हैदराबाद:यह तो अब अधिकतर लोग जानते हैं कि बैंक और वित्तीय संस्थान लोन देने में अन्य चीजों की तुलना में क्रेडिट स्कोर को अधिक महत्व देते हैं. जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर 750 अंक या उससे ज्यादा है, उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए लोन लेने का बेहतर मौका मिल जाता है. अगर आप प्रॉपर प्लानिंग करते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर शानदार हो सकता है. क्रेडिट कार्ड बिल का समय पर भुगतान करना इसकी प्लानिंग में से एक है, हालांकि कई बार इसमें व्यवहारिक दिक्कत आती है. कोरोना महामारी के दौरान ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल के भुगतान में कई लोगों को दिक्कत आई.
यदि किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 700 अंक से कम है, तो बैंकों और वित्तीय संस्थानों की ओर से उसके लोन एप्लिकेशन के खारिज होने की आशंका बनी रहती है. इसमें एक और दिक्कत आती है. अगर कम क्रेडिट स्कोर वाले का लोन मंजूर हो भी जाता है तो बैंक उससे अधिक ब्याज दर वसूल सकते हैं. कई बार लोन की जरूरत के कारण अधिक ब्याज दर की शर्त को लोग मान जाते हैं. कुल मिलाकर कम क्रेडिट स्कोर के साथ लोन लेना चैलेंज बन जाता है.
लोन का भुगतान नहीं करने से क्रेडिट स्कोर रेटिंग प्रभावित होती है. यदि लोन लेने वाला लगातार तीन महीने तक ईएमआई नहीं भेजता है, तो बैंक लोन को एनपीए (Non-Performing Asset) के रूप में चिह्नित कर सकते हैं. यदि लोन का भुगतान पूरी तरह बंद दिया जाता है, तो बैंक लोन को डिफ़ॉल्ट और लोन लेने वाले को डिफॉल्टर घोषित कर देते हैं. इसके बाद उससे लोन की राशि एक साथ वसूलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. बैंकिंग की भाषा में इसे सेटलमेंट कहा जाता है.
यदि सेटलमेंट के तहत लोन के लिए सहमत राशि बैंक को चुका दी जाती है, तो वित्तीय संस्था लोन को बट्टे खाते में डाल देते हैं और इसकी सूचना क्रेडिट बोर्ड को भी देते है. इसके बाद, जब आपको दोबारा लोन की जरूरत होती है तो बैंक क्रेडिट रिपोर्ट में लोन 'सेटलमेंट' देखने के बाद कर्ज देने से पहले दो बार सोचते हैं. ध्यान रखें लोन की अदायगी से जुड़ा क्रेडिट स्कोर लंबे समय तक प्रभावित करता है. इसलिए अगर आपने लोन के एकमुश्त भुगतान के लिए पहले ही सेटलमेंट का विकल्प चुन लिया है, तो बेहतर होगा कि पूरी लोन राशि को क्लियर कर दें. फिर 'सेटलमेंट' से 'क्लोज' में बदल दिया जाएगा और इससे क्रेडिट स्कोर में बढ़ोतरी हो सकती है.