गांधीनगर: गुजरात के अहमदाबाद जिले के बरवाला धंधुका और बोटाद जिलों में लट्ठा कांड की घटना सामने आई. पुलिस ने तीन मामले दर्ज किए और 15 लोगों को गिरफ्तार किया. गुजरात में शराब आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित है. हालांकि, राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में आधिकारिक तौर पर 19 लाख से ज्यादा परमिट जारी किए जा चुके हैं. जबकि, गुजरात सरकार भी विदेश से आने वाले लोगों को टूरिस्ट परमिट देकर शराब की सुविधा मुहैया कराती है.
गुजरात राज्य में शराब परमिट की बात करें तो व्यक्ति को जिले के सिविल अस्पताल के डॉक्टर से मेडिकल सर्टिफिकेट लेना होता है. शराब परमिट केवल उन बीमारियों के लिए उपलब्ध है जिनके लिए शराब के सेवन की आवश्यकता होती है. इसके लिए आबकारी विभाग से एक फॉर्म लेना होता है. उस फॉर्म का आवेदन सिविल अस्पताल में डॉक्टर के समक्ष भरना होता है. इसके बाद चिकित्सक समिति स्वास्थ्य जांच करते है और बैंक में चालान का भुगतान कर प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.
इससे पहले भी गुजरात हाई कोर्ट में शराबबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गई थीं. जिसके जवाब में राज्य सरकार ने जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 1951 में शराबबंदी की पुष्टि की थी. अब गुजरात में शराबबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकती. इस मामले में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर निजता के अधिकार के तहत घर में शराब पीने की इजाजत मांगी गई थी.
सरकार घर बैठे शराब पीने पर रोक नहीं लगा सकती है. जबकि नागरिकों के खाने-पीने के अधिकार का हनन हो रहा है. गौरतलब है कि गुजरात में विदेश से आने वाले लोगों को शराब पीने की इजाजत है, लेकिन गुजरात के लोगों को घर में शराब पीने की इजाजत नहीं है. ऐसा भेदभाव नहीं किया जा सकता. इस पर राज्य सरकार ने कहा कि शराबबंदी महिलाओं और नागरिकों के कल्याण के लिए जरूरी है.