नई दिल्ली : मानसून सत्र के आखिरी दिन गृह मंत्री अमित शाह ने तीन ऐतिहासिक बिल पेश किए. इनका उद्देश्य अंग्रेजों के समय के कानूनों को खत्म करना है. गृह मंत्री ने आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानूनों में संशोधन के लिए बिल पेश किए. उन्होंने कहा कि इन बिलों के पास हो जाने के बाद हमारे कानूनों पर अंग्रेजों की 'छाया' खत्म हो जाएगी. बिल पेश करते हुए शाह ने कहा कि आज भी इन कानूनों में ऐसे कई प्रावधान हैं, जिनमें अंग्रेजों के समय के शब्दों, प्रतीकों और उनके यहां के जगहों का जिक्र यथावत है. बिल पेश करते हुए गृह मंत्री ने इन बिलों पर विस्तार से चर्चा के लिए सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की प्रार्थना की.
Amendment in Criminal Laws : खत्म होगा राजद्रोह कानून, सीआरपीसी, आईपीसी और साक्ष्य कानूनों में बड़ा बदलाव
गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को संसद में वर्तमान आपराधिक कानूनों में बदलाव के लिए ऐतिहासिक बिल पेश किए. शाह ने कहा कि अब अंग्रेजों के समय के आपराधिक कानून खत्म हो जाएंगे, इसकी जगह पर नए भारतीय कानून आएंगे. गृह मंत्री ने इसके साथ ही राजद्रोह कानून खत्म करने का भी प्रस्ताव रखा.
शाह ने कहा कि हमारा नया बिल इसे पूरी तरह से खत्म कर देगा. उन्होंने कहा कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा. उनके अनुसार इन कानूनों से आम जनता को राहत मिलेगी. पुलिस अत्याचार से मुक्ति मिलेगी. पुलिस को तीन महीने के अंदर जांच पूरी करनी होगी. और इन मामलों की सुनवाई एक निश्चित अवधि में कोर्ट को पूरी करनी होगी.
जिन कानूनों में संशोधन करने का प्रस्ताव है, उनमें भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं. लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए गृह मंत्री ने क्या-क्या कहा, एक नजर.
- गृह मंत्री ने कहा कि कुल 313 परिवर्तन किए गए हैं.
- जिन मामलों में सजा का प्रावधान सात साल से अधिक का है, उन मामलों में फॉरेसिंग साक्ष्य जरूरी होंगे.
- जिन मामलों में सजा का प्रावधान तीन साल तक का है, वहां पर समरी ट्रायल होगा. इन मामलों की सुनवाई आरोप तय होने के एक महीने के भीतर पूरी करनी होगी.
- अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मामला चलाना है, तो उनके वरिष्ठ अधिकारियों को 120 दिनों के अंदर अनुमति प्रदान करनी होगी. यदि वे इस समय तक अनुमति नहीं प्रदान करेंगे, तो उनकी अनुमति स्वतः मान ली जाएगी.
- संगठित अपराध में सजा का कड़ा प्रावधान बनाया गया है. हालांकि, मृत्यु की सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है. आप किसी को भी पूरी तरह से बरी नहीं कर सकते हैं. उनकी सजा की अवधि में भले ही कुछ कमी की जा सकती है.
- सरकार राजद्रोह क पूरी तरह से खत्म करेगी.
- किसी की संपत्ति कुर्क करनी हो, तो यह आदेश सिर्फ कोर्ट दे सकता है, न कि पुलिस.
- किसी भी हाल में तीन साल के भीतर फैसले करने होंगे.
- 2027 तक देश के सभी अदालतों को कंप्यूटराइज्ड व्यवस्था से जोड़ दिया जाएगा.
- गिरफ्तारी होने पर पुलिस अधिकारी लंबे समय तक उसकी जानकारी छिपा नहीं सकते हैं, उन्हें उसके परिवार वालों को तुरंत जानकारी देनी होगी.