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अगर छूट जाए होम लोन की किश्त, तो जानिए कैसे कर सकते हैं मैनेज

घर खरीदना अधिकतर लोगों के लिए एक सपने के सच होने जैसा होता है. जो लोन लेकर घर खरीदते हैं और किश्तों के भुगतान समय से करते हैं, तो अच्छा लगता है. मगर जैसे ही बुरे दौर में किश्तों का भुगतान रुक जाता है और बकाया राशि बढ़ती जाती है तो घर खरीदना भी बुरे सपने जैसा लगता है. इससे लोन लने वाले की परेशानी बढ़ जाती है.

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Published : Feb 7, 2022, 11:36 AM IST

हैदराबाद: होम लोन अब मार्केट में उपलब्ध सबसे किफायती लोन में से एक है. हमें किसी बैंक और वित्तीय संस्थान से होम लोन आसानी से मिल जाता है. मगर लोन लेने पहले यह जानना भी जरूरी है कि अगर समय पर किश्तों का भुगतान नहीं किया गया तो किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

लगातार तीन महीनों तक होम लोन की किश्तों का भुगतान नहीं करने पर बैंक और वित्तीय संस्थान बकाया राशि को अस्थायी चूक मानते हैं. वे कर्जदार को नोटिस भेजते हैं, अगर वह फिर भी जवाब नहीं देते हैं तो कर्ज की वसूली के लिए बैंक आवश्यक कदम उठाता है. तीन महीनों की अवधि के बाद बैंक या वित्तीय संस्था इसे जानबूझकर किया गया चूक मानती हैं. इसके बाद वह होम लोन डिफॉल्टर्स को होम ऑक्शन नोटिस थमा देती है.

किश्तों में देरी होने पर बैंक इन्स्टॉलमेंट की राशि का एक से दो प्रतिशत जुर्माना वसूलते हैं. जब कोई लोन एक प्रमुख डिफ़ॉल्ट बन जाता है तो उस लोन को एनपीए की श्रेणी में डाल दिया जाता है. इससे पहले बैंक कर्ज लेने वाले को कई नोटिस देते हैं. कुछ कंपनियां लोन वसूली के लिए थर्ड पार्टी की सेवा लेती हैं. लोन के एनपीए हो जाने पपर कर्ज लेने वाले और बैंक के बीच विवाद की गुंजाइश बनी रहती है. इसके बाद बैंक उससे लिए गए अन्य लोन को भी एनपीए खाते से जोड़ा देता है. इससे हालात और बिगड़ जाते हैं.

यदि किश्तों का भुगतान ठीक से नहीं किया जाता है, तो इसका क्रेडिट स्कोर पर निगेटिव इफेक्ट पड़ता है. अगर आप बार-बार ईएमआई नहीं जमा करते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है. बैंकों ने अब अपनी ब्याज दरों को रेपो से जोड़ दिया है. इस कारण लोन लेने वाले के क्रेडिट स्कोर के आधार पर ब्याज निर्धारित किया जाता है. यदि आपका क्रेडिट स्कोर कम है, तो ब्याज दरें बढ़ने की संभावना बनी रहती हैं. यदि बैंक यह साबित कर दे कि किस्त न जमा करने की चूक जान-बूझकर की गई है तो इससे लोन लेने वाले की क्रेडिब्लिटी भी प्रभावित होती है.

ऐसे हालात में यदि आप अधिक ब्याज या अन्य कारणों से लोन को एक बैंक से दूसरे बैंक में बदलना चाहते हैं, हो सकता है कि पुराने बैंक में ईएमआई का भुगतान ठीक से नहीं करने के कारण नई वित्तीय संस्था आपके आवेदन को ठुकरा दे. इसके बाद भविष्य में पर्सनल, ऑटो या अन्य नया लोन लेने में भी दिक्कत हो सकती है.

इस समस्या का समाधान क्या है?

सबसे पहले किश्तों के भुगतान पर फोकस करें. इसे चुकाने के लिए आप मित्रों और रिश्तेदारों से उधार ले सकते हैं. यदि आपके पास फिक्स्ड डिपॉजिट और इंश्योरेंस पॉलिसियां हैं, तो आपको उन पर ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ उठाएं और स्थिति ठीक होने पर इन सभी बकाये को तत्काल चुका दें. आपके पास फाइनेंशियल अनिश्चितता (financial uncertainty) बहुत अधिक है, तो पहले कम-ब्याज वाले इन्वेस्टमेंट प्लान के देखें. अगर आपको लगता है कि कर्ज का बोझ कभी खत्म नहीं होगा और इसे चुकाने के रास्ते बंद हैं तो समझ लें कि उस घर को बेचने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.

अगर आपने कई वर्षों से होम लोन के ईएमआई का भुगतान नहीं किया जाता है तो जीवन बीमा पॉलिसियों लोन लेकर किश्त भर सकते हैं. ध्यान रखें ऐसा तभी करें जब आपके पास रोजगार नहीं हो या आपकी रेग्युलर इनकम बंद हो गई हो. हर परिवार में एक ऐसा इमरजेंसी फंड होना चाहिए, जिसमें कम से कम छह महीने की ईएमआई के लिए पर्याप्त राशि हो. इससे आप पर कोई आर्थिक दबाव नहीं पड़ेगा. बता दें कि हमेशा कम ईएमआई वाली लोन चुनना और अपने साधनों के हिसाब से लोन लेना चाहिए.

Bankbazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी के अनुसार, जब आपको लगता है कि स्थिति ज्यादा खराब हो रही है तो आपको बैंक से संपर्क करना चाहिए और समाधान के बारे में सोचना चाहिए. लोन रीकंस्ट्रक्शन और मॉरेटैरियम (Debt restructuring and moratorium ) के जरिये भी खुद को बुरी हालात से बाहर निकाल सकते हैं.

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