पटना :बिहार सरकार ने निर्देश दिया है कि फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री वाले किसी शख्स की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिलती है तो, उस शख्स के सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing Process In Patna) के लिए लैब भेजा जाए. ईटीवी भारत (ETV Bharat Bihar) आपको बताने जा रहा है कि,आखिर क्या है जीनोम सीक्वेंसिंग जिससे नए स्ट्रेन का पता लगाया जाता है.
राजधानी पटना में जीनोम सीक्वेंसिंग का एकमात्र लैब आईजीआईएमएस (Genome Sequencing Lab At IGIMS) में है. ऐसे में ईटीवी भारत पहुंचा आईजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी लैब. यहां के साइंटिस्ट ने जीनोम सीक्वेंसिंग की पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी है.
आईजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अभय कुमार (Dr. Abhay Kumar, Scientist at IGIMS) ने बताया कि 'जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए एआईआईएमएस में लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व माइसेक इल्यूमिना कंपनी की मशीन इंस्टॉल हुई थी. यह मशीन नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग का एडवांस्ड प्लेटफॉर्म है. सीक्वेंसिंग का मतलब होता है, वायरस या बैक्टीरिया का जो भी जेनेटिक मैटेरियल है उसके पूरे सीक्वेंस को रीड करना.
कोरोनावायरस आरएनए वायरस है, ऐसे में इसके 29 प्रोटीन कोड किए जाते हैं और इसके पूरी सीक्वेंस को रीड किया जाता है. इसी के आधार पर पता चलता है कि, वायरस में कहां पर म्यूटेशन आ रहा है और म्यूटेशन के बाद यह किस ग्रुप में फिट हो रहा है. अल्फा, डेल्टा, गामा या ओमीक्रोन वैरिएंट का इसी के आधार पर पता चलता है. आईजीआईएमएस में मौजूद जीनोम सीक्वेंसिंग की मशीन बड़े जीनोम को रीड करने की क्षमता रखता है. - डॉ अभय कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक, माइक्रोबायोलॉजी विभाग आईजीआईएमएस
डॉ अभय कुमार ने बताया कि, जहां तक मशीन के काम करने के प्रोसेस की बात है तो, जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रोसेस को 3 स्टेप में डिवाइड किया जाता है. पहला स्टेप होता है लाइब्रेरी प्रिपरेशन. यानी कि इस प्रोसेस में पॉजिटिव सैंपल को कई छोटे-छोटे पीसेस में अलग किया जाता है. जहां सीक्वेंसिंग होती है वहां नैनो चिप लगा होता है और उससे वह बाइंड करता है. क्योंकि वायरस का जीनोम बड़ा होता है और यह 30 KB का होता है. इतनी बड़ी क्षमता का जीनोम मशीन एक बार में रीड नहीं कर सकता.
दूसरा स्टेप होता है एनजीएस रन, इस प्रक्रिया में एक कॉर्टेज 96 सैंपल की क्षमतावाली होती है. इसमें सैंपल लोड किए जाते हैं और इसके बाद मशीन के बाई तरफ जहां नैनो चिप लगा होता है वहीं, पर सीक्वेंसिंग रिएक्शन होता है.
इसके बाद बड़ी मात्रा में डाटा प्रोड्यूस होता है. डाटा काफी बड़ी साइज में होता है और गीगाबाइट की साइज में होता है. ऐसे में इस डाटा के स्टोरेज के लिए पास में ही एक बड़ा सर्वर लगा हुआ रहता है. आईजीआईएमएस की लैब में 13 टेराबाइट का सर्वर लगा हुआ है और यह काफी बड़ा है. यहां डाटा स्टोर होता है.
डॉ अभय कुमार ने बताया कि, आखिरी स्टेप एनालिसिस होता है. इस प्रक्रिया में जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रोसेस के दौरान जो डाटा निकलता है उसे अन्य डाटा से कंपेयर किया जाता है. जैसे कि वायरस के जीनोम में सबसे पुराने वैरिएंट जोकि बुहान वायरस है, उससे कहां-कहां म्यूटेशन है और अन्य वैरिएंट से कहां अलग हो जाता है और कितना अलग है.
डॉ अभय कुमार ने बताया कि डाटा एनालिसिस प्रक्रिया के लिए एक खास एक्सपर्टीज की आवश्यकता होती है, जिसे मेडिकल टर्म में बायोइनफॉर्मेटिक्स बोलते हैं. इसमें उनके साथ कुछ और अन्य साथी भी हैं जो बायोइनफॉर्मेटिक्स में ट्रेनिंग लिए हुए हैं. एनालिसिस के लिए दो बहुत महत्वपूर्ण चीज है, उसमें पहला है सर्वर और दूसरा कंप्यूटर सिस्टम का एडवांस्ड सॉफ्टवेयर. इसी की मदद से सीक्वेंसिंग का एनालिसिस किया जाता है.