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ICICI Bank Fraud Case : अदालत ने चंदा, दीपक कोचर, धूत को 28 दिसंबर तक सीबीआई हिरासत में भेजा

आईसीआईसीआई बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में वीडियोकॉन कंपनी के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत को सीबीआई ने गिरफ्तार किया. मामले में सीबीआई ने बैंक की सीईओ व एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर मुंबई की एक अदालत में पेश किया, जहां कोर्ट ने 28 दिसंबर तक उन्हें सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है.

ICICI Bank fraud case
ICICI Bank Fraud Case : वीडियोकॉन चेयरमैन वेणुगोपाल धूत गिरफ्तार

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Published : Dec 26, 2022, 6:02 PM IST

Updated : Dec 26, 2022, 8:40 PM IST

मुंबई : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की एक अदालत ने ऋण धोखाधड़ी मामले में सोमवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर तथा वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को 28 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया. कोचर दंपति को जांच एजेंसी ने शुक्रवार रात संक्षिप्त पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. धूत (71) को सोमवार सुबह गिरफ्तार किया गया था. तीनों को विशेष अदालत के न्यायाधीश ए एस सैयद के समक्ष पेश किया गया. सीबीआई की तरफ से पेश विशेष लोक अभियोजक ए लिमोसिन ने सभी आरोपियों का आमना-सामना कराने के लिए तीन दिन की हिरासत का अनुरोध किया.

सीबीआई ने दंपती के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत 'आपराधिक विश्वासघात' के आरोप लगाने की अनुमति के लिए अदालत में अर्जी दी. दूसरी ओर, बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया कि आईसीआईसीआई बैंक ने अतीत में कहा था कि उसे कोई नुकसान नहीं हुआ है और बताया कि 'मुख्य कर्जदार' को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की ऋण सुविधाएं मंजूर कीं. हिरासत संबंधी सुनवाई के दौरान, जांच एजेंसी की ओर से पेश विशेष सरकारी वकील ए लिमोजिन ने दलील दी कि चंदा कोचर ने वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) को 300 करोड़ रुपये की ऋण सुविधा को मंजूरी देकर आईपीसी की धारा 409 के तहत 'आपराधिक विश्वासघात' भी किया. उन्होंने कहा कि बाद में, चंदा कोचर ने वीडियोकॉन समूह के प्रबंध निदेशक वी एन धूत से कथित रूप से प्राप्त 64 करोड़ रुपये को अपने पति की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल लिमिटेड में निवेश करके अपने स्वयं के उपयोग के लिए परिवर्तित कर दिया.

सीबीआई ने कहा कि लोकसेवक होने के नाते उन्हें बैंक का पैसा सौंपा गया था और उन्हें आईसीआईसीआई बैंक के दिशा-निर्देशों के मुताबिक अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी. एजेंसी ने मौजूदा धाराओं के अलावा, उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात) लागू करने का अनुरोध करते हुए एक अर्जी दायर की. उस पर सुनवायी सोमवार को होगी. सीबीआई ने 2019 में, दीपक कोचर के प्रबंधन वाली कंपनियों नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ कोचर दंपती और धूत को आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत पंजीकृत प्राथमिकी में आरोपी बनाया था.

सीबीआई के अनुसार, 2009 में, चंदा कोचर की अध्यक्षता वाली आईसीआईसीआई बैंक की एक स्वीकृति समिति ने बैंक के नियमों और नीतियों के उल्लंघन में वीआईईएल को 300 करोड़ रुपये का एक ऋण मंजूर किया था. उसने कहा कि अगले ही दिन, वी एन धूत ने अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से वीआईईएल से एनआरएल को 64 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए. सीबीआई ने दावा किया कि अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने में चंदा कोचर ने वीडियोकॉन समूह को विभिन्न ऋण स्वीकृत किए. उसने कहा कि किसी अन्य चीज के एवज में चंदा कोचर वीडियोकॉन समूह के ऋण प्रस्ताव की प्रक्रिया की अवधि के दौरान बिना कोई किराये का भुगतान किये एक फ्लैट में रहती थीं.

एजेंसी ने चंदा कोचर पर जांच में सहयोग नहीं करने और गोलमोल जवाब देने का आरोप लगाते हुए दंपती की तीन दिन की हिरासत मांगी. उसने कहा कि चंदा कोचर ने अपने पति और धूत के बीच किसी भी आर्थिक लेन-देन की जानकारी होने से इनकार किया. सीबीआई ने दीपक कोचर पर महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाने और जांच में सहयोग नहीं करने का भी आरोप लगाया. कोचर दंपती की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने हिरासत का विरोध करते हुए कहा कि ऋण के "मुख्य कर्जदार" को गिरफ्तार नहीं किया गया है, और वर्तमान आरोपी "किसी भी राशि के लाभार्थी नहीं" थे. देसाई जुलाई 2021 में आईसीआईसीआई बैंक द्वारा सीबीआई को लिखे एक पत्र को भी अदालत के संज्ञान में लाये, जिसमें कहा गया था कि किसी भी लेन-देन में उसे "कोई नुकसान नहीं हुआ" था. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि ‘केस डायरी’ को पढ़ने से पता चलता है कि अपराध "गंभीर प्रकृति" का है. न्यायाधीश ने कोचर दंपती को सोमवार तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया.

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(इनपुट-एजेंसी)

Last Updated : Dec 26, 2022, 8:40 PM IST

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