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PARLIAMENT MONSOON SESSION: लोकसभा और राज्यसभा में शोर-शराबे के बीच पेश हुए ये विधेयक - Lok Sabha Rajya Sabha Bill

संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को मणिपुर मुद्दे को लेकर गतिरोध जारी रहा. शोर-शराबे के बीच लोकसभा तीन विधेयकों को मंजूरी मिली, तो वहीं, राज्यसभा में दो विधेयक पेश किये गए.

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Published : Aug 1, 2023, 6:59 PM IST

नई दिल्ली : मणिपुर के मुद्दे पर संसद में मानसून सत्र के प्रारंभ से जारी गतिरोध अब भी बरकरार है. मंगलवार को विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी. विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही निचले सदन में तीन विधेयक पारित हुए और एक विधेयक पेश किया गया. लोकसभा में जिन तीन विधेयकों को मंजूरी दी गई उनमें ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023, ‘अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 और ‘संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक, 2023’ शामिल हैं. वहीं, विवादास्पद ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ निचले सदन में पेश किया गया. इस विधेयक को पेश किये जाने का विपक्षी दलों ने विरोध किया. इस पर बुधवार को सदन में चर्चा होगी. इधर, राज्यसभा में अधिवक्ता संशोधन विधेयक और प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक पेश किये गए.

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक : लोकसभा में विवादास्पद ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023’ पेश किया गया. यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापना के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है. निचले सदन में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की ओर से विधेयक पेश किया. विधेयक पेश किये जाने का कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, शशि थरूर एवं गौरव गोगोई, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी आदि ने विरोध किया.

विधेयक पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के हवाले से इसे पेश किये जाने का विरोध किया जा रहा है लेकिन उसी आदेश के पैरा 6, पैरा 95 में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि संसद, दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई कानून बना सकती है. शाह ने कहा कि विधेयक पेश किये जाने के खिलाफ सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं और इनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है, संसद के नियमों के तहत भी इनका कोई आधार नहीं है. इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक पेश किये जाने की मंजूरी दे दी.

खनिज क्षेत्र से जुड़े विधेयक को मंजूरी : लोकसभा ने ‘अपतट क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023’ को मंजूरी दी जिसके माध्यम से 2002 के अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है. कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विधेयक पर सदन में हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब दिया जिसके बाद सदन ने ध्वनिमत से इसे मंजूरी दी. विधेयक को पारित किए जाने के दौरान विपक्ष के सदस्य मणिपुर के मुद्दे को लेकर लगातार नारेबाजी करते रहे. विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए जोशी ने कहा, "मुझे बहुत दुख हो रहा है कि विपक्ष के लोग इतने महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं." उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इन लोगों की सरकार में कोयला ब्लॉक का मनमाने ढंग से आवंटन किया गया था और कोई पारदर्शिता नहीं थी.

जोशी ने कहा, "हम नीलामी के जरिये आवंटन कर रहे हैं. हम पारदर्शिता लाए हैं. अब भाई-भतीजे को आवंटन नहीं हो रहा है. इसलिए ये लोग नारेबाजी कर रहे हैं." उन्होंने आरोप लगाया कि पहले कांग्रेस कार्यालय से पत्र आता था तो कोयला खदानों का आवंटन किया जाता था. चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के गोपाल शेट्टी ने कहा कि विधेयक से पारदर्शिता आएगी और कारोबार सुगमता में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद सभी राज्यों को बड़े पैमाने पर पैसा मिलेगा. बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा और बहुजन समाज पार्टी के मलूक नागर ने भी विधेयक का समर्थन किया. विधेयक के माध्यम से ‘अपटत क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2002’ में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है.

इसे विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि भारत, नौ तटीय राज्यों और चार संघ राज्य क्षेत्रों की लंबी तटरेखा और वृहद आर्थिक क्षेत्र एवं समुद्री स्थिति में होने के बावजूद अपनी विकास संबंधी जरूरतों के लिए अपतटीय खनिज संसाधनों का दोहन नहीं कर पा रहा है. इनके अनुसार वर्तमान कानून में परिचालन अधिकारों को आवंटित करने के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र के विधि ढांचे की कमी और ब्लाकों के आवंटन पर लंबित मुकदमों के गतिरोध के कारण अपतटीय ब्लाकों के आवंटन के पिछले प्रयासों के वांछित परिणाम नहीं मिले. ऐसे में यह विधेयक लाया गया है. इसमें कहा गया कि इसके माध्यम से प्रतियोगी बोली द्वारा केवल नीलामी के माध्यम से निजी क्षेत्रों के लिए उत्पादन पट्टे को प्रदान करने का उपबंध किया गया है. इसमें केंद्र सरकार द्वारा आरक्षित किए गए खनिज संबंधी क्षेत्रों में सरकार या सरकारी कंपनी या निगम को प्रतियोगी बोली के बिना संक्रिया अधिकार देने का उपबंध किया गया है.

जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र से संबंधित विधेयक : लोकसभा ने शोर-शराबे के बीच ‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023’ को मंजूरी दी जिसमें लोगों की सुविधा एवं फायदे के लिए जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र के डिजिटल पंजीकरण और इलेक्ट्रॉनिक निष्पादन का प्रावधान किया गया है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में संक्षिप्त चर्चा का जवाब दिया और विधेयक को सदन ने ध्वनिमत से अपनी स्वीकृति दी. चर्चा का जवाब देते हुए राय ने कहा कि इस विधेयक में किसी तरह की शंका की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि मोदी सरकार इस विधेयक को बहुत ही पवित्र मन से लाई है. उन्होंने कहा कि लोगों के लिए सुविधाओं को सुगम बनाने के मसकद से यह विधेयक लाया गया है और यह जनहित में लाया गया विधेयक है.

