ट्रक चालकों के प्रतिनिधियों के साथ गृह सचिव की बैठक सफल, हड़ताल खत्म करने की अपील
New Law For Hit and Run, Union Home Secretary Ajay Kumar Bhalla, हिट एंड रन के मामलों में नए कानून के विरोध में 1 जनवरी से चल रही ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल को खत्म करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के पदाधिकारियों से बात की. यह बातचीत सफल रही और दोनों के बीच सुलह हो गई. इसके बाद एआईएमटीसी के अधिकारियों ने हड़ताल को खत्म करके काम पर लौटने की अपील की है.
नई दिल्ली: चूंकि पूरे भारत में ट्रांसपोर्टर 1 जनवरी से देशव्यापी परिवहन हड़ताल पर हैं, केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने मंगलवार को नॉर्थ ब्लॉक में ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रतिनिधि के साथ एक बैठक बुलाई. गृह मंत्रालय के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि बैठक के दौरान भल्ला ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के विभिन्न खंडों पर स्पष्टता दी.
अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के साथ बैठक के बाद केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि 'हमने आज अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के प्रतिनिधियों से चर्चा की. सरकार ये बताना चाहती है कि नए कानून एवं प्रावधान अभी लागू नहीं हुए हैं. हम ये भी कहना चाहते हैं कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) लागू करने से पहले अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस से विचार विमर्श करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा.'
बैठक के बाद एआईएमटीसी ने देशभर के ट्रक चालकों को निर्देश दिए हैं कि सरकार और अखिल भारतीय परिवहन कांग्रेस के बीच सुलह हो गई है. एआईएमटीसी ने ट्रक चालकों को हड़ताल खत्म करने के निर्देश दिए हैं. उनका कहना है कि सरकार ने हमें भरोसा दिया है. एआईएमटीसी पदाधिकारियों ने ट्रक चालकों से अपील की है कि वे हड़ताल खत्म कर वापस लौटें.
ट्रांसपोर्टर बीएनएस की धारा 106 का विरोध कर रहे हैं, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को बदलने के लिए बनाई गई थी, जिसमें तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों में अधिकतम दस साल की कैद का प्रावधान है. ट्रांसपोर्ट एसोसिएशनों ने 1 से 30 जनवरी तक देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दस साल की अधिकतम जेल अवधि में बढ़ोतरी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के जवाब में की गई है, जिसमें घटना स्थल से भागने वाले ड्राइवरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है. राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बाद भारत भर में विभिन्न स्थानों पर विशेषकर पेट्रोल पंपों पर भारी कतार देखी गई, क्योंकि ट्रांसपोर्टरों ने पेट्रोल और अन्य स्नेहक का परिवहन बंद कर दिया.
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने स्पष्ट किया कि 'सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के कारण हिट-एंड-रन मामलों में सजा की अवधि 10 साल तक बढ़ा दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा है कि उन ड्राइवरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जो लापरवाही से वाहन चलाते हैं, दुर्घटना का कारण बनते हैं, जिससे किसी की मौत हो जाती है और फिर वे मौके से भाग जाते हैं.'
अधिकारी ने एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि 'बीएनएस (भारतीय दंड संहिता) की उपधारा 106(1) और 106(2) से, यह स्पष्ट है कि - यदि कोई व्यक्ति लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई दुर्घटना के बारे में तुरंत किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट करता है तो उस व्यक्ति पर उपधारा 106(2) के तहत आरोप नहीं लगाया जाएगा.' अधिकारी ने कहा कि 'इसके बजाय, व्यक्ति पर उपधारा 106(1) के तहत आरोप लगाया जाएगा, जहां सजा कम है, यानी 5 साल तक.'
अधिकारी ने बताया कि 'जबकि उपधारा 106(2) में 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. धारा 106(1) अभी भी जमानती अपराध है, जबकि धारा 106(2) को गैर-जमानती बना दिया गया है.' अधिकारी ने कहा कि वर्तमान विवाद अधिनियम के बारे में जागरूकता की कमी के कारण उत्पन्न हुआ है.
एआईएमटीसी के पदाधिकारी चाहते हैं कि सरकार इन प्रावधानों को वापस ले और दावा किया कि ये प्रावधान कड़े हैं और इससे चालकों को कठिनाई होगी. एआईएमटीसी देश भर में ट्रक चालकों का एक प्रमुख संगठन है. एआईएमटीसी के अध्यक्ष अमृतलाल मदान ने संवाददाताओं से कहा कि 'सरकार को भारतीय न्याय संहिता में हिट एंड रन मामलों से संबंधित प्रावधानों को वापस लेना चाहिए.'
दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में एआईएमटीसी के अध्यक्ष बाल मलकीत सिंह ने कहा कि 'ये जो काला कानून है, इसका एक ही हल है कि इसे वापस करें. गेंद सरकार के पाले में है. सरकार, गृह मंत्रालय, गृह मंत्री या वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से ड्राइवरों को एक संदेश जाना चाहिए कि भई आप चिंता ना करें. ये कानून एक गलती है, बिना परामर्श के बनाया गया है.' मंगलवार को देश के कई जिलों में व्यावसायिक वाहन चालकों के आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया.