बगवानों चाहे छोटी हो या बड़ी, उसे देखभाल की काफी जरूरत पड़ती है. पौधों के सही विकास के लिए उन्हें पानी व खाद देने के साथ ही तथा समय-समय पर उनकी कटाई, छटाई, गुड़ाई तथा निराई बहुत जरूरी होती है. इन सब के लिए विशेष औजारों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अधिकांश लोग इन औजारों के नाम, उनके उपयोग तथा उनके रख-रखाव के तरीकों से ज्यादा वाकिफ नही होते हैं. ETV भारत सुखीभवा आज अपने पाठकों के लिए लेकर आया है बागवानी में उपयोग में आने वाले औजारों तथा उनकी देखभाल से जुड़ी विशेष जानकारी.
बागवानी में काम आने वाले औजार इस प्रकार हैं.
करनी, खुरपी, कन्नी या ट्रोवेल
सामान्यतः खुरपी के नाम से प्रचलित यह औजार आमतौर पर खोदने और गड़ाई-निराई में इस्तेमाल में आती है. इसका उपयोग गमले में सजी बागवानी के साथ ही जमीन में होने वाली बागवानी में भी किया जाता है. जरूरत अनुसार बाजार में अलग-अलग प्रकार के ब्लेड और बड़े-छोटे आकार वाली खुरपी मौजूद है, जिनमें से कुछ संकरे ब्लेड , कुछ चपटे तथा कुछ नुकीले ब्लेड वाली होती है. मिट्टी खोदने के अलावा क्यारियां बनाने के लिए भी खुरपी काफी उपयोगी होती है
बेलचा/कुदाली
यह कंकड़, पत्थर, मिट्टी उठाने वाला औजार है, जोकि आकार में काफी बड़ा होता है. बेलचा का इस्तेमाल आमतौर पर बड़े क्षेत्र में जमीन में होने वाली बागवानीया खेती में किया जाता है. इसका ब्लेड चौड़ा होता है तथा जिस पर मध्यम लंबाई का हैंडल लगा होता है. बेलचे का ब्लेड आमतौर पर लोहे की चादर या कठोर प्लास्टिक का बना होता है वहीं इसका हैंडल लकड़ी का होता है.
फोर्क हो ऑ
फोर्क हो एक प्रकार की कुदाली ही होती है, लेकिन इसका ब्लेड भोजन करने वाले कांटे (फोर्क ) जैसा होता है. यह छोटे-बड़े अलग-अलग आकार में बाजार में मिलती है. मिट्टी को खोदने, जमीन या गमलों से खरपतवार निकालने, खाद मिलाने तथा मिट्टी को समतल करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
लंबे हाथ वाला फावड़ा/ कुदाली
जमीन में बागवानी के दौरान फावडे़ का इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल विशेष तौर पर बीजों की रोपाई, क्यारियां बनाने, नाली बनाने, बीज बोने के लिए बनाए गए गड्ढों को ढकने तथा मिट्टी भरने और जंगली घास को काटने या हटाने के लिए किया जाता है.
आधुनिक दराती, कतरनी/ कैंची (लैपर्स)
बागवानी में इस्तेमाल में आने वाली इस प्रकार की कैंची के हत्थे अपेक्षाकृत बड़े होते हैं साथ ही उसके ब्लेड भी लंबे होते हैं. इस कैंची से पेड़ या पौधों की टहनियों और छोटी शाखाओं को काटा जाता है. इसके अलावा पेड़ों की छंटाई तथा उन्हें अलग-अलग प्रकार के आकार देने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन सामान्य कैंची की तरह इसका इस्तेमाल सिर्फ एक हाथ से संभव नहीं है इसे चलाने के लिए दोनों हाथों का इस्तेमाल करना पड़ता है.