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जिस कानून को लेकर देश में बवाल कटा था, वह अभी तालिबान से दुखी हिंदू और सिख अफगानियों के काम नहीं आएगा - नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)

अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान के लोग पलायन कर रहे हैं. भारत में हिंदू और सिक्खों को भी रेस्क्यू कर लाया गया है. भारत के केंद्रीय मंत्री दावा कर रहे हैं कि इन्हें नागरिकता संशोधन कानून-2019 (CAA) के तहत भारतीय नागरिक बनाया जाएगा. मगर उनके इस दावे में खुद मोदी सरकार का कानून ही आड़े आएगा.

Sikh & Hindu minority community of Afghanistan
Sikh & Hindu minority community of Afghanistan

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Published : Aug 25, 2021, 8:13 PM IST

हैदराबाद : नागरिकता संशोधन कानून 2019 (CAA) के पास होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया था. मगर यह उसमें समय सीमा का पेंच है. अब सवाल यह है कि 31 दिसंबर 2014 के बाद या अभी पिछले दो महीनों में जो हिंदू या सिक्ख अफगानिस्तान छोड़कर भारत आए हैं उनका भविष्य क्या होगा?

अफगानिस्तान में तालिबान राज शुरू होने के बाद वहां रह रहे हिंदुओं और सिखों को भारत लाने की कवायद जारी है. भारत सरकार ने इस ऑपरेशन को 'देवी शक्ति' का नाम दिया है. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि 24 अगस्त तक अफगानिस्तान से 626 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, जिसमें भारत के 228 नागरिक हैं. अफगानिस्तान के सिख समुदाय के 77 लोगों को भी सुरक्षित बाहर निकाला गया है.

अफगानिस्तान से सैकड़ों की तादाद में हिंदू और सिक्ख भारत आए हैं

इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भी बयान दिया. उन्होंने दावा किया कि नागरिकता एक्ट में 2019 में हुए संशोधन के कारण वहां से आए हिंदू और सिक्खों को नागरिकता दी जा सकती है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी लखनऊ के कार्यक्रम में कहा कि अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता संशोधन कानून 2019 से फायदा मिलेगा. इन नेताओं के दावों के बाद नागरिकता संशोधन कानून 2019 की बारीकियों की पड़ताल शुरू हुई.

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर पहले भी काफी बवाल कट चुका है. 2019 में नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया. यह दिसंबर 2019 में पारित किया गया था और 10 जनवरी, 2020 से लागू हुआ था. इस नए कानून के हिसाब से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों ( हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई) के लिए भारतीय नागरिकता दी जा सकती है. मगर शर्त यही है कि इसका लाभ वही अल्पसंख्यक ले सकेंगे, जो 31 दिसंबर 2014 के पहले इन देशों से भारत आए. यानी जुलाई-अगस्त में अफगानिस्तान से आए हिंदू और सिक्खों को इसका लाभ नहीं मिलेगा.

2019 में सीएए को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे. file photo

संविधान की छठी अनुसूची में शामिल राज्य असम, मेघालय, मिजोरम या त्रिपुरा और आदिवासी क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं होगा. ये प्रावधान बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन क्षेत्र में लागू नहीं होंगे.

कैसे मिल सकती है भारत की नागरिकता

नागरिकता अधिनियम, 1955 में नागरिकता के आधार तय किए गए हैं. इनमें जन्म, वंश, पंजीकरण, प्राकृतिक और भूमि का अर्जन शामिल हैं. 26 जनवरी, 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति 'जन्म से भारत का नागरिक' है. इसके एक और प्रावधान के अंतर्गत 1 जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि उसके जन्म के समय उसके माता या पिता (दोनों में से कोई एक) भारत के नागरिक थे.

नागरिकता अधिनियम, 1955 ( Citizenship Act, 1955 ) के अनुसार, एक विदेशी भी भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है , शर्त यह है कि पिछले 14 साल में से 12 साल से भारत में रह रहा हो. साथ ही, आवेदन से पहले उसने 12 महीने का समय भारत में व्यतीत किया हो.

यानी 31 अगस्त 2014 के बाद अफगानिस्तान से आए हिंदू और सिक्खों को नागरिकता के लिए 14 साल का इंतजार करना होगा. उन्हें तत्काल नागरिकता देने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा. 2019 में CAA पर हुए देशव्यापी हंगामे के बाद अभी संभव नहीं है. भारत सरकार फिलहाल इन्हें शरणार्थी का दर्जा दे सकती है.

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