कोलकाता :एक चौंकाने वाले बयान में विवादास्पद राजनीतिक नेता मुकुल रॉय (leader Mukul Roy) ने दावा किया कि वह भाजपा में हैं और कभी तृणमूल कांग्रेस में शामिल नहीं हुए. दिल्ली से लौटने के बाद दमदम हवाई अड्डे पर कृष्णनगर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के विधायक द्वारा किए गए रहस्योद्घाटन ने रॉय के राजनीतिक संबद्धता की अटकलों पर विराम लगा दिया.
राजनीतिक संबद्धता के बारे में पूछे जाने पर मुकुल रॉय ने कहा कि 'मैं अपने निजी कारण से दिल्ली गया था और अगर जरूरत पड़ी तो दोबारा दिल्ली जाऊंगा.'
उन्होंने कहा कि 'मैं भाजपा में था और मैं भाजपा में हूं. मैं कभी तृणमूल कांग्रेस में शामिल नहीं हुआ. हालांकि मैं जेपी नड्डा जैसे शीर्ष भाजपा नेताओं से नहीं मिला.मैं फिर दिल्ली जाऊंगा.'
17 अप्रैल को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पूर्व नेता मुकुल रॉय ने दो अन्य व्यक्तियों के साथ दिल्ली की यात्रा की. इससे अटकलें शुरू हो गईं कि अनुभवी नेता फिर से भाजपा में शामिल हो सकते हैं. 29 अप्रैल को मुकुल रॉय कोलकाता लौट आए और उन्होंने घोषणा की कि वह वर्तमान में भाजपा के साथ हैं.'
मुकुल ने अपने बेटे सुभ्रांशु रॉय द्वारा किए गए दावों को भी खारिज कर दिया, जिन्होंने एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी. आरोप लगाया गया था कि खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण उनके पिता का अपहरण कर लिया गया और उनकी मर्जी के खिलाफ दिल्ली ले जाया गया. मुकुल ने कहा कि वह स्वेच्छा से दिल्ली गए थे और वह पूरी तरह स्वस्थ हैं.
उन्होंने कहा कि 'मेरे बेटे का दावा सही नहीं है. मैं अपने आप चला गया, अपने आप वापस आया. कोई मुझे जबरदस्ती नहीं ले गया. मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं.'
मुकुल रॉय की राजनीतिक यात्रा एक उथल-पुथल भरी रही है. वह टीएमसी के संस्थापक सदस्य थे, लेकिन बाद में 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे. उन्होंने पश्चिम बंगाल में भाजपा के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को कई सीटें जीतने में मदद की थी. हालांकि, जून 2021 में भाजपा नेतृत्व के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए टीएमसी में फिर से शामिल हो गए.
मुकुल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कृष्णानगर उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में टीएमसी में शामिल हो गए थे. टीएमसी में वापसी के बावजूद, मुकुल ने अपने विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया, जिससे कानूनी चुनौतियां सामने आईं. विधानसभा अध्यक्ष ने उनके पद को खारिज नहीं किया था, और उन्हें विधान सभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. हालांकि, उनकी बर्खास्तगी का मामला अभी भी अदालत में लंबित है.
मुकुल को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था, जिसमें सिर की सर्जरी भी शामिल थी, जिसके कारण उन्हें कुछ समय के लिए सक्रिय राजनीति से दूर रहना पड़ा था. हालांकि, बीजेपी में उनकी वापसी ने उन्हें एक बार फिर चर्चा में ला दिया है.
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