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IIT-ISM धनबाद के छात्रों का आविष्कार, मरीज के दिमाग से कंट्रोल होगा मेडिकल बेड - dhanbad news

धनबाद के आइआइटी आइएसएम के छात्रों ने एक ऐसा बेड बनाया है, जिससे गंभीर मरीजों को काफी सुविधा होगी. मरीज इस बेड को अपने मस्तिष्क से कंट्रोल कर सकेंगे.

IIT ISM Dhanbad students made medical bed
IIT ISM Dhanbad students made medical bed

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Published : May 19, 2023, 7:35 AM IST

Updated : May 19, 2023, 7:47 AM IST

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धनबादः बिस्तर पर पड़ा मरीज, जो पूरी तरह से लाचार है. वैसे मरीजों की देखभाल के लिए एक नर्स या फिर किसी व्यक्ति की जरूरत होती है. ऐसे मरीजों और उनके परिजनों के लिए राहत पहुंचाने वाली खबर है. आईआईटी आइएसएम धनबाद के छात्रों की टीम ने एक ऐसे उपकरण का ईजाद किया है, जिससे बिस्तर पर पड़े मरीज को किसी नर्स की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. जी हां मरीज का मस्तिष्क ही,उसके लिए नर्स का काम करेगा. मरीज के मस्तिष्क से उत्पन्न ईईजी संकेतों के माध्यम से यह उपकरण कार्य करता है.

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आईआईटी आइएसएम मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर जफर आलम के नेतृत्व में बीटेक फाइनल ईयर के छात्र मनमोहन लाभ, यल्ला मार्क, विशाल और इनामपुडी साई अमित के अलावे अन्य रिसर्च स्कॉलर आशीष विद्यार्थी की कठिन परिश्रम और शोध के बाद इस मशीन को तैयार किया गया है. पूरी टीम ने मस्तिष्क में उत्पन्न इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी (ईईजी) संकेतों के माध्यम से मेडिकल बेड को नियंत्रित करने के लिए एक प्रणाली विकसित की है. इस मेडिकल बेड को विकसित करने का उद्देश्य लकवाग्रस्त, अपाहिज या गंभीर रूप से ग्रसित मरीजों को लाभ पहुंचाना है. अस्पताल में इलाज को नियंत्रित करने के लिए इस मशीन को बनाया गया है. यह मशीन अस्पताल में कर्मचारियों की आवश्यकता और खर्च को कम करने में काफी मददगार साबित होगी. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में नौ महीने लगे हैं. इसे पेटेंट के लिए आवेदन भी दिया गया है. यह प्रणाली अस्पताल और विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों के लिए नर्सिंग खर्चे को कम कर बेहतर सुविधा सुनिश्चित करने में सहायक होगी.

कुछ रोगियों को होने वाली कठिनाइयों के बारे में बताते हुए, जिन्होंने उन्हें प्रणाली विकसित करने के लिए प्रेरित किया, प्रोफेसर आलम ने कहा कि दुनिया भर में दुर्घटनाओं और पक्षाघात के हमलों में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप अक्षमताएं बढ़ रही हैं. कई रोगी ऐसी स्थिति में बिस्तरों तक ही सीमित हैं. जहां स्वयं को बिस्तर से उठाना एक असंभव कार्य प्रतीत होता है. परियोजना के पीछे विचार लकवाग्रस्त, अपाहिज व्यक्ति को किसी भी शारीरिक प्रयास की आवश्यकता के बिना अपने चिकित्सा बिस्तरों को नियंत्रित करने या स्थानांतरित करने और ठीक करने में सक्षम बनाना है. तकनीकी पहलुओं के बारे में विस्तार से बताते हुए प्रोफेसर आलम ने कहा कि मस्तिष्क मानव शरीर में धाराओं और स्पाइक्स के छोटे आवेगों के रूप में सिग्नल भेजता है, जिसे न्यूरॉन्स और तंत्रिका तंत्र के नेटवर्क के माध्यम से इलेक्ट्रोएन्सेफ्लोग्राफी सिग्नल के रूप में भी जाना जाता है. इन संकेतों का एक अध्ययन एक व्यक्ति के विचारों का विश्लेषण करने के लिए किया गया है और फिर मशीन सीखने की सहायता से एक प्रशिक्षित मॉडल के द्वारा पहचान की गई कि रोगी बिस्तर को ऊपर या नीचे उठाना चाहता है या नहीं.

प्रो. आलम ने आगे कहा कि विकसित मॉडल मरीज की जरुरत को समझते हुए मेडिकल बेड को नियंत्रित करता है. सिस्टम के विकास और अस्पताल में इसकी तैनाती को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे गंभीर रूप से प्रभावित रोगियों के लिए जो अपने आप चल-फिर नहीं सकते हैं. उनकी स्थिति की निरंतर देखभाल की आवश्यकता होती है. जो स्वास्थ्य पर खर्च का बोझ को बढ़ाता है और साथ ही यह खर्च आगे भी बढ़ते ही जाते हैं.

इसलिए, रोगी का मस्तिष्क एक वायु सिलेंडर मेडिकल बिस्तर की गति को नियंत्रित करने में सक्षम है. वायु चलित सिलेंडर आधारित मेडिकल बेड का उपयोग करना न केवल सस्ता है, बल्कि हवा के दबाव और इसकी गति के दौरान आरामदायक प्रभाव प्रदान करने का अतिरिक्त लाभ भी देता है.

Last Updated : May 19, 2023, 7:47 AM IST

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