टोक्यो : स्टार भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा (star javelin thrower Neeraj Chopra )ने शनिवार को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने के बाद कहा कि यह अविश्वसनीय लग रहा है. उन्होंने दावा किया कि वह पोडियम के शीर्ष स्थान के लिये आश्वस्त नहीं थे जबकि वह अपने प्रदर्शन के दौरान आत्मविश्वास से भरे हुए थे.
चोपड़ा तीन दिन पहले क्वालीफिकेशन में शीर्ष पर रहे थे और फाइनल्स में उन्होंने इससे भी बेहतर प्रदर्शन किया और 87.58 मीटर की दूरी के सर्वश्रेष्ठ प्रयास से पहला स्थान हासिल किया, जिससे वह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बन गये जो देश का ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में भी पहला पदक है.
ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने कहा कि इस साल सबसे जरूरी अंतरराष्ट्रीय कंपटीशन खेलना था. सभी ने सहयोग दिया. बीच में मुझे जो 2-3 अंतरराष्ट्रीय कंपटीशन मिले वे मेरे लिए जरूरी थे. इसी वजह से मैं कंपटीशन खेला. ओलंपिक था, लेकिन दबाव नहीं था कि मैं बड़े थ्रोअर्स के बीच खेल रहा हूं.
तेईस साल के चोपड़ा ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा कि विश्वास नहीं हो रहा. पहली बार है जब भारत ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता है इसलिये मैं बहुत खुश हूं. हमारे पास अन्य खेलों में ओलंपिक का एक ही स्वर्ण है.
उन्होंने कहा कि एथलेटिक्स में यह हमारा पहला ओलंपिक पदक है. यह मेरे और देश के लिये गर्व का क्षण है.
नीरज चोपड़ा ने कहा कि लग रहा था कि इनके साथ मैं पहले खेला हूं. मैं अपनी परफॉर्मेंस पर काफी फोकस कर पा रहा था. चोट लगने के बाद काफी उतार चढ़ाव आए. आप सभी ने मदद की. मेरी मेहनत तो है ही साथ-साथ आप सभी की भी मेहनत है. सभी सुविधाओं के लिए धन्यवाद.
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यह पूछने पर कि क्या वह स्वर्ण पदक जीतकर हैरान थे जिसमें जर्मनी के महान एथलीट योहानेस वेटर भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि क्वालीफिकेशन राउंड में मैंने काफी अच्छा थ्रो फेंका था, इसलिये मैं जानता था कि मैं फाइनल में बेहतर कर सकता हूं. उन्होंने कहा कि लेकिन मैं नहीं जानता कि यह स्वर्ण होगा लेकिन मैं बहुत खुश हूं.
नीरज ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि AFI खासकर एथलेटिक्स और जैवलिन को और बढ़ावा दे क्योंकि मुझे लगता है कि भारत में बहुत प्रतिभा है. वे धीरे-धीरे सामने आएंगे. ओलंपिक में और अच्छा कर सकते हैं. मुझे लग रहा है कि हम कुछ भी कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि पहला थ्रो अगर हम अच्छा कर लें तो खुद पर भी कॉन्फिडेंस आ जाता है और दूसरे एथलीट पर दबाव हो जाता है. सेकेंड थ्रो भी काफी स्टेबल थी. कहीं न कहीं मेरे दिमाग में आया कि ओलंपिक रिकॉर्ड के लिए कोशिश करता हूं. अब 90 मीटर के मार्क को हासिल करना है. ये तो था ही कि मेडल लेकर आना है लेकिन जिस समय फील्ड में होता हूं दिमाग में इधर-उधर की बातें नहीं आतीं. मैं पूरा फोकस इवेंट पर ही करता हूं. रनवे पर खड़ा होता हूं तो मेरा पूरा फोकस थ्रो पर होता है और मैं अपना थ्रो सही से कर पाता हूं.
किसी ने भी इसकी उम्मीद नहीं की होगी कि चोपड़ा ओलंपिक जैसे मंच पर इस तरह से दबदबा बनाकर स्वर्ण पदक जीतेंगे.
नीरज चोपड़ा ने अपनी इस ऐतिहासिक उपलब्धि को दिग्गज धावक मिल्खा सिंह को समर्पित किया जिनका जून में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था.भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद चोपड़ा ने कहा कि मिल्खा सिंह स्टेडियम में राष्ट्रगान सुनना चाहते थे. वह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका सपना पूरा हो गया.
(एजेंसी)