देहरादून:उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान न केवल इंसान बल्कि बेजुबानों की मौत के मामले भी बढ़ रहे हैं. हालत यह है कि 140 से ज्यादा घोड़े और खच्चर अपनी जान गवां चुके हैं, जबकि 90 प्रतिशत जानवरों की मौत की वजह कोलिक है. जानिए क्या है कोलिक जो केदारनाथ में बेजुबानों की जान ले रहा है.
चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की यात्रा को आसान बनाने में घोड़े और खच्चरों का बड़ा अहम रोल है. खास तौर पर केदारनाथ और यमुनोत्री में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन्हीं के सहारे धाम तक पहुंच पाते हैं. केदारनाथ धाम की करीब 18 किलोमीटर की पैदल दुर्गम यात्रा को सुगम बनाने में घोड़े और खच्चर अमह रोल निभाते हैं. बच्चे, महिलाएं और बुजुर्गों इन बेजुबान के साहरे केदारनाथ धाम जाते हैं. हालांकि इस बार जिस तरह से केदारनाथ में बेजुबानों की मौत हो रही है, वो सुर्खियों में है.
कोरोना के कारण बीते दो सालों से चारधाम यात्रा बंद पड़ी हुई थी. करीब दो साल बाद जब इस बार चारधाम के कपाट खुले तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु चारधाम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में सारी व्यवस्थाएं भी धरी की धरी रह गई है. केदारनाथ धाम में तो यात्रियों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. केदारनाथ धाम में भारी भीड़ न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए मुसीबत बन रही है, बल्कि बेजुबानों की मौत का कारण भी बन रही है. केदारनाथ पैदल मार्ग पर अभीतक करीब 143 घोड़े और खच्चर अपना जान गवां चुके हैं.
इन्हीं स्थितियों को देखते हुए एक एनिमल लवर की तरफ से हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की है, जिसके बाद हाईकोर्ट पशुपालन विभाग को नोटिस भेजकर 4 हफ्ते में पशुओं की मौत की वजह और इस पर विभाग द्वारा किए जा रहे कामों की जानकारी मांगी है. जिसको लेकर फिलहाल पशुपालन विभाग जवाब तैयार कर रहा है और केदारनाथ समेत बाकी धामों में भी व्यवस्थाएं और बेहतर की जा रही हैं.
पढ़ें-Chardham Yatra Uttarakhand: 'न इंसान सुरक्षित न जानवर', अब तक 96 लोगों की मौत, 70 खच्चरों ने भी गंवाई जान
पशुपालन विभाग के निदेशक प्रेम कुमार का कहना है कि यात्रा दो साल बाद शुरू हुई है, इसीलिए बड़ी संख्या में यात्री पहुंचे. ऐसे में घोड़े और खच्चर की संख्या भी बढ़ी है. इस साल चारधाम में करीब 10 हजार घोड़े और खच्चर हैं. घोड़े और खच्चरों की बड़ी संख्या में हो रही मौतों पर निदेशक प्रेम कुमार का कहना है कि इस बार बढ़ी संख्या में यात्री पहुंच रहे हैं, जिससे घोड़े और खच्चरों को चलने का रास्ता नहीं मिल रहा है, ऐसे में जानवर तनाव में आ रहे हैं.
इसके अलावा निदेशक प्रेम कुमार ने बताया कि पहले रामबाड़ा में घोड़ों और खच्चरों के लिए काफी बड़ी जगह होती थी. वहां पर जानवर आराम भी करते थे और उन्हें हरी घास भी मिलती थी. नए रास्ते पर ऐसा कुछ हो नहीं पा रहा है, इसीलिए यहां जानवरों की ज्यादा मौत हो रही है. बेजुबानों की मौत का एक बड़ा कारण कोलिक भी है. दरअसल, केदारनाथ में जानवरों को उचित आराम और खाना नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा ठंडा पानी और भारी भीड़ भी परेशानी बढ़ा रही है. पशुपालन विभाग की तरफ से जिला प्रशासन को कुछ खास सुझाव दिए गए जो कि इस तरह हैं.
पढ़ें-KEDARNATH: बेजुबानों के साथ अमानवीय सलूक, अबतक 103 घोड़े-खच्चरों की मौत, दो संचालकों पर FIR