नई दिल्ली/बेंगलुरु : गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को पद्म भूषण (Padma award) से सम्मानित किए जाने को लेकर कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह (senior Congress leader Karan Singh) ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार पार्टी के भीतर विवाद का विषय नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर 'हमारे सहयोगियों में से एक' उनका सम्मान किया जाता है तो उनका स्वागत 'उपहासपूर्ण टिप्पणियों' के बजाय गर्मजोशी से किया जाना चाहिए. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली (Senior Congress leader M Veerappa Moily) ने गुरुवार को कहा कि गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण देने का नरेंद्र मोदी सरकार का फैसला राजनीतिक है न कि योग्यता के आधार पर।
मंगलवार शाम को पद्म पुरस्कारों की घोषणा के तुरंत बाद शुरू हुए विवाद के बीच सिंह की टिप्पणी आई है, जब कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सीपीआई (एम) नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य के पुरस्कार स्वीकार करने से इनकार करने पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'वह गुलाम नहीं आजाद बनना चाहते हैं.'वहीं 23 नेताओं के समूह के कई सदस्यों ने, जिन्होंने कांग्रेस में एक संगठनात्मक बदलाव की मांग करते हुए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित करने के लिए बधाई देते हुए कहा उसके पुरस्कार के योग्य बताया था.
विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिंह ने कहा कि वह आजाद को दिए जाने वाले पद्म पुरस्कार को लेकर अनुचित विवाद से व्यथित हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता सिंह ने एक बयान में कहा, ये राष्ट्रीय पुरस्कार अंतर-पार्टी विवाद का विषय नहीं बनने चाहिए. उन्होंने कहा, 'मैं गुलाम नबी को आधी सदी से जानता हूं, क्योंकि उन्होंने 1971 में उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए मेरे दूसरे चुनाव अभियान में सक्रिय भागीदार के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था.' सिंह ने कहा, उन्होंने पीवी नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह दोनों के साथ कैबिनेट मंत्री बनने के लिए कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रशासनिक क्षमता के माध्यम से आजाद को उदय होते देखा है.
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