हैदराबाद: केंद्र सरकार की नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ( NDMA) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया करोना से मरने वालों के परिवार को 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. यह रकम राज्य यानी स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड की तरफ से दी जाएगी. हलफनामे में बताया गया है कि अगर कोई राज्य चाहे तो इससे अधिक राशि भी पीड़ित परिवार को दे सकता है. आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक कोरोना से 3.98 लाख लोग जान गंवा चुके हैं.
भारत में मई से जून के बीच कोरोना से सबसे अधिक मौतें हुई थीं. गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 4 लाख रुपये की मुआवजे की मांग की गई थी. नियम के अनुसार, प्राकृतिक आपदा से मरने वालों के परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा मिलता है. कोरोना से लोगों को मौत के मामले में केंद्र सरकार ने मुआवजा देने से मना कर दिया था. केंद्र सरकार ने कहा था कि इतनी संख्या में चार लाख रुपये का मुआवजा देना संभव नहीं है. 30 जून को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोविड से हुई हर मौत के लिए पीड़ित परिवार को वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए. नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी (NDMA) की ये वैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि वह कोरोना मौत के मामले में मुआवजा तय करें.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एनडीएमए ने स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने नई गाइडलाइन पहले ही तैयार कर चुकी है. मुआवजे के लिए पीड़ित परिवार को जिले के डिजास्टर मैनेजमेंट दफ्तर में आवेदन देना होगा. इसके आवेदन के साथ कोरोना से हुई मौत का प्रूफ यानी मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा.
गाइडलाइन के मुताबिक, सिर्फ उन मौतों को कोरोना संबंधित माना जाएगा, जिनमें मौत से पहले मरीज का आरटीपीसीआर टेस्ट या रैपिड-एंटिजन टेस्ट किया गया हो. इसके अलावा किसी हॉस्पिटल या डॉक्टर ने कोरोना संक्रमण की पुष्टि की हो.
- अगर किसी की मौत कोरोना पॉजिटिव होने के 30 दिन के भीतर हुई हो, उसे कोविड डेथ की लिस्ट में शामिल किया जाएगा.
- कोरोना के उन मामलों में जिनमें मरीज स्वस्थ नहीं हो पाया और उसकी मृत्यु अस्पताल में या घर पर हो गई तो उसे कोविड-19 से हुई मौत ही माना जाएगा
- जिनके डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना की पुष्टि हो चुकी है, उनके परिजनों को इसका लाभ मिलेगा.
- कोरोना काल में कई ऐसे लोग थे, जिनको दिल या फेफड़े की बीमारी थी और वह कोरोना होने के कारण नहीं रहे, मगर अस्पताल ने डेथ सर्टिफिकेट में कोरोना के बजाय बीमारी का जिक्र किया है . ऐसे मरीजों के परिजनों को भी मुआवजे का लाभ मिलेगा, बशर्ते इसके बारे में सर्टिफिकेट पर स्पष्ट तौर पर जिक्र करना जरूरी है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने नीति बनाने के निर्देश दिए थे.
- कोरोना पॉजिटिव मरीज ने अगर डिप्रेशन में आकर आत्महत्या की है या किसी हादसे में उसकी मौत हो जाती है तो उसे कोरोना से मौत नहीं माना जाएगा. उनके परिजनों को मुआवजे का लाभ नहीं मिलेगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है.
देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3 करोड़ 35 लाख 04,534 हो गई है, जबकि विश्व में यह आंकड़ा 22.90 करोड़ से अधिक हो चुका है.
कैसे जारी होंगे डेथ सर्टिफिकेट
सुप्रीम कोर्ट ने मौत और डेथ सर्टिफिकेट से संबंधित विवाद सुलझाने के लिए एक कमिटी बनाने के निर्देश भी दिए थे. इस कमिटी में डीएम, चीफ मेडिकल ऑफिसर, अडिशनल सीएमओ , किसी मेडिकल कालेज का प्रिंसिपल या मेडिसिन डिपार्टमेंट का प्रमुख भी शामिल होंगे. यह समिति कोरोना से होने वाली मौत के प्रमाण पत्र जारी करेगी.
22 सितम्बर 2021 की सुबह आठ बजे केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान देश में 26,964 नए मामले सामने आए हैं, 383 लोगों की जान गई है जबकि 34,167 लोग इस बीमारी से ठीक हुए हैं.