दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Illegal Weapon in Gwalior Chambal Region: चुनावी समर में चंबल अंचल में होती है 'धांय-धांय', पुलिस के लिए मुसीबत बने अवैध हथियार - ILLEGAL ARMS SMUGGLING INCREASES DURING ELECTION

MP में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार चंबल अंचल में ही पाए जाते हैं. खास बात ये है कि लाइसेंसी के अलावा यहां अवैध हथियारों की सप्लाई भी बड़े पैमाने पर की जाती है, जो चुनावों में पुलिस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होती. लिहाजा हाल ही में होने जा रहे निकाय और पंचायत चुनावों के मद्देनजर पुलिस हथियार तस्करों की धरपकड़ में जुटी है. पढ़िए पूरी खबर...

Illegal Weapon in Gwalior Chambal Region
चुनावी समर में चंबल अंचल में होती है 'धांय-धांय'

By

Published : May 30, 2022, 11:12 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में अगले महीने पंचायत चुनाव होने हैं. जब भी चुनावों का ऐलान होता है, तो ग्वालियर-चंबल अंचल में पुलिस की धड़कनें तेज हो जाती है. क्योंकि चुनावों में यहां अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ जाती है और इसको रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है. यही वजह है कि पंचायत चुनाव का ऐलान होने के बाद पुलिस ने अब अपने मुखबिर तंत्रो को मजबूत करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही ग्वालियर-चंबल अंचल के बॉर्डर पर तेजी से सख्ती लाने के निर्देश दिए हैं. क्योंकि अंचल में भारी मात्रा में अवैध हथियारों की तस्करी की जाती है और इसका उपयोग चुनावों में लोगों को डराने, धमकाने और हत्या के प्रयासों जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है.

चुनावी समर में चंबल अंचल में होती है 'धांय-धांय'

पड़ोसी राज्यों से होती है तस्करी: ग्वालियर-चंबल इलाका वैसे तो डाकुओं के नाम से बदनाम है. अब इस इलाके में डाकू तो नहीं रहे, अब यह इलाका अवैध हथियारों की तस्करी के लिए जाना और पहचाना जाता है. ग्वालियर-चंबल अंचल में अवैध हथियारों की तस्करी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा से होती है. हालांकि पुलिस लगातार अवैध हथियारों को लेकर कार्रवाई भी करती रहती है. इसके बावजूद भी अवैध हथियारों का तस्करी का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. चंबल में अवैध हथियारों की तस्करी उस समय कई गुना हो जाती है. जब चुनाव का ऐलान होता है. पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद अंचल में अवैध हथियारों की तस्करी में लगातार तेजी की संभावना है. यही वजह है कि अवैध हथियारों को रोकना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है.

चुनाव के दौरान अवैध हथियारों का ज्यादा उपयोग: मध्यप्रदेश में जून में पंचायत चुनाव होने हैं. ऐसे में हर बार देखा जाता है कि, पंचायत चुनाव में लोग अपनी राजनीतिक दुश्मनी के साथ-साथ, आपसी रंजिश और डराने, धमकाने के लिए अवैध हथियारों का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि चुनाव के वक्त लाइसेंसी बंदूक थाने में जमा हो जाती हैं और इसी के चलते लोग अवैध हथियारों का ज्यादा उपयोग करते हैं. यही वजह है कि चुनाव के समय ग्वालियर-चंबल अंचल में सबसे ज्यादा अवैध हथियार खरीदे जाते हैं और उसका उपयोग चुनाव में किया जाता हैं. हर बार चुनावों में अवैध हथियारों के जरिए हत्या के प्रयास, रंगदारी जैसे कई दर्जनों घटनाएं सामने आती है, जिससे पूरा चुनाव प्रभावित होता है.

अंचल में एक लाख से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस: ग्वालियर-चंबल अंचल में लगभग एक लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंस है. अकेले ग्वालियर की बात करें, तो 32000 लाइसेंसी बंदूक हैं, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है. चुनाव के वक्त यह सभी शस्त्र लाइसेंस और हथियार थाने में जमा हो जाते हैं. ऐसे में चुनाव के वक्त सिर्फ अवैध हथियार ही काम आता है, यही वजह है कि अंचल में हथियारों की तस्करी करने वाले गिरोह ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. हथियारों की तस्करी करने वाले गिरोह उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से आकर अंचल में अवैध हथियार खपाते हैं.

यह बात सही है कि चुनाव के वक्त पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अवैध हथियारों की तस्करी और खरीद-फरोख्त को रोकना होता है. ऐसे में पंचायत चुनाव हैं और अभी से पुलिस ने अलग-अलग टीमें गठित कर दी है, जो सिर्फ अवैध हथियारों की तस्करी पर निगाह रखेगी. इसके साथ ही ग्वालियर चंबल के बॉर्डर पर मुखबिर तंत्र भी मजबूत कर दिए हैं. और अवैध हथियारों को लेकर लगातार कार्रवाई जारी है.

- राजेश दंडोतिया, एएसपी क्राइम

अवैध हथियार के रूप में सबसे ज्यादा पिस्टल और कट्टे का इस्तेमाल: चंबल के सबसे चर्चित डीएसपी पद पर रहे रिटायर्ड केडी सोनकिया ने बताया कि ग्वालियर-चंबल अंचल में जब भी चुनाव होते हैं, तब अवैध हथियार लोगों के लिए सबसे ज्यादा मददगार बनते हैं. क्योंकि चुनावों में आपसी रंजिश और डराने, धमकाने के लिए अवैध हथियारों का उपयोग किया जाता है. अवैध हथियार के रूप में सबसे ज्यादा इस्तेमाल पिस्टल और कट्टे का होता है. जो अंचल के बॉर्डर से गुजर कर गांव-गांव या फिर शहरों में सप्लाई करते हैं. अवैध हथियार तस्कर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से हथियार लाकर यहां पर लोकल गैंग को सप्लाई करते हैं और यहां के बाद यह चारों तरफ फैल जाता है.

अवैध हथियारों के बल पर होता है चुनाव प्रभावित: चुनाव के वक्त अवैध हथियारों के रेटों में भी काफी इजाफा होता है. बताया जाता है अवैध कट्टा 3 से 5 हजार तक बेचा जाता है, तो वहीं पिस्टल 8000 से 12000 के बीच में बेची जाती है. इसको लेकर कांग्रेस का आरोप है कि चंबल अंचल वह इलाका है, जहां पर हर बार चुनावों में उपद्रव होता है और सबसे ज्यादा अवैध हथियारों की तस्करी की जाती है. इसलिए सरकार और जिला प्रशासन को इन अवैध हथियारों को लेकर सख्त होना चाहिए. क्योंकि इन अवैध हथियारों की वजह से चंबल अंचल का चुनाव प्रभावित होता है.

For All Latest Updates

TAGGED:

ABOUT THE AUTHOR

...view details