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कम प्रतिनिधित्व वाले लोगों की न्याय संबंधी जरूरतों को पूरा करना जरूरी: CJI - justice needs of under represented

कानूनी सहायता तक पहुंच पर आयोजित पहले क्षेत्रीय सम्मेलन में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि कम प्रतिनिधित्व वाले लोगों की न्याय संबंधी जरूरतों को पूरा करना जरूरी है. कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) द्वारा किया गया था. Legal Aid, DY Chandrachud, Regional Conference on Access to Legal Aid.

DY Chandrachud
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़

By PTI

Published : Nov 27, 2023, 3:46 PM IST

नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय तक पहुंच केवल जन-समर्थक न्यायशास्त्र तैयार करके हासिल नहीं की जा सकती, बल्कि बुनियादी ढांचे में सुधार और कानूनी सहायता सेवाओं को बढ़ाने जैसे अदालत के प्रशासनिक पक्ष में भी सक्रिय प्रगति की आवश्यकता है.

राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) द्वारा यहां कानूनी सहायता तक पहुंच पर आयोजित पहले क्षेत्रीय सम्मेलन में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों के लिए चुनौती व्यक्तिगत मामले के तथ्यों में न्याय करना नहीं है, बल्कि प्रक्रियाओं को संस्थागत बनाने और चीजों को तात्कलिकता से परे देखने की भी है.

उन्होंने कहा, 'न्याय तक पहुंच कोई ऐसा अधिकार नहीं है जिसे केवल हमारे फैसलों में जन-समर्थक न्यायशास्त्र तैयार करके हासिल किया जा सकता है, बल्कि इसके लिए अदालत के प्रशासनिक पक्ष में भी सक्रिय प्रगति की आवश्यकता है.'

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मानवाधिकारों और न्याय तक पहुंच के बारे में चर्चा पर ऐतिहासिक रूप से वैश्विक उत्तर यानी ग्लोबल नॉर्थ (औद्योगिक देशों) की आवाजों का एकाधिकार रहा है, जो इस तरह के संवादों को अनुपयुक्त बनाता है.

उन्होंने कहा, 'हमारे देश में कम प्रतिनिधित्व वाली आबादी की न्याय संबंधी जरूरतों को पूरा करना जरूरी है.' न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय की अवधारणा को ऐतिहासिक रूप से केवल एक संप्रभु देश की सीमा के भीतर ही लागू माना गया है.

उन्होंने कहा, 'वर्तमान युग में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जटिल जाल को देखते हुए, न्याय की हमारी अवधारणाएं भी बदल गई हैं. अंतरराष्ट्रीय संबंधों में, सभी देशों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता. हालांकि, कुछ राष्ट्र एकजुटता और अपनेपन की भावना साझा करते हैं. यहीं पर श्रेणियों का निर्माण हुआ है जैसे कि वैश्विक दक्षिण यानी ग्लोबल साउथ सहयोग, संवाद और विचार-विमर्श का महत्वपूर्ण बिंदु बन गया है.'

'ग्लोबल साउथ' शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है.

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