पासिंग आउट परेड के बाद सेना में अफसर बने देहरादून के देवेश कहते हैं कि उन्होंने 9 साल बाद इस मुकाम को हासिल किया है. 5 साल आरआईएमसी और 3 साल एनडीए में रहने के बाद उन्होंने अकादमी ज्वॉइन की थी और आज वे बतौर अफसर सेना में शामिल हो रहे हैं. देवेश के पिता देहरादून सचिवालय में एडिशनल सेक्रेटरी थे. जो पिछले साल ही रिटायर हुए हैं. जोहड़ी गांव के रहने वाले देवेश कहते हैं कि उनकी बड़ी बहन पीसीएस अफसर हैं और भाई डॉक्टर. लेकिन उनका सपना सेना में जाकर देश की सेवा करने का था इसलिए उन्होंने एक अलग रास्ता चुना.
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इसी तरह नितेश भी अपने बीते हुए पलों को याद करते हैं और बताते हैं कि वह सेना में 2013 के दौरान सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे. लेकिन उनके कमांडिंग ऑफिसर ने उन्हें प्रेरित किया और कहा कि वह एक अच्छी नेतृत्व क्षमता रखते हैं. इसलिए उन्हें सेना में एक अफसर के रूप में जाने के लिए प्रयास करना चाहिए. इसके बाद नितेश ने मेहनत की और उन्होंने अपने अफसर की उस बात को याद रखा, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'बाकी नौकरियां तो बस केवल जॉब दे सकती है. लेकिन सेना में बतौर अफसर आपको नई जिंदगी मिलती है'
पासिंग आउट परेड में पंजाब के वतनदीप सिद्धू को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर मिला है. आंध्र प्रदेश के मज्जी गिरधर को स्वर्ण पदक मिला है. हरियाणा के निदेश यादव को रजत और उत्तर प्रदेश के शिखर थापा को कांस्य पदक मिला है. टेक्टिनकल ग्रेजुएट कोर्स में पंजाब के जसमिंदर पाल सिंह सिद्धू को रजत पदक मिला है. विदेशी कैडेट में तंदिन दोरजी को रजत पदक मिला है. चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बैनर कैसीनो कंपनी को दिया गया. अफसर बनने के बाद युवा सैन्य अधिकारियों ने अपने जोश को पुशअप दिया और साथियों के साथ जश्न मनाया. अकादमी से पास होने वाले सैन्य अफसर अपने साथी को गले लगा रहे थे. तो कोई अपने माता-पिता से खुशी का इजहार कर रहा था.