चिक्कमगलुरु (कर्नाटक) :कर्नाटक के चिक्कमगलुरु जिले के निवासी मंजूनाथ के जीवन में पांच साल पहले एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन आया. उनकी आंखों के सामने कैंसर और दिल की बीमारी से पीड़ित उनके पिता दर्द से कराह रहे थे. उन्हें तत्काल चिकित्सा की सख्त जरूरत थी. उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाना जरूरी था. उनकी हालत तेजी से बिगड़ रही थी. उन्हें गांव से शिवमोग्गा के मलेनाडु अस्पताल जाना था. मंजूनाथ ने हड़बड़ाहट में अस्पतालों और एंबुलेंस सेवाओं को कॉल करना शुरू किया.
स्थानीय सरकारी अस्पताल को फोन करने पर उन्हें बताया गया कि एंबुलेंस दूसरे मरीज को लेने गई है. निजी अस्पतालों के एंबुलेंस का किराया इतना ज्यादा था कि वह उसकी सेवा नहीं ले सके. आखिरकार समय पर एंबुलेंस नहीं मिली. मंजूनाथ पिता को अस्पताल नहीं ले जा सके. लाचार बेटे के सामने उचित इलाज के बिना ही उनकी मौत हो गई. इस घटना ने मंजूनाथ को अंदर से झकझोर दिया. जब वह पिता के मौत के सदमे से निकले, तो उन्होंने मिशन शुरू करने की ठानी.
उन्होंने यह सुनिश्चित करने की ठानी कि अब उनके गांव में कोई भी एंबुलेंस सेवा की कमी के कारण नहीं मरेगा. कैंटिन चलाने वाले मंजूनाथ ने पहले ट्रैक्टर और ट्रक खरीदकर कारोबार का विस्तार किया. फिर उन्होंने अपने पांच लाख रुपये खर्च कर एक एंबुलेंस खरीदी. वह इस एंबुलेंस से क्षेत्र के लोगों को मुफ्त सेवा प्रदान कर रहे हैं. मंजूनाथ ने कहा कि पांच साल पहले, मेरे पिता कैंसर और दिल की बीमारी से पीड़ित थे. उचित इलाज के बिना उनकी मृत्यु हो गई, क्योंकि उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी.