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यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव : बीजेपी की पैतरेबाजी से सपाई हो गए धराशायी - भारतीय जनता पार्टी

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ 'खेल' कर दिया. यूपी के 75 जिलों में से 22 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं. इनमें से 21 बीजेपी के और महज एक इटावा में सपा का जिला पंचायत अध्यक्ष चुना गया है. इस रिपोर्ट में पढ़ें कैसे बीजेपी की प्लानिंग से सपाई जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में धराशायी हो गए...

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Published : Jul 1, 2021, 10:43 PM IST

लखनऊ : जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव (Zila Panchayat Adhyaksh Election 2021) में सत्ताधारी दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा के बीच खींचतान जारी है. दोनों दलों में पंचायत में सरकार बनाने की होड़ लगी है. 21 जिलों में भाजपा के उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत हासिल की है. वहीं सपा के खाते में एक सीट ही गई है. भाजपा इस जीत को जनता का समर्थन करार दे रही है, तो वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव भाजपा पर सत्ता का दुरुपयोग कर जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कोई किसी से कम नहीं हैं. सभी राजनीतिक दलों का सत्ता में आते ही व्यवहार बदल जाता है. बलरामपुर, शाहजहांपुर और ललितपुर जैसे जिलों में भाजपा की पैतरेबाजी सपा पर भारी पड़ी है. जानकारों का मानना है कि असली खेल तो तीन जुलाई को 53 जिलों में होने वाले मतदान के दिन देखने को मिलेगा.

नामांकन करने नहीं पहुंच पाए सपा सदस्य
बलरामपुर में जो हुआ उसे सुनकर आप हैरत में पड़ जाएंगे. आरोप है कि यहां समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी किरण यादव को पुलिस ने नामांकन ही नहीं करने दिया. किरण यादव के ससुर पूर्व ब्लॉक प्रमुख विजय यादव ने बताया कि नामांकन वाले दिन से एक दिन पहले रात 11 बजे से ही हमारे घर के बाहर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया गया. सुबह हम लोगों ने नामांकन के लिए निकलने की तैयारी शुरू की, लेकिन हमें घर से बाहर निकलने ही नहीं दिया गया. पार्टी कार्यकर्ता और नेता एकत्र होने लगे तो पुलिस ने निकलने दिया. हमारे वाहन के आगे-पीछे पुलिस की गाड़ी लगा दी गई.

यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव

विजय यादव ने बताया कि संभवित प्रत्याशी के वाहन में एक एसआई, एक महिला और एक पुरुष सिपाही बैठ गए. पुलिस के इशारे पर हमारी गाड़ी भी चलती रही. जिला मुख्यालय पर ले जाने के बजाए पुलिस हमें तुलसीपुर की तरफ लेकर चली गई. रास्ते में पुलिस ने रोक कर वाहन की तलाशी भी ली. नामांकन का समय दोपहर तीन बजे निकल जाने तक पुलिस हमें इधर-उधर घुमाती रही और फिर छोड़ दिया गया. विजय यादव ने कहा कि इस प्रकार से सबके सामने लोकतंत्र की हत्या की गई. पुलिस ने संविधान को रौंदने का काम किया और हम कुछ नहीं कर सके.

शाहजहांपुर में सपा उम्मीदवार वीनू सिंह भाजपा में हो गईं शामिल
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बड़े-बड़े खेल हो रहे हैं. उम्मीदवार ही अपने विरोधी खेमे में चले जा रहे हैं. शाहजहांपुर जिले में समाजवादी पार्टी के साथ भी यही हुआ. शाहजहांपुर में सपा की उम्मीदवार वीनू सिंह ने नामांकन के बाद भी अपनी पार्टी को झटका देते हुए भाजपा का झंडा पकड़ लिया. योगी सरकार में वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना की मौजूदगी में वीनू सिंह भाजपा में शामिल हो गईं. उनके भाजपा में शामिल होते ही भाजपा प्रत्याशी ममता यादव निर्विरोध जीत गईं. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सपा ने भाजपा पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया.

भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने का किसी का भी व्यक्तिगत निर्णय है. जोर दबाव में भाजपा विश्वास नहीं करती. इसलिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को अपने बारे में आकलन करना चाहिए कि आखिर क्या वजह है, जो उनके लोग छोड़कर जा रहे हैं.
-डॉ. समीर सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

ललितपुर में सपा के साथ अपनों ने ही कर दिया खेल
ललितपुर में तो समाजवादी पार्टी के खेमे के लोगों में ही फूट पड़ गई. यहां सपा के जिलाध्यक्ष ने अपने बेटे के लिए टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इसे स्वीकार नहीं किया और उन्हें टिकट नहीं मिला. नतीजा यह रहा कि सपा खेमे में भारी गुटबाजी हो गई. सूत्र बताते हैं कि सत्ताधारी दल ने सपा प्रत्याशी को छोड़कर बाकी सभी सदस्यों को अपने पाले में कर लिया. सपा उम्मीदवार नामांकन भी नहीं दाखिल कर पाईं.

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ट्विटर-ट्विटर खेलना बंद करें अखिलेश
भाजपा प्रवक्ता डॉ. समीर सिंह कहते हैं कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कोई होड़ नहीं है. समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में हाशिये पर चली गई है. सपा गलत बयानबाजी कर रही है. अखिलेश यादव लोकतंत्र को तार-तार करते हैं और लोकतंत्र की दुहाई भी देते हैं. कम से कम अब तो उन्हें ट्विटर-ट्विटर खेलना बंद कर देना चाहिए. उत्तर प्रदेश की जनता से जिस दिन दो-चार होंगे तो उनको पता चलेगा कि उनकी जमीन नहीं बची है. अब उनकी जमीन खिसक चुकी है. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रकार से गांव, गरीब के कल्याण की योजनाएं चलाई हैं, विकास कार्य किया है. वह इस बात का प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश की जनता योगी और भाजपा के साथ है और अखिलेश यादव को खारिज कर चुकी है.

नहीं पड़ेगा विधानसभा चुनाव पर असर

राजनीतिक विश्लेषक रतिभान त्रिपाठी कहते हैं कि यह चुनाव सत्ता का ही होता है. दूसरी बात यह कि जिला पंचायत के चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए. इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव में भी पड़ने वाला नहीं है. 2015-16 में तत्कालीन सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2017 में विधानसभा के चुनाव में क्या हुआ? 403 विधानसभा सीटों वाले राज्य में सपा 50 सीटों के अंदर सिमट गई. पंचायतों में सत्ता की ताकत का खेल सपा-बसपा की सरकारों में खूब हुआ. अब सपा उसी खेल का आरोप भाजपा पर लगा रही है.

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