अहमदाबाद : अमेरिकी आर्किटेक्ट लुइस काहन (Louis Kahan) की दो बेटियों और एक बेटे ने आईआईएम (IIM) अहमदाबाद की ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने की मांग की है.
इस संस्था के परिसर को इमारतों की वास्तुकला के संदर्भ में बहुत प्रतिष्ठित माना जाता है. अब आईआईएमए छात्रों के शयनगृह को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया है, जिसपर लुइस काहन के बच्चों ने विरोध जताया है. लुइस काहन के तीन बच्चों ने इस संबंध में आईआईएम (IIM) अहमदाबाद के निदेशक एरोल डिसूजा को एक पत्र लिखा है. पत्र में अनुरोध किया गया है कि वे लुइस काहन द्वारा डिजाइन किए हॉस्टल के ध्वस्तीकरण पर पुनर्विचार करें.
उनका कहना है कि ऐसा करने से आधुनिक वास्तुकला की विरासत नष्ट हो जाएगी, इसे ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही कहा है कि उन्हें संगठन की बोर्ड बैठक में इस बारे में बोलने का मौका दिया जाना चाहिए. लुइस काहन के बच्चों, सुई एन काहन, एलेक्जेंड्रा तियांग और नाथनियल काहन ने पत्र में लिखा है कि हमारे साथ बैठक के दौरान आपने हमें आश्वासन दिया था कि आप आईआईएमए छात्रावास भवन के भविष्य और संरक्षण से सहमत हैं.
उन्होंने छात्रावासों को तोड़े जाने के निर्णय को 'आपदा' बताया. लुइस काहन के बच्चों और डिसूजा ने मई 2018 में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय का दौरा किया था और कुछ रिपोर्टों के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा की थी.
महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के आग्रह पर आए थे लुइस
भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद गुजरात ही नहीं दुनिया भर में अपनी पहचान रखता है. IIMA देश के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का भी सपना था. 1961 में विक्रम साराभाई के आग्रह पर प्रसिद्ध अमेरिकी वास्तुकार लुइस काहन ने भारत आकर इस संस्थान के निर्माण के काम को देखा था जिसके बाद विश्व प्रसिद्ध संस्थानों में आईआईएमए का सपना पूरा हुआ.
पुस्तकालय भी तोड़ा गया था
यह पहला मौका नहीं है जब ऐतिहासिक धरोहर में बदलाव किया जा रहा है. परिसर के पुस्तकालय को भी ध्वस्त कर पुनर्निर्माण किया जा चुका है. IIMA कैंपस की लाइब्रेरी भी आर्किटेक्चर की एक उत्कृष्ट कृति थी. 2014 में जब पुस्तकालय और प्रबंधन कार्यालय ब्लॉक की मरम्मत की जानी थी, तो यह देखने के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी कि संगठन की ऐतिहासिकता को संरक्षित करते हुए कौन बेहतर काम कर सकता है.