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कोविड-19 के प्रसार का आकलन करने के लिए ICMR करेगा राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण

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Published : Jun 12, 2021, 7:19 AM IST

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद इस महीने चौथा सीरो सर्वेक्षण शुरू करेगा. कोविड-19 के राष्ट्रीय टास्क फोर्स के चेयरमैन वीके पॉल ने बताया कि यह सर्वेक्षण सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों में समान भौगोलिक क्षेत्रों में करने का सुझाव दिया गया है. इससे विकसित महामारी की प्रवृत्ति का पता लगाने में मदद मिलती है.

आईसीएमआर
आईसीएमआर

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि देश में कोविड-19 के प्रसार का आकलन करने के लिए आईसीएमआर चौथे चरण का राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण करेगा लेकिन सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि सभी भौगौलिक क्षेत्रों से सूचना एकत्र की जा सके.

संवाददाता सम्मेलन में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा कि रोजाना सामने आने वाले मामलों और उपचाराधीन मरीजों की संख्या में हो रही कमी से लगता है कि देश में कोविड की स्थिति स्थिर हो रही है तथा संक्रमण दर अब कम होकर करीब पांच प्रतिशत रह गई है.

हालांकि, उन्होंने लोगों से कोविड-19 अनुकूल व्यवहार और सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन करते रहने का आह्वान किया.

पॉल ने कहा, आईसीएमआर इस महीने से अगले चरण का सीरो सर्वेक्षण करेगा जिससे कोविड-19 के प्रसार का आकलन करने में मदद मिलेगी. लेकिन हम अपने भौगोलिक क्षेत्रों को बचाना चाहते हैं तो हमें अकेले एक राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को भी अपने स्तर पर सीरो सर्वेक्षण करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 21 राज्यों के 70 जिलों में सीरो सर्वेक्षण किया जाएगा और इसमें छह साल से अधिक उम्र के बच्चों को भी शामिल किया जाएगा.

कोविड-19 के सुधरते हालात के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि सात मई को संक्रमण के चरम पर पहुंचने के बाद से कोविड-19 के दैनिक नए मामलों में 78 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं साप्ताहिक संक्रमण दर में भी 30 अप्रैल से 6 मई के उच्चतम स्तर 21.6 प्रतिशत के मुकाबले 74 प्रतिशत की कमी आई है.

अधिकारी ने रेखांकित किया कि 10 मई के चरम के बाद उपचाराधीन मरीजों की संख्या में करीब 70 प्रतिशत की कमी आई है जो करीब 26.2 लाख से अधिक है.

केंद्र ने रेखांकित किया कि संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने से सुनिश्चित होता है कि स्वास्थ्य अवसंरचना पर कम दबाव पड़े और बेहतर देखभाल मिले.

पॉल ने कहा, कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए. एक जगह लोगों को जमा होने या भीड़ लगाने से बचना चाहिए क्योंकि अब तक सामान्य स्थित नहीं आई है.

अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल मंजूरी (ईयूए) देने से इनकार करने के सवाल पर मंत्रालय ने कहा, हम प्रत्येक देश की नियामकीय प्रणाली का सम्मान करते हैं लेकिन इसका असर भारत के टीकाकरण कार्यक्रम पर नहीं पड़ेगा.

यूएसएफडीए के इनकार से कोवैक्सीन के इस्तेमाल की अमेरिका में शुरुआत में संभवत: देर हो सकती है. यूएसएफडीए ने भारतीय टीका निर्माता के अमेरिकी साझेदार ओक्यूजेन इंक से अनुशंसा की है कि वह अतिरिक्त समय के साथ बायोलॉजिक्स लाइसेंस एप्लीकेशन (बीएलए) के रास्ते आए.

इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए पॉल ने कहा कि प्रत्येक देश की अपनी नियामकीय प्रणाली होती है जिसका भारत सम्मान करता है और उम्मीद करता है कि उत्पादक उन अर्हताओं को पूरा करेंगे, जिनकी वहां जरूरत है.

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तीसरा सीरो सर्वेक्षण

आईसीएमआर ने तीसरा जनसंख्या आधारित सीरो सर्वेक्षण 18 दिसम्बर 2020 से 06 जनवरी 2021 के बीच किया था. ये सर्वेक्षण भारत के उन 21 राज्यों के 70 जिलों के 700 गांवों में चलाया गया जहां पहले ही दो सीरो सर्वेक्षण हो चुके थे.

तीसरे सीरो सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि 10 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 24 प्रतिशत व्यक्ति और उप जिला स्तर की सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में काम करने वाले लगभग 26 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मी दिसंबर 2020 तक SARS-CoV-2 से संक्रमित थे. जबकि 18-44 वर्ष की आयु के लोगों में संक्रमितों की संख्या कम थी.

कोविड स्थिति के नवीनतम परिदृश्य

नई दिल्ली में भारत के कोविड स्थिति के नवीनतम परिदृश्य के बारे में पत्रकारों को डॉ. पॉल ने बताया. उन्होंने कहा कि भारत में कोविड पॉजिटिविटी रेट लगभग 5 प्रतिशत हो गई है. स्थिति अब स्थिर होने लगी है. हालांकि, हमें अत्यधिक सावधानी बरतने और कोविड के उचित व्यवहार को बनाए रखने की जरूरत है.

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संभावित तीसरे लहर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों को वि विभिन्न म्यूटेंट पर नजर रखने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में उन्होंने सुझाव दिया है कि बच्चों समेत बड़े पैमाने पर लोगों का टीकाकरण के बजाय कमजोर और वरिष्ठ नागरिकों को टीका लगाया जाए.

कोविशिल्ड की दो खुराकों के अंतर की जरूरत

डॉ पॉल ने आगे कहा कि कोविशिल्ड की दो खुराकों के बीच अंतर को कम करने की जरूरत पर भी विशेषज्ञ समिति जांच कर रही है. उन्होंने कहा कि हमारे जाने-माने विशेषज्ञ इस मामले की जांच कर रहे हैं और आवश्यक पड़ने पर भारतीय संदर्भ को ध्यान में रखकर अंतिम निर्णय लेंगे.

अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration- FDA) द्वारा भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके ‘कोवैक्सिन’ (Covaxine) को आपात इस्तेमाल मंजूरी (Emergency Use Clearance-EUC) देने से इनकार करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम प्रत्येक देश के नियमाकीय प्रणाली का सम्मान करते हैं लेकिन इसका असर भारत के टीकाकरण कार्यक्रम पर नहीं पड़ेगा.

पॉल ने कहा कि अगले सात-आठ दिनों में कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़े भी प्रकाशित हो जाएंगे.

उन्होंने कहा कि अगले छह महीनों में बायोलॉजिकल ई टीका आ सकता है और जायडस कैडिला का डीएनए टीका भी आने की संभावना है, जिनोवा आरएनए टीका और जे ऐंड जे का उत्पादन यहां हो सकता है.

टीका पासपोर्ट के मुद्दे पर अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन से तकनीकी बातचीत चल रही है.

विदेश यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि दुनिया भर में यात्रा से पहले जांच कराने पर ध्यान है और यह परिपाटी जारी रहेगी.

कोविशील्ड टीके की पहली और दूसरी खुराक दिए जाने के बीच की अवधि बढ़ाने के मुद्दे पर अधिकारी ने कहा कि मौजूदा सबूतों के आधार पर यह अवधि बढ़ाई गई है लेकिन जिन्हें विदेश जाना है उनके लिए नियम बदले गए हैं ताकि एक महीने के बाद वे दूसरी खुराक लेकर जा सकें.

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