हैदराबाद : दुनिया भर के शहर स्वास्थ्य असमानता की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए दृष्टिकोणों के साथ प्रयोग कर रहे हैं. इसी को लेकर शहरी स्वास्थ्य पर प्रभाव पर शोध के साथ इसके समाधान भी ढूंढे जा रहे हैं. इसमें वंचित समुदायों को हानिकारक स्वास्थ्य प्रभावों से बचाते हुए उनको उचित और समान अवसर प्रदान करना है.
लंदन : लंदन पारंपरिक स्वास्थ्य अनुसंधान में अंतर्निहित असमानताओं को दूर करने के लिए एक सामुदायिक अनुसंधान मॉडल विकसित कर रहा है. साथ ही सामुदायिक ज्ञान, जागरूकता और संबंधों में दोहन करने के अलावा अनुसंधान सूक्ष्म अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जिससे अन्य विधियों के माध्यम से पहुंच योग्य नहीं होगा.
मेलबर्न : निर्मित पर्यावरण में सुधार के लिए मेलबर्न के दृष्टिकोण ने शहरों के विकास में स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर करने में मदद करने के लिए आवास से परिवहन तक सार्वजनिक भूनिर्माण तक बुनियादी ढांचे में बदलाव देखा है. यही वजह है कि और अधिक सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए शहर '20 मिनट के शहर' जैसे विचारों के साथ प्रयोग किया जा रहा है.
मेक्सिको सिटी: यहां पर एक बहु-विषयक दृष्टिकोण ने विशेषज्ञों को शहर की स्वास्थ्य चुनौतियों के रचनात्मक समाधान तैयार करने के लिए एक साथ खड़ा कर दिया है. फलस्वरूप लेबोरेटोरियो पैरा ला स्यूदाद ने सड़क सुरक्षा और स्वदेशी समुदायों के स्वास्थ्य जैसे मुद्दों से निपटने के लिए लेखकों, इतिहासकारों, दार्शनिकों, कलाकारों, फिल्म निर्माताओं और वास्तुकारों के साथ शहरी भूगोलवेत्ताओं, राजनीतिक वैज्ञानिकों, एआई विशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों को जोड़ा.
न्यूयॉर्क:न्यूयॉर्क में क्वींस कम्युनिटी हाउस और हार्लेम चिल्ड्रन जोन जैसे संगठन स्वास्थ्य असमानताओं के मूल कारणों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उदाहरण के लिए यह पहचानने के बाद कि ताजा उपज तक पहुंच की कमी समुदाय के फास्ट फूड पर अधिक निर्भरता में योगदान दे रही है, क्वींस कम्युनिटी हाउस ने एक किफायती किसान बाजार शुरू करने के लिए निवासियों के साथ साझेदारी में काम किया.
पेरिस : शहरी बुनियादी ढांचे में अक्सर लोगों से इनपुट की कमी होती है कि उन्हें स्वस्थ रहने के लिए क्या चाहिए. इसको लेकर पेरिस निवासियों को यह निर्णय लेने में सक्षम बना रहा है कि शहरी स्वास्थ्य में सुधार के लिए सार्वजनिक धन कैसे खर्च किया जाता है. वहीं 2014 और 2020 के बीच में शहर ने शहर के निवासियों द्वारा चुनी गई परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए 500 मिलियन यूरो सार्वजनिक धन (शहर के पूंजी कोष का लगभग 5 फीसद) केलिए प्रतिबद्ध किया.
शंघाई : शंघाई शहर ने यह पता लगाया है कि कैसे सांस्कृतिक प्रतिमान और अस्पष्ट नियम लोगों के रिक्त स्थान और सेवाओं के साथ बातचीत करने के तरीके को प्रभावित करते हैं. यहां पर मधुमेह जैसी स्थितियों के बारे में कलंक को समझने की बजाय शहर ने लोगों को आगे आने और अपने स्वास्थ्य के बारे में पहले और अधिक खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सामुदायिक सेवाओं को अनुकूल बनाया है.
टोरंटो : शहर इस बात की खोज कर रहा है कि मानसिक स्वास्थ्य की एक सटीक तस्वीर को पहचानने और बनाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कैसे किया जा सकता है.एमएपी सेंटर फॉर अर्बन हेल्थ सॉल्यूशंस के द्वारा स्थानीय पड़ोस में तनाव के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है. इसके बाद इस डेटा का उपयोग उस शहर को सूचित करने के लिए किया जाएगा जहां समुदायों के लिए समर्थन को प्राथमिकता मिल सके.
शहरों के स्वस्थ होने की संभावनाओं को कैसे अनलॉक करें
सबसे पहले, शहरों को व्यापक साझेदारियों में काम करने की जरूरत है जो कई दृष्टिकोण लाते हैं और इसके अलावा जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का शायद ही कोई एक कारण होता है.वहीं शहरी स्वास्थ्य में सुधार के लिए हमारे शहरों को आकार देने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है जो स्वास्थ्य देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरणों की तुलना में बहुत व्यापक है. इसमें शहरी योजनाकारों, नागरिक संस्थानों, निवेशकों, नियोक्ताओं और सबसे महत्वपूर्ण समुदायों को शामिल करने की जरूरत है.
दूसरा, शहरों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि स्वास्थ्य समानता के निर्माण की प्रक्रिया स्वयं समान है. इसका अर्थ है समय का निवेश करना, शक्ति का पुनर्संतुलन करना और विश्वास का निर्माण करना ताकि स्वास्थ्य असमानताओं से सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों के पास बदलाव के लिए एजेंडा निर्धारित करने के लिए एजेंसी, आवाज के अलावा साधन हों. इसके अभाव में हम महामारी से पहले की तुलना में व्यापक असमानता वाले समाज के निर्माण का जोखिम उठाते हैं.
तीसरा, शहरों को एक साथ सीखने और कुछ जोखिम उठाने के लिए तैयार रहने की जरूरत है. कोई भी शहर इन सभी तरीकों का उपयोग नहीं कर रहा है, लेकिन हर शहर उन्हें अपनी संस्कृति और परिस्थितियों के अनुकूल बना सकता है.हालांकि इसमें नेतृत्व और समय लगता है. लेकिन इनमें से कई उदाहरणों मे शहरों ने एक प्रयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया है, जैसे छोटे से शुरू करना, स्थानीय समाधानों की खोज करना के अलावा उन्हें बड़े पैमाने पर अपनाने से पहले अवधारणाओं का परीक्षण करना आदि शामिल है.