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बांग्लादेश से आ रहे अवैध प्रवासी भारत में जनसांख्यिकीय परिवर्तन का कारण : संसदीय समिति

समिति ने कहा कि बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा विकास साझेदार है. भारत ने उन्हें लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रियायती ऋण दिया है. जिसमें 7.862 बिलियन अमेरिकी डॉलर (59,000 करोड़ रुपये) की लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) शामिल है, जिसमें संपूर्ण एलओसी पोर्टफोलियो में भारत का लगभग 25 प्रतिशत शामिल है. पढ़ें पूरी खबर... Parliamentary Committee, Illegal migration from Bangladesh, demographic changes in India

demographic changes in India
प्रतिकात्मक तस्वीर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 4, 2023, 8:25 AM IST

नई दिल्ली:संसदीय समिति ने बांग्लादेश से अवैध प्रवासन पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. संसदीय समिति ने कहा है कि बांग्लादेश से अवैध प्रवासन भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती गांवों और देश के अन्य हिस्सों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन का कारण बन रहा है. संसदीय समिति ने इसपर रोक लगाने के लिए गृह मंत्रालय को विदेश मंत्रालय (एमईए) से निकट समन्वय में काम करने को कहा है.

समिति सीमा पार आतंकवाद, अवैध प्रवासन, नकली मुद्रा की तस्करी और बांग्लादेश सीमा पार से दवाओं और हथियारों की तस्करी की बार-बार होने वाली घटनाओं पर ध्यान देने के लिए चिंतित है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि विदेश मंत्रालय अवैध प्रवासियों का मुद्दा उठाता रहा है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला और द्विपक्षीय संस्थागत तंत्र भी स्थिति से निपटने में सक्षम नहीं है.

भारत और बांग्लादेश लगभग 4,096 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं. पांच राज्य असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल बांग्लादेश की सीमा से लगते हैं. संयुक्त सीमा कार्य समूह और संयुक्त सीमा सम्मेलन जैसे स्थापित द्विपक्षीय तंत्र हैं, जो सीमा और सीमा-संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाते हैं.

समिति ने कहा कि घुसपैठ, सीमा पार तस्करी आदि को रोकने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा का बेहतर प्रबंधन होना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस लंबी सीमा के प्रबंधन के लिए द्विपक्षीय तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए. समिति ने यह भी पाया कि बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा साझेदार है. उन्हें लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रियायती ऋण दिया गया है, जिसमें 7.862 बिलियन अमेरिकी डॉलर (59,000 करोड़ रुपये) की लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) शामिल है, जिसमें भारत का लगभग 25 प्रतिशत शामिल है.

इनमें 862 मिलियन अमेरिकी डॉलर (LOC-I), 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (LOC-II) और 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (LOC-III) की LOC शामिल हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों की 42 परियोजनाओं को कवर करती हैं. इसके अलावा, 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की एक अलग एलओसी है जो केवल रक्षा-संबंधी परियोजनाओं के लिए समर्पित है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तीन एलओसी के अंतर्गत शामिल 42 परियोजनाओं में से 14 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं; वर्तमान में आठ परियोजनाएं चल रही हैं. सात परियोजनाओं के टेंडर निकलने हैं. 13 परियोजनाएं तैयारी के चरण में हैं.

एलओसी के अलावा, भारत बांग्लादेश को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता भी प्रदान कर रहा है, जिसमें अखौरा-अगरतला रेल लिंक, अंतर्देशीय जलमार्गों की ड्रेजिंग और बांग्लादेश में हाई-स्पीड डीजल की आपूर्ति के लिए भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन का निर्माण शामिल है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, छात्र छात्रावासों, शैक्षणिक भवनों, कौशल विकास और प्रशिक्षण संस्थानों, सांस्कृतिक केंद्रों, अनाथालयों के साथ-साथ विभिन्न विरासत बहाली परियोजनाओं के निर्माण सहित 74 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं को भी भारत द्वारा वित्त पोषित किया गया है.

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