नई दिल्ली : संसद ने अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2023 को गुरुवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसमें खनन के क्षेत्र में नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. राज्यसभा ने इस विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. विधेयक में अपतटीय क्षेत्र में 50 वर्ष के लिए उत्पादन पट्टा देने का प्रावधान है.
उच्च सदन में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि अपतटीय खनन के मामले में पर्यावरण संबंधी किसी नियम का उल्लंघन नहीं होगा तथा संबद्ध राज्यों के साथ समुचित विचार विमर्श किया जाएगा. उन्होंने कई देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां अपतटीय खनन के साथ मात्स्यिकी आदि विभिन्न कार्य साथ-साथ चलते हैं. उन्होंने कहा कि विधेयक में अपतटीय खनन से होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति के प्रावधान किए गए हैं.
जोशी ने कहा कि देश में इस समय अमृतकाल चल रहा है और इस विधेयक के कानून बनने के बाद अपतटीय क्षेत्र में खनन के माध्यम से बहुमूल्य रत्नों को बाहर निकाला जाएगा. जोशी ने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के शासनकाल में खनन क्षेत्र में निविदाएं प्रदान करने के मामले में हुई अनियमितताओं का उल्लेख किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि निजी क्षेत्र द्वारा किए गए खनन में परमाणु खनिज मिलते हैं तो उसका दायित्व सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) को दिया जाएगा. उन्होंने कुछ सदस्यों द्वारा अपतटीय क्षेत्र में खनन की प्रक्रिया को काफी महंगा बताये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया भले ही अधिक निवेश वाली हो किंतु इसके पहले जरूरी है कि कोई नियम या कानून मौजूद हो और सरकार इसी उद्देश्य के साथ यह विधेयक लायी है.
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि इससे खानों एवं खनन संबंधी कार्यों की नीलामी में पारदर्शिता आएगी. उन्होंने कहा कि विधेयक में नियमों का उल्लंघन होने पर दंड की राशि 50 हजार रूपये से बढ़ाकर पांच से दस लाख रुपये करने का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि देश जब विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा हो तो यह आवश्यक हो जाता है कि हम खनन कार्यों को बढ़ाकर खनिजों के आयात पर लगने वाली विदेशी मुद्रा की बचत करें.
भारतीय जनता पार्टी के अनिल सुखदेवराव बोंडे ने कहा कि अपतटीय खनन के मामले में अध्ययन एवं विकास कार्यों को इस विधेयक के प्रावधानों से काफी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा देश की तटीय रेखा बहुत विशाल हैं. उन्होंने कहा कि विधेयक में कंपोजिट लाइसेंस देने का प्रावधान किया गया है. अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने कहा कि तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र में खनन कार्यों में लगे कुछ निजी क्षेत्र के लोग नियमों के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं और उनकी गतिविधियों पर नियंत्रण लगाने की जरूरत है. विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस सहित विपक्ष के सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन किया. विधेयक पर हुई चर्चा में भाजपा के के लक्ष्मण, वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी और बहुजन समाज पार्टी के रामजी ने भी भाग लिया.
विधेयक के माध्यम से 'अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2002' में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है. इसके उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि भारत, नौ तटीय राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों की लंबी तटरेखा और वृहद आर्थिक क्षेत्र एवं समुद्री स्थिति में होने के बावजूद अपनी विकास संबंधी जरूरतों के लिए अपतटीय खनिज संसाधनों का दोहन नहीं कर पा रहा है. इसके अनुसार वर्तमान कानून में परिचालन अधिकारों को आवंटित करने के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र के विधिक ढांचे की कमी और ब्लाकों के आवंटन पर लंबित मुकदमों के गतिरोध के कारण अपतटीय ब्लाकों के आवंटन के पिछले प्रयासों के वांछित परिणाम नहीं मिले. ऐसे में यह विधेयक लाया गया है. इसमें कहा गया कि इसके माध्यम से प्रतियोगी बोली द्वारा केवल नीलामी के माध्यम से निजी क्षेत्रों के लिए उत्पादन पट्टे को प्रदान करने का उपबंध किया गया है.
डाटा संरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश :सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में 'डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक' पेश किया. विधेयक को अध्ययन के लिए संसदीय समिति को भेजे जाने की विपक्षी सदस्यों की मांग के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे सदन में पेश किया. उन्होंने विधेयक पेश करते हुए कुछ सदस्यों की इस धारणा को खारिज कर दिया कि यह एक 'धन विधेयक' है. उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य विधेयक है. सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी सदस्यों मनीष तिवारी एवं शशि थरूर आदि ने विधेयक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि इसमें निजता का अधिकार जुड़ा है और सरकार को जल्दबाजी में यह विधेयक नहीं लाना चाहिए.
राज्यसभा ने प्रेस एवं नियत कालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक को दी मंजूरी :राज्यसभा ने गुरुवार को प्रेस एवं नियत कालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक 2023 को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसमें प्रकाशकों के लिए प्रक्रियागत अड़चनों को दूर करने तथा पत्र-पत्रिकाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया को आनलाइन बनाने सहित कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. उच्च सदन में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा रखे गये इस विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया. विधेयक पर चर्चा और इसे पारित किए जाने के दौरान विपक्षी सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे क्योंकि उन्होंने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर सदन से पहले ही बहिर्गमन कर दिया था.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा चर्चा में शामिल तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इस विधेयक से अखबारों या पत्रिकाओं के पंजीकरण की प्रक्रिया ना सिर्फ आसान होगी बल्कि उद्यमियों के लिए व्यवसाय की सुगमता भी उपलब्ध होगी. चर्चा का जवाब देते हुए सूचना प्रसारण मंत्री ठाकुर ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है और ऐसे समय में लाया गया है जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ से 100वीं वर्षगांठ की ओर बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा, 'इस स्वर्णिम काल में हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिले. क्योंकि यह विधेयक 1867 में अंग्रेजों के बनाए कानून की जगह लेगा. अंग्रेज शासक प्रेस पर नियंत्रण के लिए यह कानून लाये थे.' उन्होंने कहा कि पुराने कानून में छोटी-मोटी गलतियों को एक अपराध मान कर जेल में डालने या अन्य दंड का प्रावधान था लेकिन नए विधेयक में इसे खत्म करने के लिए उचित कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि नए विधेयक में पंजीकरण की प्रकिया में आने वाली बाधाओं को समाप्त किया गया है और इसका सरलीकरण किया गया है.
उन्होंने कहा कि पहले आठ चरणों में पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी होती थी और इसमें दो से तीन साल तक लग जाते थे लेकिन नए विधेयक के कानून बन जाने के बाद एक आसान ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से पंजीकरण कराया जा सकेगा और यह दो से तीन महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी. ठाकुर ने कहा कि सरकार ने प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कदम भी उठाने शुरु कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि पंजीकरण के लिए पोर्टल बनाने का काम शुरू हो गया और इसी साल अगस्त महीने में इसको लांच कर दिया जाएगा.