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भौगोलिक स्थिति के मुताबिक गति के प्रति आगाह करने वाली प्रणाली पर काम कर रहे IIT शोधकर्ता - alert the driver to avoid over speeding related crashes

विभिन्न IITs शोधकर्ता वाहनों के लिए 'स्मार्ट स्पीड वॉर्निंग सिस्टम' विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो सड़क के बुनियादी ढांचे और भौगोलिक स्थिति के आधार पर चालक को वाहन की तेज गति से हो सकने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिहाज से सतर्क करेगा.

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Published : Oct 18, 2021, 12:56 AM IST

नई दिल्ली : बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) के शोधकर्ता वाहनों मे्‌ं 'स्मार्ट स्पीड वॉर्निंग सिस्टम' विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो सड़क के बुनियादी ढांचे और भौगोलिक स्थिति के आधार पर चालक को वाहन की तेज गति से हो सकने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिहाज से सतर्क करेगा.

वाहनों की तेज गति से 70 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में करीब 70 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं वाहन की तेज गति के कारण होती हैं.

अधिक स्पीड होने पर उपकरण देगा चेतावनी

ऐसी दुर्घटनाओं को कम से कम करने के लिए सरकार ने एक जुलाई 2019 के बाद बिकने वाली सभी नयी कारों में गति नियंत्रण उपकरण लगाना अनिवार्य कर दिया है. वाहन की गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक होने पर यह उपकरण चेतावनी स्वरूप बीच-बीच में बीप की आवाज करेगा और 120 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक रफ्तार होने पर बीप की आवाज लगातार होगी. नए मोटर वाहन कानून 2019 के तहत तेज गति से वाहन चलाने पर जुर्माना दस गुना बढ़ा दिया गया है.

हर क्षेत्र में उपकरण प्रभावी नहीं

हालांकि आईआईटी गुवाहाटी और आईआईटी बंबई के शोधकर्ताओं का मानना है कि गति नियंत्रण उपकरण में उतनी बुद्धिमता नहीं है कि यह पहाड़ी क्षेत्रों, मैदानी इलाकों या रेगिस्तानी स्थानों समेत हर जगह प्रभावी रूप से काम कर सके.

आईआईटी गुवाहाटी में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर अखिलेश कुमार मौर्य ने कहा, 'हमारे अध्ययनों में पता चला कि सड़क की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से वाहन चालन की सुरक्षित गति बदल सकती है. अत: स्मार्ट स्पीड वार्निंग सिस्टम विकसित करने की जरूरत है जो सड़क के ढांचे के मुताबिक गति के बारे में बता सके और तेज गति से हो सकने वाले हादसों को रोका जा सके.'

प्रणाली के पेटेंट के लिए करना होगा आवेदन

अध्ययनकर्ता इस तरह की प्रणाली का पेटेंट प्राप्त करने के लिए आवेदन करने वाले हैं. उनका दावा है कि पूरी दुनिया में इस तरह की कोई प्रणाली नहीं है.

इस तरह के स्मार्ट स्पीड वार्निंग सिस्टम को विकसित करने के लिए अध्ययनकर्ताओं के दल ने असम के जोरबाट और मेघालय के नोंगपो के बीच 45 किलोमीटर के चार लेन वाले राजमार्ग से आंकड़े एकत्रित किए.

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मौर्य ने कहा, 'महाराष्ट्र में मुंबई और मालशेज घाट के बीच के दो लेन के अविभाजित राजमार्ग एनएच-61 के आंकड़ों के विश्लेषण की प्रक्रिया चल रही है. हमने चार लेन के विभाजित राजमार्ग एनएच-160 को लेकर शुरुआती अध्ययन पूरा कर लिया है. जल्द ही विस्तृत आंकड़े प्राप्त करने की योजना है.'

अध्ययनकर्ताओं का दल देश में विभिन्न राजमार्गों पर इसी तरह का आरंभिक अध्ययन करना चाहता है ताकि विभिन्न भौगोलिक स्थितियों की जानकारी मिल सके. इसके बाद यह मॉडल भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को सौंपा जाएगा.

(पीटीआई-भाषा)

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