अहमदाबाद : भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद कानूनी लड़ाई में उलझा हुआ है. संस्थान के प्रतीक में बदलाव (Changes to the institute's emblem) पर बहस छिड़ गई है. आईआईएम संस्थान और उसके अकादमिक सदस्यों को इस मुद्दे से जूझना पड़ रहा है. संस्थान के लोगो (Logo) को संशोधित किया गया और गवर्निंग बोर्ड द्वारा संस्कृत शब्दों को समाप्त कर दिया गया. यह दावा किया गया है कि लोगो (logo) को प्रोफेसरों की जानकारी के बिना बदल दिया गया. 48 शिक्षाविदों ने निर्णय का विरोध करते हुए निदेशक मंडल को एक पत्र सौंपा है और इसे वापस लेने का अनुरोध किया है.
संस्कृत के शब्द हटाए गए
आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व निदेशक बकुल ढोलकिया ने कहा कि आईआईएम विश्व प्रसिद्ध संस्थान है. वर्ष 1961 में स्थापित होने पर संस्थान का लोगो किसी भी अन्य संस्थान की तरह बनाया गया था. उन्होंने कहा डॉ विक्रम साराभाई उस समय संगठन के नेता थे. वर्ष 1961 से 2022 तक लोगो वही रहा. समूह ने दुनिया भर में एक प्रतिष्ठा प्राप्त की है. संस्थान के निदेशक और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने अब बिना किसी स्पष्ट कारण के संस्थान के लोगो को संशोधित किया. जब इस तरह का निर्णय लेने के लिए एक संकाय परिषद बुलाई जाती है, तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती जब तक कि इसका समाधान न हो जाए. फैकल्टी काउंसिल का निर्णय प्रस्ताव बोर्ड के पास जाता है और बोर्ड फिर निर्णय को मंजूरी देता है.