों और अवसरों का समाधान करने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसमें कहा गया है कि विज्ञान के सभी क्षेत्रों में एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का विकास आवश्यक है. इसमें गणितीय विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं पृथ्वी विज्ञान, स्वास्थ्य और कृषि के साथ ही मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान के वैज्ञानिक और तकनीकी आयाम सम्मिलित हैं. इसके अनुसार, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड अधिनियम 2008 में अब तक ऐसे अनुसंधान में लगे व्यक्तियों को वित्तीय सहायता के माध्यम से विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अच्छा अवसर प्रदान किया गया. फिर भी विज्ञान अधिनियम के माध्यम से गठित विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड का पैमाना और क्षेत्र सीमित रहा.

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में निर्णायक बदलाव लाने में सक्षम अनुसंधान और नवाचार के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण के जरिये एकीकृत योजना और समन्वय की आवश्यकता है. हमारे देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित मानव संसाधनों का एक विशाल समूह है जिनमें से कई लोग भारत के बाहर के विश्वविद्यालय और संस्थाओं में वैज्ञानिक अनुसंधान के अवसर तलाश सकते हैं. इसका मकसद वित्तीय रूप से व्यावहारिक अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों का दोहन करना भी है. प्रस्तावित नए विधान का उद्देश्य वैज्ञानिक खोज के लिए भारत के राष्ट्रीय अनुसंधान और ज्ञान उद्यमिता और नवाचार क्षमता को बढ़ाना है. इसमें कहा गया है कि ‘अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान विधेयक 2023’ का मकसद एक बहुत ही जीवंत एवं विश्वस्तरीय सक्षम वैज्ञानिक पारिस्थितिक तंत्र का सृजन करना है. विधेयक के उपबंध 3 और 4 में अनुसंधान राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान की स्थापना का उपबंध किया गया है. विधेयक में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले प्रतिष्ठान के प्रशासनिक बोर्ड की संरचना का भी उल्लेख किया गया है. इसमें वित्तीय कोष के गठन की बात भी कही गई है जिसमें निजी क्षेत्र का भी योगदान होगा. राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान के संचालक मंडल में प्रतिष्ठित शोधार्थी और पेशेवर शामिल होने की बात कही गई है.

डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक 2023 : लोकसभा ने शोर-शराबे के बीच ‘डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी जिसमें डिजिटल व्यक्तिगत डाटा के संरक्षण तथा व्यक्तिगत डाटा का संवर्द्धन करने वाले निकायों पर साधारण और कुछ मामलों में विशेष बाध्यता लागू करने का उपबंध किया गया है. निचले सदन में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह विधेयक देश के 140 करोड़ लोगों के डिजिटल वैयक्तिक डाटा की सुरक्षा से संबंधित है. उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में डिजिटल इंडिया की चर्चा चल रही है और दुनिया के कई देश इसे अपनाना चाहते हैं, चाहे डिजिटल भुगतान प्रणाली हो, आधार की व्यवस्था हो या डिजिटल लॉकर हो. वैष्णव ने कहा कि 90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ गए हैं और 4जी, 5जी और भारतनेट के माध्यम से छोटे-छोटे गांव तक डिजिटल सुविधा पहुंच गई है.

विधेयक का उल्लेख करते हुए वैष्णव ने कहा कि पिछले कई वर्षों में संसद की स्थायी समिति सहित अनेक मंचों पर कई घंटों तक इस पर चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि 48 संगठनों तथा 39 विभागों/मंत्रालयों ने इस पर चर्चा की और इनसे 24 हजार सुझाव/विचार प्राप्त हुए. उन्होंने कहा कि इस विधेयक की भाषा को काफी सरल रखा गया है ताकि आम लोग भी इसे आसानी से समझ सकें. विधेयक के सिद्धांतों के संबंध में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का डाटा, किसी प्लेटफार्म या ऐप पर आने वाला डाटा अब कानून के तहत आयेगा. इसमें कहा गया है कि इस डाटा को जिस उद्देश्य के लिए लिया जाए, उसी उद्देश्य से उपयोग किया जाए. उन्होंने बताया कि इसमें प्रावधान किया गया है कि जितना डाटा चाहिए, उतना ही लिया जाए और किसी व्यक्ति के निजी डाटा में बदलाव आने पर उसके अनुरूप ही अनुपालन किया जाए. विधेयक के उद्देश्य में कहा गया कि जितने समय तक डाटा को रखना चाहिए, उतने ही समय तक रखा जाए. वैष्णव ने कहा कि इसके माध्यम से डाटा सुरक्षा की जवाबदेही निर्धारित की गई है.

