लुधियाना: यह बात थोड़ी अजीब लग सकती है कि बिना मिट्टी के घर की छत पर जहर मुक्त सब्जियां (Grow Poison Free Vegetables) उगाई जा सकती है. लेकिन अब यह सच है. यदि आप एक बहुमंजिला अपार्टमेंट में रहते हैं और घर के अंदर एक छोटा बगीचा रखना चाहते हैं तो यह सपना एक नई तकनीक से साकार हो सकता है. उस तकनीक का नाम हीड्रोपोनिक्स है. लुधियाना कृषि विश्वविद्यालय ( Ludhiana Agricultural University) लगातार इस विषय पर शोध कर रहा है. विवि का लक्ष्य भूजल स्तर को बचाना और किसानों की पैदावार क्षमता बढ़ाना है. मिट्टी रहित खेती या सूक्ष्म सिंचाई (Soilless Farming or Micro Irrigation) के क्षेत्र में कई वर्षों के शोध के बाद विश्वविद्यालय द्वारा कृषि के लिए कई उपाय तलाशे गए हैं. अभी भी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा शोध जारी है.
हाइड्रोपोनिक खेती क्या है?
हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponic Farming) तकनीक में, पौधों को पानी, पोषक तत्वों और अन्य साधनों का उपयोग करके घर के अंदर उगाया जाता है. इसे मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती. यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती कृषि प्रौद्योगिकियों में से एक है. अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर समेत दुनिया के कई हिस्सों में इस तकनीक का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. खेती की इस आधुनिक तकनीक में बिना मिट्टी के जलवायु को नियंत्रित कर खेती की जाती है. हाइड्रोपोनिक खेती में पौधे केवल पानी में या रेत में और पानी के साथ कंकड़ में उगाए जाते हैं. हाइड्रोपोनिक तकनीक में कई पोषक तत्वों और खनिजों जैसे फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटाश, जिंक, सल्फर, आयरन आदि को एक निश्चित मात्रा में मिलाकर घोल तैयार किया जाता है. इस घोल को निश्चित समय अंतराल पर पानी के साथ मिलाया जाता है. जिससे पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं. हाइड्रोपोनिक खेती में, पौधों को पाइप का उपयोग करके उगाया जाता है. पाइप में कई छेद किये जाते हैं, जिनमें पौधे लगाए जाते हैं. पौधों की जड़ों को पाइप के अंदर पोषक तत्वों से भरपूर पानी में डुबोया जाता है.
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इस तकनीक से घर के अंदर सब्जियां और अन्य पौधे तैयार कर काफी पानी की बचत होती है. पारंपरिक तरीकों में पौधे को मिट्टी में सींच कर तैयार किया जाता है, जिससे बहुत सारा पानी बर्बाद हो जाता है. इस तकनीक में थोड़े से पानी से भी पौधे तैयार किए जाते हैं. हाइड्रोपोनिक्स का एक और फायदा यह है कि यह पर्यावरण के काफी अनुकूल है. पंजाब में एक यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञानिक इस तकनीक को लेकर लगन से काम कर रहे हैं.
जब यह दावा हमारे सामने आया तो 'ईटीवी भारत की टीम' यूनिवर्सिटी पहुंची और हकीकत जाननी चाही. हमारे रिपोर्टर ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय सामाजिक विज्ञान जल इंजीनियरिंग के प्रधान वैज्ञानिक (Principal Scientist of Punjab Agricultural University Social Science Water Engineering) डॉ. राकेश शारदा से मुलाकात की, जो लंबे समय से इस शोध पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम मिट्टी रहित खेती पर काम कर रहे हैं. जिसमें हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स पर भी काम कर रहे हैं. जिसमें ऐसे पौधे जो पत्तेदार हों लेकिन छोटी जड़ें हों या ऐसे पौधे जिनकी जड़ें हवा में लटकी हों, उन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. विशेष रूप से मिट्टी रहित एरोपोनिक्स में ऐसे पत्तेदार वनस्पति पौधे जिनकी जड़ें या तो बहुत छोटी होती हैं या हवा में लटकी होती हैं. उन्होंने बताया कि फसलों के लिए पॉली हाउस बनाए गए हैं, जिनमें टमाटर, शिमला मिर्च आदि सब्जियों की खेती मिट्टी रहित कृषि तकनीक से की जा रही है.
मिट्टी रहित खेती कैसे काम करती है
लुधियाना के कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. शारदा ने बताया कि हम टमाटर, शिमला मिर्च और ककड़ी जैसी सभी सब्जियां बिना मिट्टी के उगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से मिट्टी रहित खेती के लिए सिफारिशें भी दी गई हैं, जिसके लिए किसानों को शिक्षा भी दी जाती है. विश्वविद्यालय द्वारा रूफ टॉप मॉडल विकसित किए गए हैं ताकि घर की छतों पर सब्जियां लगाई जा सकें. उन्होंने बताया कि इसमें सिर्फ कोकोपीट की बोरियों में पौधे रोपना बाकी एक ऑटोमेटेड सिस्टम है. यह पूरा सिस्टम रीसर्क्युलेशन से जुड़ा है. इसमें पानी की बर्बादी नहीं होती है, खाद को पानी में रखा जाता है और वही सब्जियों को पोषण प्रदान करता है. शेष पानी को मुख्य टैंक में वापस लाकर पुन: उपयोग किया जा सकता है.
हाइड्रोपोनिक खेती के लाभ