मुंबई : आईआईटी बॉम्बे ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है. दुनिया भर में बेहतरीन विश्वविद्यालयों की सूची में आईआईटी बॉम्बे ने लंबी छलांग लगाई है. क्यूएस रैंकिंग में वह 149 वें स्थान पर आ गया है. यानी वह दुनिया की टॉप 150 यूनिवर्सिटी में शामिल हो गई है. अगर आप इस रैंकिंग को समझना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि भारत का यह पहला संस्थान है, जिसने इस मुकाम को हासिल किया है. इस सूची में पहले स्थान पर अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी है. आईआईएससी बेंगलुरु 225 वें स्थान पर और आईआटी दिल्ली 197 वें स्थान पर है. भारत के कुल 45 विवि को रैंकिंग में जगह मिली है. आईआईटी बॉम्बे ने जो उपलब्धि हासिल की है, आइए इस विश्विद्यालय से जुड़े उनके इतिहास पर एक नजर डालते हैं.
देश में तकनीकी शिक्षा का विकास हो, इसके लिए 1950 में प.बंगाल के खड़गपुर में देश का पहला आईआईटी खोला गया था. उसके बाद देश का दूसरा आईआईटी 1958 में बॉम्बे में खुला. इसे आज आईआईटी बॉम्बे के नाम से जाना जाता है. वैसे, तो शहर का नाम बदलकर मुंबई हो चुका है, फिर भी इस संस्थान को आईआईटी बॉम्बे के नाम से ही जाना जाता है. इसके बाद 1959 में मद्रास, 1958 में कानपुर और 1961 में दिल्ली में अलग-अलग आईआईटी केंद्र खुले. इन सभी संस्थानों ने देश में तकनीकी शिक्षा को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाई है. लेकिन आज हम आईआईटी बॉम्बे की बात करेंगे.
इसके इतिहास पर नजर डालें, तो 1957 में बॉम्बे में इस संस्थान की स्थापना की गई. वैसे औपचारिक शुरुआत 1958 से हुई. इसकी स्थापना में तत्कालीन सोवियत संघ की बड़ी भूमिका थी. साथ ही यूनेस्को ने भी योगदान किया. सोवियत संघ ने 1956 से 1973 तक आईआईटी बॉम्बे को उपकरणों की मदद की. उनके फैकल्टी यहां पर आते थे. वहां के अलग-अलग संस्थानों के एक्सपर्ट्स आईआईटी बॉम्बे में आकर क्लास कंडक्ट करते थे. कई तकनीशियंस भी यहां पर आए. पहले बैच में 100 स्टूडेंट्स थे. उस समय यह 200 हेक्टेयर में फैला हुआ था. मुंबई के पवई इलाके में संस्थान को विकसित किया गया.