शिमला: देश के कुछ राज्यों ने शराबबंदी जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए हिमाचल सरकार को शराब की बिक्री से राजस्व अर्जित करना पड़ता है. बात आंकड़ों की करें तो हिमाचल में हर साल 1829 करोड़ रुपये की शराब बिकती है. हिमाचल में शराब की सालाना खपत नौ करोड़ बोतलों की है. इस तरह से यदि एक महीने का हिसाब लगाएं तो हिमाचल में हर माह 75 लाख और प्रति दिन के नजरिए से देखें तो यहां लोग ढाई लाख बोतलें शराब की पी जाते हैं. सत्तर लाख की आबादी वाले हिमाचल में शराब पीने वालों की अनुमानित संख्या 15 लाख के आसपास है. शराब पीने का आदी एक इंसान महीने में पांच बोतलें शराब पीता है. एक बोतल का औसत मूल्य 166 रुपये के आस पास बैठता है (थोक मूल्य औसत) इस तरह महीने में 830 और साल में 9960 रुपये की शराब एक व्यक्ति पी जाता है.
शराब बिक्री के 14 प्रकार के लाइसेंस-प्रदेश में शराब बिक्री के लिए करीब 14 प्रकार के लाइसेंस हिमाचल प्रदेश एक्साइज एक्ट (Excise and Taxation Department in Himachal) के तहत दिए जाते हैं. लाइसेंस के आधार पर ही विक्रेता शराब की बिक्री कर सकता है. इनमें सबसे उपर एल-1 आता है. एल-1 लाइसेंस धारक व्यक्ति विदेशी शराब के थोक विक्रेता के रुप में कार्य कर सकता है. इन्हें विदेशी बीयर के होलसेल व्यापार करने की अनुमति भी होती है. इसके बाद एल-3 से लेकर एल- 19 लाइसेंस धारक को अलग-अलग मात्रा में शराब रखने और बिक्री करने की अनुमति होती है. इन लाइसेंस के लिए फीस भी अलग-अलग होती है.
सरकार ने एक समय अपने हाथ लिया था शराब का कारोबार- प्रदेश में शराब कारोबार से आने वाला रेवेन्यू इतना अधिक है कि पूर्व में वीरभद्र सिंह के कार्यकाल के दौरान तो सरकार ने खुद शराब का कारोबार अपने हाथ में ले लिया था. तब शराब कारोबार के लिए सरकार ने हिमाचल बेवरेजेज लिमिटेड (Himachal Pradesh Beverages Limited) नाम से कंपनी का गठन किया था उस समय सरकार ने एक सीनियर आईएएस अफसर को इस कारोबार का जिम्मा सौंप दिया था. तय किया गया था कि सरकार शराब कारखानों से खुद अपने स्तर पर शराब खरीदेगी और आगे बेचेगी.
पर्ची सिस्टम से नीलाम होते थे ठेके- इससे पूर्व यानी वर्ष 2016 से पहले हिमाचल में शराब ठेके पहले पर्ची सिस्टम के जरिए ही नीलाम कर दिए जाते थे. इससे कुछ ही ठेकेदारों की मोनोपली बन रही थी. सरकार ने उस दौरान ठेके नीलाम किए. इससे सरकार को करीब 300 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी. वर्तमान सरकार में शराब के ठेके पहले से ठेके संचालित कर रहे ठेकेदारों को ही मुल्य में कुछ वृद्धि के बाद दे दिए गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सर्वे (Survey Of Union Health Ministry) में यह सामने आया था कि हिमाचल में हर साल औसतन 1500 करोड़ रुपये की शराब खपती है.
देशी शराब पीने में देश में तीसरे नंबर पर हिमाचल-सर्वे के मुताबिक औसत के लिहाज से हिमाचल का प्रत्येक निवासी प्रति माह शराब के सेवन पर औसतन 178 रुपये खर्च करता है. यदि अंग्रेजी शराब के लिहाज से देखा जाए तो यह दर 98 रुपये और देशी शराब की औसत दर 57 रुपये है. बाकी बचे 23 रुपये अन्य तरह की लोकल दारू आदि पर खर्च होते हैं. अंग्रेजी शराब पीने के मामले में हिमाचल पूरे भारत देश में पांचवें और देशी शराब पीने में तीसरे नंबर पर है. हैरानी की बात है कि भारत में इस मामले में छोटा राज्य अरुणाचल पहले और पंजाब दूसरे नंबर पर है.