कोलकाता:पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर आरोप लगाया गया है कि वह पूर्व राज्यपाल और वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की तरह महत्वपूर्ण विधेयकों को रोक रहे हैं और एक तरह से भाजपा के पक्ष में काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा कि वह भारत के लोगों के लिए काम करते हैं न कि भारतीय जनता पार्टी के लिए.
राज्यपाल के रूप में अपने एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर लेखक से प्रशासक बने राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि आपको यह समझने की जरूरत है कि मैं लोगों के लिए काम करता हूं, किसी पार्टी के लिए नहीं. उन्होंने कहा कि जब आप किसी प्रशासनिक परिसर में काम करते हैं तो मतभेद हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दो संवैधानिक संस्थाओं के बीच संबंध खराब हो गए हैं. एक निर्वाचित सरकार से राज्यपाल की विचारधारा का पालन की उम्मीद नहीं की जाती है. यह लोकतंत्री की प्रकृति है कि हम असहमत होने पर भी सहमत होते हैं और हमें इसे पूरी विनम्रता के साथ करने की आवश्यकता होती है.
हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधेयक के लंबित होने सहित कई मुद्दों पर राज्यपाल की कड़ी आलोचना की है और राजभवन के अंदर धरने (प्रदर्शन) के लिए बैठने की धमकी भी दी है. वहीं राज्यपाल बोस ने मुख्यमंत्री के साथ अपने संबंधों के बारे में बोलते हुए कहा कि मुझे लगता है राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच दो अलग-अलग स्तरों पर हमारे रिश्ते की विशेषता सौहार्दपूर्ण है, जो आपसी सम्मान और समझ पर आधारित है. हालांकि, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच व्यापक संबंधों की जांच करते समय यह पहचानना आवश्यक है कि निर्वाचित मुख्यमंत्री और नियुक्त राज्यपाल हमेशा हर मुद्दे पर समान दृष्टिकोण साझा नहीं कर सकते हैं. राज्यपाल के रूप में एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर होने वाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजभवन में मौजूद रहेंगी या नहीं. इस सवाल को राज्यपाल ने टालते हुए कहा कि 'किसी विशेष कार्यक्रम या जश्न की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि, नए चेहरों, युवाओं और युवा लोगों की उपस्थिति पर ध्यान दिया जाएगा.
राज्यपाल बोस ने मुख्यमंत्री की सराहना की साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि वह राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति से बहुत खुश नहीं हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए बोस ने कहा कि कानूनी अनुशासन का दायरा जटिल है. फिर भी मेरे स्थल के निरीक्षण से पता चला कि कुछ घटनाओं ने स्थापित तंत्र को बाधित कर दिया है. कुछ मामलों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए राज्य सरकार को सिफारिशें की गई हैं और कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यथास्थिति बनी हुई है. उन्होंने कहा कि हिंसक घटनाओं के संदर्भ में राज्य सरकार या पुलिस प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम संतोषजनक नहीं माने जाते हैं. पश्चिम बंगाल में अपने एक साल के अनुभव पर बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि मैं बंगाली से बहुत खुश हूं. बंगाल के खूबसूरत लोगों ने अपने आपसी सम्मान, सहयोग और प्यार से मुझे प्रभावित किया है. मैं बंगाल के लोगों के साथ ये संवाद कायम रखना चाहता हूं. साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने खुद को बंगाल के लिए समर्पित कर दिया है.
राज्यपाल ने कहा कि मुझे लगता है कि मेरा दिल पूरी तरह से बंगाली है. मेरा नाम भी बंगाली है. मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उनके आदर्शों और आजादी की लड़ाई में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साहस ने मुझे और प्रेरित किया है. अपने गृह राज्य केरल और पश्चिम बंगाल के बीच तुलना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि दोनों राज्यों के लोग स्वतंत्र सोच की भावना साझा करते हैं. यहां तक कि उनके काम और खान पान संबंधी प्राथमिकताओं में भी कई समानताएं हैं. मेरा मानना है कि इतिहास में बंगाल और केरल एक ही मां की दो संतानों की तरह हैं.
उन्होंने कहा कि मैंने इतिहास में पढ़ा है कि एक समय बंगाल से कुछ लोग केरल गए थे. यहीं पर दोनों राज्यों के लोगों ने अपनी-अपनी संस्कृति बनाई. राज्यपाल ने कहा कि बंगाल की नई पीढ़ी को दुनिया को प्रतिनिधित्व करने दें. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन शिक्षा से लेकर नवाचार को बढ़ावा देने के अलावा सतत विकास के लिए सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए अथक प्रयास करेगा. राज्यपाल ने कहा कि राजभवन अपनी जिम्मेदारियों की क्षमता में इन प्रयासों का सक्रिय रूप से समर्थन करने के साथ निगरानी करेगा.
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