मंत्री ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है और इस विधेयक के संबंध में संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भाषाओं में नोटिस देने की बात कही गई है. उन्होंने बताया कि ऐसे ही यूरोपीय कानून में 16 अपवाद का उल्लेख है जबकि इस विधेयक में चार अपवाद का उल्लेख है. निचले सदन में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्य शोर- शराबा कर रहे थे. इस पर केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि अच्छा होता कि विपक्षी सदस्य इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा करते लेकिन विपक्ष को नागरिकों और उनके अधिकारों की कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि इन्हें सिर्फ नारे लगाने हैं, चर्चा में कोई रूचि नहीं है. मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से ‘डिजिटल वैयक्तिक डाटा संरक्षण विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी.

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फार्मेसी संशोधन विधेयक 2023 : लोकसभा ने ‘फार्मेसी संशोधन विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी जिसमें जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में फार्मेसी अधिनियम, 1948 में संशोधन का प्रस्ताव है. लोकसभा में विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू किया गया और इसके परिणामस्वरूप पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में लागू अनेक कानून निरस्त हो गये. इनमें जम्मू कश्मीर फार्मेसी कानून, संवत 2011 (1955) भी शामिल है जो राज्य में फार्मेसी व्यवसाय का विनियमन कर रहा था. उन्होंने कहा कि इसके बाद जम्मू कश्मीर फार्मेसी परिषद का पुनर्गठन किया गया और केंद्रशासित प्रदेश में फार्मेसी अधिनियम, 1948 अपनाया गया. मंत्री ने कहा कि इसी क्रम में जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में 1948 के फार्मेसी कानून में संशोधन की आवश्यकता हुई.

विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार जम्मू कश्मीर में किसानों, मजदूरों और युवाओं को रोजगार देने के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से विकास की गति बढ़ी है. मंडाविया ने कहा, ‘‘पहले जम्मू कश्मीर के युवा हाथ में पत्थर लेते थे, अब उनके हाथ में रोजगार है, टैबलेट हैं, कंप्यूटर हैं. वहां युवाओं को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार मिल रहे हैं.’’ उन्होंने इस दौरान कुछ विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि निजी राजनीति के लिए ‘‘कई परिवारों ने जम्मू कश्मीर को विकास की गति से जुड़ने नहीं दिया. लेकिन अनुच्छेद 370 हटते ही जम्मू कश्मीर का औद्योगिक विकास होने लगा है. आज विदेशी कंपनियां वहां निवेश को आ रही हैं.’’

मंडाविया ने कहा कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आयुष्मान योजना के तहत पहली बार हृदय की सर्जरी की गई. मंत्री के जवाब के बाद निचले सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी. विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के ढाल सिंह बिसेन ने कहा कि यह विधेयक जम्मू कश्मीर के फार्मेसी समुदाय के हित में है. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के संजीव कुमार ने भी चर्चा में भाग लिया.

मध्यस्थता विधेयक 2023 : लोकसभा में ‘मध्यकता विधेयक, 2023’ को मंजूरी मिली जिसमें मध्यस्थता की प्रक्रिया को सुगम बनाने तथा अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में कमी लाने का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक में भारतीय मध्यस्थता परिषद स्थापित करने का भी प्रावधान है. राज्यसभा ने पिछले सप्ताह चर्चा के बाद सरकार द्वारा लाये गये विभिन्न संशोधनों के साथ उक्त विधेयक को मंजूरी दी थी. आज लोकसभा ने संक्षिप्त चर्चा के बाद ‘मध्यकता विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी.

विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया है कि इसका उद्देश्य वाणिज्यिक एवं अन्य विवादों का समाधान मध्यस्थता विशेषकर संस्थागत मध्यस्थता के जरिये करने को प्रोत्साहन और सहूलियत दी जाएंगी. इसमें मध्यस्थता के माध्यम से निकाले गये समझौते को लागू करवाने का प्रावधान है. विधेयक में मध्यस्थता करने वालों के पंजीकरण के लिए एक निकाय - भारतीय मध्यस्थता परिषद स्थापित करने का प्रावधान है. विधेयक में ऑनलाइन मध्यस्थता का भी प्रावधान किया गया है. इसमें मध्यस्थता की प्रक्रिया को 180 दिनों में पूरा करने का भी प्रावधान है.

तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 :निचले सदन ने सोमवार को तटीय जलकृषि प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 को भी अपनी मंजूरी दी. इसमें तटीय जल कृषि कानून के दायरे का विस्तार करने, कारावास के प्रावधानों को हटाने तथा पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों से समझौता किये बिना नियामक अनुपालन शर्तों को आसान करने का प्रावधान किया गया है. सदन में इस विधेयक पर चर्चा और केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के जवाब के बाद इसे ध्वनिमत से मंजूरी दी गई.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 7, 2023, 10:17 PM IST

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