भोपाल।देश और राज्य की सरकारें इस दौर में जगहों के नाम बदल कर ये कहने से गुरेज़ नहीं कर रही हैं कि "भारत बदल रहा है". ये बात और है कि नाम बदलने से वो स्थान या जगह कितनी बदल जाती हैं, वो रिसर्च का विषय है. इसी कड़ी में अब मध्य प्रदेश के तीन और स्थानों के नाम बदलने को लेकर केंद्र सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है. धार्मिक और ऐतिहासिक महत्त्व वाले होशंगाबाद, बाबई और शिवपुरी के नये नामों पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. मध्य प्रदेश सरकार ने यह तीनों नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था जो लंबे समय से रुका हुआ था.
अब इन नामों से जाने जाएंगे ये स्थान
अब मध्य प्रदेश का होशंगाबाद जिला नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा. इसी तरह कवि और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी की नगरी बाबई का नाम अब माखन नगर हो जायेगा. कुंडेश्वर मंदिर से जुड़े शिवपुरी का नाम अब कुंडेश्वर धाम हो जायेगा. इन तीनों स्थानों के नाम बदलने को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा था जो लंबे समय से रुका हुआ था. अब केंद्र सरकार ने इस पर अपनी अंतिम मुहर लगा दी है. इसके बाद अब प्रदेश सरकार नाम बदलने की प्रक्रिया की आगे की कार्रवाई करेगी. पूर्व में भोपाल संभाग से तीन जिलों को अलग कर बनाए गए संभाग को नर्मदा पुरम संभाग नाम दिया गया था. संभाग में होशंगाबाद, हरदा और बैतूल जिले शामिल हैं. संभाग का औपचारिक विभाजन 27 अगस्त 2008 को किया गया था हालांकि उसके पहले से होशंगाबाद जिले का नाम बदलने को लेकर कोशिश चल रही थी.
नाम बदलने के लिए लेनी होती है एनओसी
केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार किसी भी शहर कस्बा या गांव का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी लेनी होती है. इसके बाद केंद्र सरकार अपने तीन प्रमुख विभाग इंटेलिजेंस ब्यूरो, ज्योग्राफिकल सर्वे और अर्थ साइंस से इस बारे में रिपोर्ट मांगती है. यह रिपोर्ट मिलने पर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्ताव पर अपनी अनुमति दी जाती है.
MP में नाम बदलने की सियासत
वैसे देखा जाए तो मध्यप्रदेश में नाम बदलने को लेकर लंबे समय से राजनीति चली आ रही है. हाल ही में भोपाल के हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के रख दिया गया. इसी तरह टोनी विधानसभा का नाम मिंटो हॉल से बदलकर कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर कर दिया गया है. भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित कई बीजेपी नेता भोपाल की ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरु नानक टेकरी रखने और हलाली डैम, इस्लाम नगर, लालघाटी, हलालपुर बस स्टैंड का नाम बदलने को लेकर भी लगातार मांग करते आ रहे हैं.
इतिहास में होशंगाबाद
11वीं शताब्दी में परमार काल राजा उदय वर्मा के भोपाल से मिले ताम्र पात्रों से उल्लेख होता है कि होशंगाबाद नर्मदापुरम के नाम से जाना जाता था. होशंगाबाद के गुनौर ग्राम का उस अभिलेख में उल्लेख मिलता है. 15 वीं शताब्दी में होशंग शाह जो मालवा का सुल्तान था वो विशेष रूप से मांडू का सुल्तान हुआ करता था. उसने अपने साम्राज्य को बढ़ाते हुए भोपाल, मंडीदीप, भोपाल के बड़े तालाब को नुकसान पहुंचाकर होशंगाबाद की सीमाओं में प्रवेश किया अपने नाम की पहचान के लिए इसका नाम होशंगाबाद रखता. इस की पुष्टि उस समय के साहित्य के संदर्भ से होती है. मध्यकालीन इतिहास के पन्नों को जब खोलते हैं तो इसकी पहचान होशंगाबाद से होती है.