नई दिल्ली : लोकसभा सचिवालय द्वारा 'असंसदीय शब्दों' की सूची के संकलन में आम बोलचाल के कुछ शब्दों को शामिल किए जाने को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने गुरुवार को कहा कि अगर सरकार की आलोचना करने पर भी पाबंदी लगाई जाएगी, तो देश में लोकतंत्र कहां रह गया.' उन्होंने कहा, "संसदीय और असंसदीय शब्द पहले से ही हैं. लेकिन वर्तमान स्थिति में सरकार जिस प्रकार अपराध करती जा रही है. अगर आप सरकार की आलोचना नहीं कर सकते हैं, तो लोकतंत्र कहां है. देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को सरकार की आलोचना करने का अधिकार होना चाहिए.
सरकार को घेरते हुए उन्होंने आगे कहा कि नए संकलन में सूचीबद्ध शब्द संसदीय नहीं हैं. वास्तव में ऐसे शब्द (असंसदीय) पहले से ही सूची में हैं. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी एक पुस्तिका में 'जुमलाजीवी', 'बाल बूढ़ी', 'विश्वासघात', 'दुर्व्यवहार' आदि जैसे शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया है. वास्तव में ऐसे बहुत से शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें असंसदीय बताया गया है. यह हमारी आवाज को दबाने की भाजपा की साजिश का हिस्सा है.