निकोसिया (साइप्रस):यूएई के आबूधाबी एयरपोर्ट के पास हूती विद्रोहियों के हमले से दुनिया भर के देश हैरत में हैं. पिछले सोमवार के यमन ते ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने ड्रोन और मिसाइल हमलों के जरिये तेल के कई टैंकर उड़ा दिए थे. इस हमले में तीन लोग मारे गए थे, जिनमें दो भारतीय नागरिक और एक पाकिस्तानी नागरिक हैं. बाद में यमन के हूती विद्रोहियों ने हमले की जिम्मेदारी ले ली है. संगठन ने बयान जारी कर यूएई पर हमले शुरू करने की बात कही है.
यूएई ने जुलाई 2019 में ही यमन में लड़ाई से खुद को अलग कर लिया था. उसने लड़ाई में शामिल लगभग सभी अमीराती सैनिकों को वापस बुला लिया था और संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) को खूनी संघर्षों से मुक्त सुरक्षित पर्यटक और व्यापार केंद्र घोषित किया था. मगर पिछले दिनों अदन में हूतियों ने तख्तापलट की कोशिश की तो संयुक्त अरब अमीरात की वायु सेना ने हूती के गढ़ों में हमले फिर से शुरू किए थे.
अबू धाबी पर हूतियों हमले का अतरराष्ट्रीय समुदाय ने निंदा की है. इसके बाद इस क्षेत्र में संयुक्त अरब अमीरात और यमन से जुड़े अन्य देशों की पॉलिसी बदल सकती है. संयुक्त अरब अमीरात ने चेतावनी दी है कि वह अपनी धरती पर हूती विद्रोहियों के खिलाफ जबर्दस्त सैन्य कार्रवाई करेगा, जो 2018 से भी अधिक गंभीर होगा. शुक्रवार को यमन की सादा सिटी (Sa'ada City) पर संयुक्त अरब अमीरात के गठबंधन वाले सैनिकों ने हमले किए, जिसमें एमएसएफ ऑर्गनाइजेशन (MSF organization) के कम से कम 82 लोग मारे गए, जबकि 266 घायल हुए. अगले दिन शनिवार को सऊदी-अमीराती गठबंधन ने यमन के चौथे सबसे बड़े शहर अल हुदैदाह में एक टेलीकम्यूनिकेशन वाली इमारत पर हमला किया, जिसमें 20 लोग मारे गए.
मगर संयुक्त अरब अमीरात में हूतियों का हमला अमीरात की सरकार के लिए एक कड़ी चेतावनी है. उसे अब स्थानीय मिलिशिया ग्रुप का समर्थन बंद करना चाहिए. माना जा रहा है हूतियों ने स्थानीय मिलिशिया ग्रुप के समर्थन के कारण ही यूएई पर हमला बोला है. बताया जाता है कि जनवरी में संयुक्त अरब अमीरात समर्थित मलिशिया ग्रुप ने शाबवा से हूतियों के खदेड़ने के लिए अभियान चलाया था. यह ग्रुप यमन के मारिब तक पहुंच गया था. बता दें कि सऊदी समर्थित संगठन 2015 से ही हूतियों के खिलाफ जंग लड़ रहा है.
जब संयुक्त अरब अमीरात ने यमन से अपने सैनिकों को वापस बुलाया था, तब वह पश्चिमी यमन में दखलअंदाजी नहीं करने और अंसार अल्लाह यानी हूतियों के लड़ने वाले लड़ाकों को समर्थन नहीं करने का भरोसा दिया था. मगर दावा किया जा रहा है कि यूएई ने लड़ाकों का समर्थन जारी रखा, इस कारण ईरान समर्थित हूतियों ने संयुक्त अरब अमीरात पर हमले किए. डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि भले ही हूती विद्रोहियों ने आबूधाबी में हुए हमले की जिम्मेदारी ली है, मगर इसके पीछे ईरान का हाथ हो सकता है. उनका कहना है कि हूतियों के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वह 1200 किलोमीटर की अधिक की दूरी से सटीक हमला कर सके.