काबुल : ट्विटर पर पोस्ट की गईं तस्वीरों में काबुल में एक दीवार पर पेंट की गई महिलाओं की तस्वीरों को पेंट से ढंकते एक पुरुष की छवि दिखाई दे रही है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के काबुल की ओर बढ़ने के कारण हाल के दिनों में शहर की युवतियां मदद मांग रही हैं.
साल 2002 से पहले जब तालिबान ने अफगानिस्तान को कब्जे में लिया था, आतंकवादियों ने शरिया कानून के एक संस्करण का अभ्यास किया, जिसमें व्यभिचार करने पर पत्थर मारना, चोरी करने पर अंगों को काटना और 12 साल से अधिक उम्र की लड़कियों को स्कूल जाने से रोकना शामिल था.
तालिबान के एक अधिकारी को यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि इस तरह की सजा देने का निर्णय अदालतों पर निर्भर होगा. तालिबान ने हाल के दिनों में जिन क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है, उन क्षेत्रों की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि महिलाओं को पहले से ही बिना पुरुष साथी के अपने घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है और कुछ महिला कर्मचारियों को बताया गया था कि उनकी जगह नौकरी अब पुरुष करेंगे. इन इलाकों की महिलाओं को भी बुर्का पहनने को कहा जा रहा है.
इससे पहले, एक रिपोर्ट में कहा गया था कि तालिबान के एक प्रवक्ता ने कसम खाई है कि आतंकवादी महिलाओं और प्रेस के अधिकारों का सम्मान करेंगे. तालिबान के रविवार के बयानों का उद्देश्य वैश्विक चिंता को शांत करना प्रतीत होता है.
बुर्का पहनने के लिए मजबूर किए जाने की खबरें