संयुक्त राष्ट्र :पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की खूबसूरती को बखूबी बयां किया. उन्होंने भारत के लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित करने के लिए एक रेलवे स्टेशन पर चाय विक्रेता से प्रधानमंत्री बनने तक के अपने सफर का हवाला दिया. इस दौरान उन्होंने नोबल पुरस्कार विजेता गुरूदेव रविंद्र नाथ टैगोर और महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य की उक्तियां भी सुनाईं, जो आज भी प्रासंगिक हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने यहां कहा कि हमारे यहां लोकतंत्र की एक महान परंपरा रही है, जो हजारों साल पुरानी है. उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करता हूं, जिसे लोकतंत्र की जननी के तौर पर जाना जाता है. इस साल 15 अगस्त को भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी विविधता हमारे मजबूत लोकतंत्र की पहचान है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एक ऐसा देश है जहां दर्जनों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां, विभिन्न जीवन शैलियां और व्यंजन हैं. यह एक जीवंत लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र की ताकत इस तथ्य से प्रदर्शित होती है कि एक छोटा लड़का जो कभी रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान पर अपने पिता की मदद करता था, आज भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर रहा है.
मोदी ने कहा कि मैं जल्द ही सरकार के मुखिया के रूप में अपने देशवासियों की सेवा करने के 20 साल पूरा करूंगा. पहले गुजरात के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री के रूप में और फिर पिछले सात वर्षों से प्रधानमंत्री के रूप में. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की देन है.
आचार्य चाणक्त से लेनी होगी सीख