भोपाल : जाएं तो जाएं कहां. समझेगा कौन यहां दर्द भरे कोरोना मरीजों की जुबां. यह लाइनें मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिट बैठ रही है. अभी दो दिन पहले ही ईटीवी भारत ने प्रमुखता से बताया था कि पांच घंटे की मशक्कत के बाद एक कोरोना मरीज को हाॅस्पिटल में इलाज मिल पाया था. सोचा था शायद व्यवस्था में बदलाव आएगा. लेकिन वही ढाक के तीन पात.
ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में अस्पताल फेल
मध्य प्रदेश में कई जगहों से शिकायतें आई हैं कि कोरोना मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल रहा है. कई जगहों पर ऑक्सीजन और बेड को लेकर हंगामे की खबरें भी आईं. ग्वालियर के एक अस्पताल में तो मौत के बाद कोरोना मरीज का शह तक कहीं गुम हो गया.
ईटीवी भारत के संवाददाता ने भोपाल के सभी दस कोरोन हाॅस्पिटल का जायजा लिया. तो भयाभय तस्वीर सामने आई. हालात ऐसे कि आधे से ज्यादा हाॅस्पिटल के तो फोन ही अटेंड नहीं हुए. बाकी ने कहा हाॅस्पिटल में जगह नहीं, कहीं और देखें.
हेल्पलाइन भी बदहाल, ईटीवी भारत के पास ऑडियो रिकॉर्डिंग
कोरोना मरीजों के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन भी बदहाल मिली. हेल्पलाइन से टका-सा जवाब मिला. नंबर लेकर खुद पता कर लें. एक हाॅस्पिटल का जो नंबर दिया, वह भी गलत निकला. ईटीवी भारत की पड़ताल में सरकार के बेहतर इलाज के तमाम दावों की पोल खुल गई. ईटीवी भारत के पास इन सभी की ऑडियो रिकाॅर्डिंग मौजूद है.
हाॅस्पिटल के नंबर ही नहीं लगे, कुछ ने उठाए नहीं
कोरोना मरीजों के इलाज के लिए भोपाल के हाॅस्पिटल में बेड की उपलब्धता के सरकारी दावों की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ने 10 हाॅस्पिटल्स में एक-एक करके काॅल किया. इनमें भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स से लेकर जाने-माने पांच कोविड अस्पताल भी शामिल हैं. इनमें से सात हाॅस्पिटल में तो बार-बार काॅल करने के बाद भी काॅल अटेंड ही नहीं हुई. मेडिकल काॅलेज का भी यही हाल है. मेडिकल काॅलेज के लैंडलाइन नंबर पर भी कई बार काॅल किए, लेकिन किसी ने काॅल अटेंड नहीं की.