नई दिल्ली : मणिपुर हिंसा मामले पर क्या कुछ हुआ, और क्या घटनाक्रम रहा, इस पर गृह मंत्री अमित शाह (Home minister Amit Shah) ने विस्तार से लोकसभा में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सिर्फ किसी को बदनाम या फिर बिनातथ्य जाने ही दुष्प्रचार करना ठीक नहीं है. गृह मंत्री ने कहा कि इस घटना की पृष्ठभूमि जानना बहुत ही जरूरी है, उसके बाद ही यह पता चल पाएगा कि घटना की शुरुआत किस तरह से हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ, उस पर हम सब शर्मिंदा हैं और इसका हम सबको बहुत दुख है.
शाह ने कहा कि म्यांमार में कुकी डेमोक्रेटिक फ्रंट पर कार्रवाई की गई. उसके बाद वहां से कुकी समुदाय के लोग भारत की सीमा में शरण लेने के लिए आए. वहां की सीमा पर फेंसिंग नहीं है. और दोनों देशों के बीच समझौता है कि वहां पर 40 किलोमीटर के दायरे में कोई भी उधर का व्यक्ति इधर और इधर का व्यक्ति उधर जा सकता है. गृह मंत्री ने कहा कि यह समझौता 1968 में ही हुआ था.
इसका परिणाम यह हुआ कि बड़ी संख्या में कुकी समुदाय के लोग पहाड़ी एरिया में आकर बसने लगे. तभी 29 अप्रैल को एक अफवाह फैली. इसमें बताया गया कि जंगल को गांव घोषित कर दिया गया है. इसका मतलब यह होता है कि जो भी आबादी बाहर से आई है, उसे बसने की अनुमति प्रदान कर दी गई है. इसके विरोध में आदिवासी समुदायों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. ऊपर से इस समय मणिपुर हाईकोर्ट का एक आदेश आ गया. इस फैसले ने आग में घी डालने का काम किया. शाह ने कहा कि यहां तक कि फैसले से पहले कोर्ट ने न तो सेंटर और न ही राज्य से कोई एफिडेविट लिया था.
सीएम एन. बीरेन सिंह को नहीं हटाने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार का पूरा साथ दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जो-जो बातें उनसे कही, वो वह सब करते गए. लिहाजा, उनको हटाने का कोई सवाल ही नहीं है. शाह ने कहा कि हमने वहां के डीजीपी को बदला, मुख्य सचिव को बदला, वहां पर सलाहकार की नियुक्ति की और इस पर सीएम सहयोग देते चले गए. ऐसे में जाहिर है वहां पर अनुच्छेद 356 लगाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में अब तक 152लोगों की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि हम किसी भी आंकड़े को छिपाना नहीं चाहते हैं.