मंत्री के अनुसार, इस विधेयक में सभी राज्यों से परामर्श लिया गया, लेकिन किसी ने कोई आपत्ति नहीं की. उन्होंने कहा कि इस विधेयक से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाणपत्र का पंजीकरण सरल हो जाएगा. चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के गुमान सिंह डामोर ने कहा कि इस संशोधन से आम लोगों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि इससे जन्म और मृत्यु दोनों का डिजिटल पंजीकरण हो सकेगा. उन्होंने इसे राष्ट्रीय महत्व का विधेयक बताया. शिवसेना के राहुल शिवाले ने कहा कि इससे जन्म एवं मृत्यु का डेटाबेस बनाया जा सकेगा जिससे विकास की योजनाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी. एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह पिछले दरवाजे से लाई जाने वाली ‘एनआरसी’ (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) है. उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि जनगणना कब होगी. ओवैसी ने कहा कि इस विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए.

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विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969, जन्म एवं मृत्यु के मामलों के पंजीकरण के नियमन को लेकर अमल में आया था. इस अधिनियम में अब तक संशोधन नहीं किया गया है और इसके संचालन की अवधि के दौरान सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने और इसे अधिक नागरिक अनुकूल बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता है. इसमें कहा गया है कि समाज में आए बदलाव और प्रौद्योगिकी उन्नति के साथ रफ्तार बनाये रखने एवं इसे नागरिकों की सुविधा के अनुकूल बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन की जरूरत थी. विधेयक में लोगों की सुविधा एवं फायदे के लिए जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र में डिजिटल पंजीकरण और इलेक्ट्रॉनिक निष्पादन का प्रावधान किया गया है. इसमें पंजीकृत जन्म एवं मृत्यु का राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय डाटाबेस तैयार करने की बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि इसका मकसद अधिनियम में संशोधन के बाद नये कानून के प्रभाव में आने पर जन्म लेने वाले किसी व्यक्ति के लिए किसी शैक्षणिक संस्थान में दाखिले, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, मतदाता सूची तैयार करने, केंद्र सरकार, राज्य सरकार में पदों पर नियुक्ति को लेकर जन्म प्रमाणपत्र को एक ही दस्तावेज के रूप में प्रयोग करने की बात कही गई है.

छत्तीसगढ़ से संबंधित संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक : लोकसभा ने ‘संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी जिसमें छत्तीसगढ़ में महरा तथा महारा समुदायों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है. विधेयक पर सदन में हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति सहित समाज के आखिरी पायदान पर खड़े लोगों के लिए पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की सूचियों में संशोधन करने की एक प्रक्रिया होती है. इसमें राज्यों से सिफारिशें आती हैं तथा इस पर कई स्तरों पर विचार करने के बाद प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष भेजा जाता है. छत्तीसगढ़ में महरा तथा महारा समुदायों से संबंधित इस विधेयक के बारे में कुमार ने कहा कि इसके अमल में आने पर इन समुदाय के बच्चे मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर सकेंगे और सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ‘संविधान अनुसूचित जातियां आदेश संशोधन विधेयक, 2023’ को मंजूरी दे दी. इस दौरान विपक्षी सदस्य मणिपुर के मुद्दे पर शोर-शराबा कर रहे थे.

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 341 के खंड (1) के उपबंधों के अनुसार, विभिन्न राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों के संबंध में अनुसूचित जातियों से संबंधित छह राष्ट्रपतीय आदेश जारी किये गए थे. संविधान के अनुच्छेद 341 के खंड (2) के अधीन संसद के अधिनियमों द्वारा समय-समय पर इन आदेशों को संशोधित किया गया है. इसमें कहा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने अनुसूचित जातियों की सूची में महरा और महारा समुदायों को सम्मिलित करने का प्रस्ताव किया है. भारत के महापंजीयक तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने प्रस्ताव पर अपनी सहमति प्रदान कर दी है. इसमें कहा गया है कि उपरोक्त परिवर्तन को प्रभावी बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के संबंध में संविधान अनुसूचित जातियां आदेश 1950 में संशोधन करना आवश्यक है. विधेयक के वित्तीय ज्ञापन में कहा गया है कि विधेयक छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जातियों की सूची में ‘महरा’ और ‘महारा’ समुदाय को सम्मिलित करने के लिए है.

अधिवक्ता संशोधन विधेयक व प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक : सरकार ने राज्यसभा में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 तथा प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 पेश किए. भोजनावकाश के बाद उच्च सदन की बैठक फिर शुरू होने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सभापति की अनुमति से प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023 पेश किया. इस विधेयक के कारणों एवं उद्देश्य में कहा गया है कि यह प्रेस और पत्रिका पंजीकरण (पीआरबी) अधिनियम, 1867’ की जगह लेगा जिसमें देश में मुद्रण और प्रकाशन उद्योग के पंजीकरण से संबंधित प्रावधान हैं. इसमें भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक (आरएनआई) के साथ पत्रिकाओं के पंजीकरण के लिए सरल ऑनलाइन प्रणाली का प्रस्ताव होगा. कानून एवं विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने उच्च सदन में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया. इस विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों के अनुसार भारत के विधि आयोग की रिपोर्ट में की गयी सिफारिशों के अनुसार अधिवक्ता के पेशे से संबंधित विभिन्न प्रावधान किए गए है.

(पीटीआई-भाषा)

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