पटना :राष्ट्रीय जनता दल(RJD) के प्रदेश कार्यालय में प्रवेश करते ही हर जगह सिर्फ एक ही पोस्टर नजर आता है और वह है नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का पोस्टर. ना सिर्फ मुख्य द्वार बल्कि अंदर ऑफिस के दरवाजे पर भी अब तेजस्वी की एक होर्डिंग लगा दी गई है. इस बात की चर्चा भी पिछले कुछ समय से तेज है कि बहुत जल्द तेजस्वी यादव की ताजपोशी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में हो सकती है.
इन सब के बीच जब तेजप्रताप यादव ने जगदानंद सिंह पर निशाना साधा तो यह समझ लिया गया कि उनकी नाराजगी जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) के अनुशासन को लेकर है. इसके बाद उनके निशाने पर तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव (Sanjay Yadav) भी आ गए, लेकिन जब तेजप्रताप यादव ने एक दिन पहले सोशल मीडिया पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना 'रश्मिरथी' की पंक्तियां शेयर की तो उनके इरादे स्पष्ट हो गए.
राजद में तेजस्वी के पोस्टर का आखिर क्या है राज दरअसल, तेजप्रताप ने 'रश्मिरथी' की पंक्तियों को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है, '...तो दे दो केवल 5 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम'. वहीं, तेजप्रताप की 'बगावत' के बहाने सत्ता पक्ष को लालू परिवार पर निशाना साधने का मौका मिल गया है.
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बीजेपी (BJP) के मुताबिक बड़े बेटे को विरासत नहीं सौंपकर लालू यादव ने पार्टी और परिवार में खुद ही विवाद पैदा किया है. प्रदेश प्रवक्ता प्रो. अजफर शम्सी ने कहा कि आरजेडी में तमाम विधायक भी परेशान हैं. जिस तरह की नाराजगी तेज प्रताप यादव ने दिखाई है, उससे बहुत जल्द पार्टी में टूट भी हो सकती है.
हालांकि आरजेडी नेता इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने सिर्फ इतना ही कहा कि बहुत जल्द लालू यादव खुद इस पूरे मामले का पटाक्षेप कर देंगे.
वहीं, इस बारे में लालू परिवार और बिहार की सियासत को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि विरासत की जंग एक तरह से तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच चल रही है. इस बारे में लालू यादव को जल्द से जल्द फैसला करना होगा, नहीं तो आगे आने वाला समय पार्टी और परिवार के लिए बेहद मुश्किल भरा हो सकता है.
इस बात की आशंका तो पहले से जताई जा रही थी कि तेज प्रताप पार्टी में अपना कद छोटा किए जाने से नाराज हैं. पहले भी इस बात को लेकर तेजप्रताप यादव ने नाराजगी जताई थी, लेकिन अब वे एक तरह से खुलकर सामने आ गए हैं. ऐसे में अब सबकी निगाहें लालू यादव और राबड़ी देवी पर हैं कि वे किस तरह यह विवाद सुलझाते हैं और तेज प्रताप यादव की नाराजगी दूर कर पाते हैं.
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