हांगकांग : हांगकांग यूनिवर्सिटी के परिसर से तियानमेन हत्याकांड के प्रतीक एक स्मारक को रातोंरात हटा दिया गया. 'पिलर ऑफ शेम' नामक स्मारक को तीन दशक पहले तियानमेन स्क्वायर पर हुए नरसंहार की याद में बनाया गया था. 1989 में बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर पर लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों पर चीन की सेना ने जुल्म ढाए थे. तियानमेन स्क्वायर में चीनी सैनिकों ने लोकतंत्र समर्थक हजारों प्रदर्शनकारियों को टैंकों से गोलीबारी की थी. सेना की इस कार्रवाई में सैकड़ों लोगों की जान गई थी. तियानमेन स्क्वायर पर नरसंहार के बाद चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता और मजबूत हुई थी. इसके बाद के चीन में क्रूर दमन का लंबा दौर चल पड़ा.
हांगकांग यूनिवर्सिटी ने रातोंरात क्यों हटाया 'पिलर ऑफ शेम' ? - पिलर ऑफ शेम
चीन की सरकार के आदेश पर हांगकांग यूनिवर्सिटी ने 'पिलर ऑफ शेम' स्मारक को रातोंरात हटा दिया. यह प्रतिमा कुछ बचे हुए प्रमुख सार्वजनिक स्मारकों में से एक थी, जो चीन के जुल्मों और हांगकांग की आजादी की याद दिलाती थी.
दो टन भारी और करीब 26 फुट ऊंचे तांबे के स्मारक को डेनिश शिल्पकार येन्स गालशिओट ने बनाया था. इसमें करीब 50 लाशें एक दूसरे के ऊपर लदी हुई दिखाई गई थींं. तियानमेन स्क्वॉयर पर मारे गए लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों की याद बनाया गया यह स्मारक चीन की गले की हड्डी बन गया था. हर साल 4 जून को हांगकांग यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट इस स्मारक को धोकर जून 1989 में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते थे. स्थानीय प्रशासन तियानमेन स्क्वायर से जुड़े कार्यक्रमों पर पहले ही रोक लगा चुका है.
हांगकांग यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने बताया कि प्रतिमा को हटाए जाने के संकेत तभी मिलने लगे थे, जब अधिकारियों ने इसे चादर से ढंक दिया था. 1997 में लीज पूरा होने के बाद ब्रिटेन ने समझौते के तहत हांगकांग को चीन के हवाले कर दिया था. हालांकि तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी. मगर इस बीच 30 जून 2020 को चीन ने हांगकांग के स्थानान्तरण की 23वीं वर्षगांठ से पहले नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया. चीन की जी शिनपिंग की सरकार अब उन सभी स्मारकों, प्रतीकों और समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवार्ई कर रही है, जो चीनी सत्ता को चुनौती दे सकते हैं.