नई दिल्ली : कोरोना महामारी विश्व के कई देशों में कहर मचा रही है. हालांकि, कुछ देशों ने सख्त उपायों व टीकाकरण के सहारे इस संकट को बहुत हद तक काबू करने में सफलता प्राप्त की है. जैसा कि डब्ल्यूएचओ का भी कहना है कि वायरस के खतरे को समाप्त करने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है. इसके साथ ही वैक्सीन लगाने के काम में भी तेजी लानी होगी. हालांकि, तमाम देश ऐसे भी हैं या तो वहां टीके पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं या फिर नागरिक वैक्सीन लगवाने को लेकर ज्यादा उत्सुक नहीं हैं. अगर इस संदर्भ में चीन का उल्लेख करें तो उसने वैक्सीन तैयार होने से पहले ही कई तरह के सख्त कदम उठाए. इसका नतीजा यह हुआ कि चीन में कोविड-19 वायरस को लगभग नियंत्रण में कर लिया गया है. इसके साथ ही वैक्सीन उत्पादन के बाद भी चीन ने ढिलाई नहीं बरती. चीन ने न केवल अपने देश के नागरिकों को टीके लगाए, बल्कि अन्य देशों को भी मदद पहुंचाई.
पढ़ें-राज्यों में लॉकडाउन या बढ़ी हैं पाबंदियां, जानें अपने प्रदेश का हाल
बताया जाता है कि चीन में अब तक लोगों को करीब 28 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं. इसके अलावा चीनी टीके विभिन्न देशों में वायरस के खिलाफ लड़ाई में बहुत अहम भूमिका निभा रहे हैं. खासकर ऐसे देश जिनके पास संसाधनों की कमी है, उनके लिए चीन द्वारा तैयार साइनोवैक व साइनोफार्म वैक्सीन किसी संजीवनी से कम नहीं कही जा सकती. ऐसे वक्त में जब भारत आदि देश कोरोना महामारी की नई लहर से परेशान हैं, वैश्विक सहयोग की जरूरत और बढ़ गई है, क्योंकि वायरस न किसी देश की सीमा को मानता है और न जाति या धर्म को. इस संकट की घड़ी में सक्षम देशों को आगे आने की जरूरत है.