हैदराबाद : प्रदूषण ने हमारे पर्यावरण पर भारी असर डाला है और पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन तेजी से घट रहे हैं. इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए सभी सेक्टर कदम उठा रहे हैं. इस दिशा में आईआईटी हैदराबाद भी तेजी से कदम उठा रहा है. आईआईटी हैदराबाद ने जैविक ईटों से एक छोटा सा कमरा (गार्ड कैबिन) बनाया है. भारत में कृषि अपशिष्ट जलना प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, ऐसे में आईआईटी हैदराबाद का यह कदम गेमचेंजर साबित हो सकता है.
इस कमरे की छत भी बायो-ईंट से बनाई गई है, लेकिन इसके उपर पीवीसी शीट का इस्तेमाल किया गया है, जो छत की गर्मी को कम करती है. मकान की दीवारों को बारिश से बचाने के लिए अंदर और बाहर दोनों तरफ सीमेंट का प्लास्टर लगाया गया है. यह मकान हर मौसम में आरामदायक है.
बता दें कि जैविक ईंटो का निर्माण कृषि अपशिष्टों से किया गया है, जिसका प्रयोग निर्माण कार्यों में किया जा सकता है. प्रारंभिक शोधों से पता चला है कि भारत में भारी मात्रा में कृषि-अपशिष्ट उत्पन्न होता है और नियमित ईंटों के लिए कच्चे माल की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे उपजाऊ ऊपरी मिट्टी का नुकसान और अधिक वायु प्रदूषण हो रहा है. ऐसे में यह ईंटे अहम साबित हो सकती हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह नए रोजगार को पैदा कर सकती है.
बता दें कि आईआईटी ने बिल्ड परियोजना के तहत यह मकान बनाया है.
इस अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए डिजाइन विभाग के प्रमुख प्रो. दीपक जॉन मैथ्यू ने कहा कि यह नवाचार ग्रामीण किसानों के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि उनका कृषि अपशिष्ट आय का एक जरिया बन सकता है. इसके साथ ही उन्हें रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे.