रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है. हर पार्टी आगे जाने की होड़ में है. इस बीच कांग्रेस के जन घोषणापत्र के वादों को लेकर बहस शुरू हो चुकी है. जहां एक ओर कांग्रेस दावा कर रही है कि, उसने अपने वादे को पूरा किया है. तो वहीं दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि, कांग्रेस ने कोई भी वादा पूरा नहीं किया है. इस विषय में पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी अपनी राय दे रहे हैं.आइए एक नजर डालते हैं कांग्रेस के घोषणा पत्र के उन वादों पर जिसके दम पर कांग्रेस की सरकार बनी. इसके अलावा उन वादों पर भी हम चर्चा करेंगे, जिसको लेकर भाजपा कांग्रेस को घेर रही है.
शराबबंदी के वादे का क्या हुआ ?:कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में शराबबंदी का वादा किया था. सत्ता में आने के बाद लगातार शराबबंदी को लेकर विपक्ष कांग्रेस को घेर रही है. भाजपा नेता अमित चिमनानी का आरोप है कि"कांग्रेस ने शराब बंदी का वादा अपने जन घोषणा पत्र में किया था. लेकिन अब तक शराबबंदी नहीं हुई है.ये कहते हैं कि पहले जनता पीना छोड़े, उसके बाद हम शराबबंदी करेंगे".
जबकि कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि "ये एक समाजिक मुद्दा है, नोटबंदी के तर्ज पर शराबबंदी नहीं की जा सकती है. शराबबंदी को लेकर कमेटी बनाई गई है.जल्द ही निराकरण किया जाएगा". मामले में राजनीतिक एक्सपर्ट उचित शर्मा का कहना है कि "शराबबंदी का सबसे बड़ा मुद्दा अभी भी प्रदेश में चला रहा है. जिसको लेकर लगातार विपक्ष सवाल खड़े करता आया है. दरअसल, व्यावहारिक दृष्टिकोण से शराबबंदी हो ही नहीं सकती. शराबबंदी का वादा सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है".
किसानों की कर्जमाफी का वादा कितना हुआ पूरा :कांग्रेस ने पिछले चुनाव में किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था. सत्ता में आने के चंद घंटों के भीतर बघेल सरकार ने प्रदेश के लाखों किसानों का करोड़ों का कर्ज माफ करने की घोषणा कर दी थी. इस दौरान नेशनल बैंकों से लिए गए किसानों के कर्ज माफ नहीं किए गए. जिसके कारण लगातार विपक्ष इस मुद्दे को लेकर हमलावर रही है. भाजपा का कहना है कि "कांग्रेस बार-बार कहती है कि हमने किसानों का कर्ज माफ किया है. आज भी कई ऐसे किसान धक्के खा रहे हैं. नेशनल बैंकों से लिया एक रुपया भी माफ नहीं किया गया है".
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का कहना है कि "सरकार ने अपने किये वादे को पूरा करते हुए किसानों को कर्ज से मुक्त किया है. सरकार बनने के 1 घंटे के भीतर सरकार ने 20 लाख किसानों का कर्ज माफ कर दिया था". वहीं, पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि "कर्ज माफी की बात करें तो सोसायटी कोऑपरेटिव बैंक की कर्ज माफी की गई. लेकिन सेंटर बैंकों से लिए गए कर्ज अब तक माफ नहीं हुए हैं."
धान का समर्थन मूल्य बढ़ाने के वादे पर सरकार ने क्या किया :अपने चुनावी वादों में कांग्रेस ने धान का समर्थन मूल्य ₹2500 दिए जाने का ऐलान किया था. सरकार बनने के बाद भूपेश सरकार ने ₹2500 के समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी शुरू की. लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने केंद्रीय समर्थन मूल्य से अधिक दर पर धान खरीदी किए जाने पर आपत्ति जाहिर की. यहां तक कि राज्य सरकार को केंद्र ने चेतावनी दी कि यदि समर्थन मूल्य से अधिक दर पर राज्य सरकार धान खरीदी करती है तो केंद्र सरकार उनसे चावल नहीं लेगी. जिसके बाद राज्य सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की. इसके तहत किसानों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य और 2500 रुपये के बीच के अंतर की राशि का भुगतान चार किस्तों में करना शुरू किया गया. इस मामले में भी भाजपा ने आरोप लगाया कि "सरकार हजार रुपया देकर पिछले 4 साल से क्रेडिट ले रही है". जबकि कांग्रेस का कहना है कि "छत्तीसगढ़ में किसानों को धान का ₹2500 दिया जा रहा है. इससे लगभग 27 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं".
यह भी पढ़ें:Raipur : नेहरु की सोच के कारण नए भारत का हुआ जन्म, सीएम भूपेश का बयान