नई दिल्ली : एक समय था, जब लोग पेमेंट के लिए सबसे अधिक वीजा और मास्टर कार्ड का प्रयोग करते थे. ये अमेरिकी कंपनियां हैं. लेकिन पिछले 10 सालों में भारत ने स्थिति पलट दी है. 2012 में भारत ने वीजा का मुकाबला करने के लिए रुपे कार्ड की शुरुआत की थी. आज यह दुनिया का सर्वाधिक लोकप्रिय पेमेंट गेटवे सिस्टम हो गया है. भारत के बाद, चीन दूसरे स्थान पर जबकि अमेरिका तीसरे नंबर पर है. इसी तरह से भारत ने 2016 में यूपीआई की शुरुआत की थी. इसमें पेमेंट के क्षेत्र में क्रांति ला दी. यह ऐसा कॉन्सेप्ट है, जो कई बैंक अकाउंट को एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये रकम ट्रांसफर करने की इजाजत देता है. इसे नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है. इसका नियंत्रण रिजर्व बैंक और इंडियन बैंक एसोसिएशन के हाथ में है.
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखरने कुछ ही दिन पहले कहा था कि डिजिटल भुगतान और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के मामले में भारत विश्व गुरु बन गया है और भारत विकसित देशों को इस दिशा में राह दिखाने के लिए तैयार है.उन्होंने बताया कि भारत में रोजाना औसतन 28.4 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन किया जा रहा है जो विश्व भर में सबसे अधिक है. उन्होंने यह भी बताया कि डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में चीन दूसरे जबकि अमेरिका तीसरे नंबर पर है.
आपको बता दें कि आप किसी भी बैंक का कार्ड उठाकर देख लें, आपको इस पर रुपे, वीजा या मास्टरकार्ड लिखा होता है. ये अलग-अलग पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर हैं. रुपे भारत का अपना पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर है. इसकी शुरुआत 2012 से हुई थी. Rupay कार्ड क्योंकि भारतीय सर्वर पर डेटा रखता है, इसलिए इसमें प्रोसेसिंग और वेरिफिकेशन जल्दी होता है. ट्रांजैक्शन भी जल्दी प्रोसेस हो जाता है. इसमें कमीशन भी कम लगता है. यहां का डेटा अधिक सुरक्षित है, क्योंकि डाटा देश के बाहर नहीं जाता है. इसके ठीक उलट वीजा और मास्टरकार्ड विदेशी पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर हैं. जाहिर है, इसका डाटा विदेशों में रहता है. इसका कमीशन भी ज्यादा है. इसमें डाटा चोरी होने की भी संभावना बनी रहती है. रुपे कार्ड को लेकर खुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि आप ज्यादा से ज्यादा इसका प्रयोग कर देश की सेवा कर सकते हैं.
डिजिटल पेमेंट को लेकर भारत की प्रगति उल्लेखनीय - द इकोनोमिस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी जैसे विकसित देश एक दिन में महज एक लाख लोगों को ही सीधे उनके खाते में पैसा भेज सकते हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वहां पर पैन और बैंक अकाउंट को जोड़ने का आवेदन देंगे, तो आपको एक साल से ऊपर का समय लग जाएगा.
भारत के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो 2021-22 में ही हर रोज सरकार ने 90 लाख लोगों के खातों तक सीधे पैसा पहुंचाया है. ये पैसे अलग-अलग बेनिफिट स्कीम के तहत दिए गए हैं. आंकड़ों की बात करें, तो भारत में औसतन हर रोज 28.4 करोड़ डिजिटल लेनदेन होते हैं. ग्लोबल रियल टाइम ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में भारत की भागीदारी अकेले ही 40 फीसदी है.
ये आंकड़े चीन से 2.6 गुना अधिक हैं. अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के कुल ट्रांजेक्शन को मिला दें, तो भारतीय ट्रांजेक्शन 6.5गुना अधिक रहे. भारत में बैंक अकाउंट, पैन, आधार और फोन, सब लिंक्ड हैं. एक क्लिक में ही पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा 9.5 करोड़ किसानों को मिल जाता है. वित्त वर्ष 2021-22 में 8,800 करोड़ से ज्यादा डिजिटल ट्रांजैक्शन हुए. मौजूदा वित्त वर्ष (2022-23) में ही जुलाई तक 3,300 करोड़ से ज्यादा ऐसे लेनदेन हुए.
कोविड काल में भारत ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में अनोखा काम किया. हमारा यूपीआई सिस्टम दुनिया का बेहतरीन सिस्टम है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 2021 जनवरी में डिजिटल पेमेंट इंडेक्स की शुरुआत की थी. यूपीआई का अगला लक्ष्य तीन या पांच वर्षों में एक दिन में एक अरब लेनदेन संसाधित करना है. phonePe और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का डिजिटल भुगतान बाजार 2026 तक $ 3 ट्रिलियन से $ 10 ट्रिलियन तक तिगुना से अधिक हो जाएगा. डिजिटल भुगतान (गैर-नकद) 2026 तक सभी भुगतानों का लगभग 65 प्रतिशत होगा.