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एक सतत ऊर्जा के भविष्य पर सार्वजनिक विश्वास कैसे पैदा करें ?

ऊर्जा क्षेत्र के लिए दुनिया ज्यादातर ऐसे संसाधनों पर निर्भर है जो पृथ्वी पर सीमित मात्रा में है. ऐसे में भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ऐसे संसाधनों पर निर्भरता बढ़ानी होगी जिनके खत्म होने की चिंता ना हो. लेकिन सवाल है कि ऐसे ऊर्जा क्षेत्र में इस तरह के बदलाव के लिए सार्वजनिक विश्वास कैसे पैदा किया जाए. पढ़ें पूरी ख़बर

ऊर्जा
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Published : May 7, 2021, 11:09 AM IST

हैदराबाद: ऊर्जा का वो प्रावधान सतत ऊर्जा कहलाता है, जो भावी पीढ़ियों की ऊर्जा आवश्यकताओं से समझौता किए बगैर और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना मौजूदा मांग को पूरा कर सकती है. आज दुनियाभर की ऊर्जा मांग बढ़ रही है. औद्योगिक विकास से लेकर मूलभूत सुविधाओं के लिए ऊर्जा की जरूरत पड़ती है जिसके लिए कोयले से लेकर पेट्रोलियम पदार्थों का इस्तेमाल होता है लेकिन ये संसाधान पृथ्वी पर सीमित मात्रा में हैं. ऐसे में भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नए संसाधन तलाशे जा रहे हैं. खासकर ऐसे संसाधन जिनके खत्म होने की चिंता हमें नहीं करनी पड़ेगी. जैसे सौर ऊर्जा.

दुनियाभर में ऊर्जा के लिए नए संसाधनों पर निर्भरता पर बात तो हो रही है लेकिन सवाल है कि सतत ऊर्जा भविष्य के लिए सार्वजनिक विश्वास कैसे पैदा किया जाए.

विश्व आर्थिक मंच के तहत एनर्जी एंड मटेरियल्स के हेड रॉबर्ट बोका के मुताबिक- जलवायु और ऊर्जा पहुंच पर सार्थक प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बढ़ते अवरोधों और जोखिम के संदर्भ में परिवर्तन लचीला हो.

-एक्सेंचर के विश्लेषण में पता चलता है कि 2050 तक संभावित उत्सर्जन में 25% की कटौती तक पहुंचा जा सकता है. जो प्रति वर्ष 10 जीटी से अधिक के बराबर है. ये ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं और उनके ग्राहकों के बीच सहयोग पर निर्भर है.

- नया ऊर्जा भविष्य बनाने की बात हो तो कोई एक कंपनी या एक देश अकेले कुछ नहीं कर सकता है. ये कंपनियों से लेकर भागीदारों, आपूर्तिकर्ताओं, ग्राहकों, समुदायों और सरकारों तक सभी की भूमिका महत्वपूर्ण है.

-ऊर्जा परिवर्तन के दौरान जनता के हित और भरोसे को सुरक्षित रखना पृथ्वी के लिए भी अच्छा है. एक्सेंचर का प्रतियोगी दक्षता सूचकांक, जो एक कंपनी के अन्योन्याश्रित विकास, लाभप्रदता और स्थिरता की रणनीति

-ऊर्जा संक्रमण के दौरान जनता का भरोसा सुरक्षित रखना ग्रह के लिए अच्छा है - और नीचे की रेखा के लिए भी। एक्सेंचर की प्रतिस्पर्धी चपलता सूचकांक ने पाया है कि जो कंपनियां विश्वास की कमी झेल चुकी हैं उनके सूचकांक में गिरावट भी देखी जाती है और इससे ब्याज, करों और ऋणमुक्ति से पहले की कमाई (EBITA) की वृद्धि में 10 फीसदी की कमी हो सकती है. एक्सेंचर सूचकांक किसी कंपनी के अन्योन्याश्रित विकास, लाभप्रदता और स्थिरता की रणनीति को मापता है.

उद्देश्य: नेताओं को ऊर्जा परिवर्तन के लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के साथ-साथ किए गए वादों को पूरा करने की प्रतिबद्धता भी दिखानी चाहिए. सिर्फ किसी कार्य को करना ही ठीक नहीं होता, इसमें उपभोक्ताओं की अपेक्षा भी होनी चाहिए. एक्सेंचर रिसर्च से पता चलता है कि लगभग दो तिहाई उपभोक्ता कंपनियों से उन मुद्दों की ओर अपना रुख करे जिनमें वो (जनता या उपभोक्ता) करते हैं.

क्रिया: किसी भी क्षेत्र के बिजनेस में स्थिरता व्यावसायिक अनिवार्यता है. इसी वजह से किसी भी क्षेत्र के परिवर्तन काल में शामिल कंपनियों को अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए और जहां भी संभव हो दूसरों की मदद करनी चाहिए.

पारदर्शिता: परिवर्तन का नेतृत्व करने वाली कंपनियों को लगातार अपनी प्रगति को मापना चाहिए और अपने प्रयासों के परिणामों को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए. इससे ना केवल विश्वास कायम होता है बल्कि दूसरों को भी इससे प्रोत्साहन मिलता है.

रफ्तार के साथ परिवर्तन: ये व्यवसाय, सरकार और समाज को फिर से कल्पना करने, पुनर्निर्माण करने और हमारी वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक में बदलकर साथ लाने का मौका है. जो सभी के लिए लाभदायक होगा. इसका मतलब यह है कि अपनी क्रियाओं को मापना और इनके परिणाम नियमित रूप से बताना है. कि कितने प्रभावी रूप से ऊर्जा कंपनियां ग्राहकों के बीच व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए ऊर्जा उत्पादों के उत्सर्जन को कम या समायोजित कर रही है.

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